विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का हुआ समापन

‘’सपने वह नहीं होते जो सोने पर आते हैं, सपने वह होते हैं जो सोने ही नहीं देते’’

नकारात्मक चिन्तन छोड़ें, सकारात्मक चिन्तन को अपनाएँ

अध्यात्मपुरुष श्री सुधांशु जी महाराज ने ग़ाज़ियाबाद के रामलीला मैदान में कहा

महामृत्युंजय मन्त्र से गूँजा ग़ाज़ियाबाद का घण्टाघर क्षेत्र

सन्तश्री सुधांशु जी महाराज का नागरिक अभिनंदन किया गया

Virat Bhakti Satsang Ghaziabad 02-12-18-ending-Sudhanshuji Maharajग़ाज़ियाबाद, 02 दिसम्बर (सायंकाल)। विश्व जागृति मिशन आनन्दधाम, नांगलोई-नज़फ़गढ़ क्षेत्र नयी दिल्ली एवं ग़ाज़ियाबाद मण्डल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आज समापन हो गया। इस दौरान सम्पन्न सात सत्रों में मिशन प्रमुख सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने ढेरों मार्गदर्शन बड़ी सहज एवं प्रभावी शैली में उपस्थित जनसमुदाय को समापन सत्र में उनको प्रदान किए।

सत्संग समारोह के समापन सत्र में विदाई सन्देश देते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि शक्ति एवं सामर्थ्य कम होते हुए भी निरंतर गतिशील रहने वाले व्यक्ति सफल अवश्य होते हैं। आदत की ताकत की चर्चा करते हुए बताया कि आदतों का निर्माण संस्कारों एवं अभ्यास से होता है, जो लंबे समय में विनिर्मित होती हैं। खराब आदतों को उसी तरह निरंतर अभ्यास से सुधारा जा सकता है। उन्होंने भूतपूर्व राष्ट्रपति स्मृतिशेष डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के कथन को याद किया, जिसमें उन्होंने कहा था- ”सपने वह नहीं होते जो सोते समय आते हैं, सपने तो वह होते हैं जो सोने ही ननहीं देते।” उसी तरह कहा जा सकता है कि ”अपने वह नहीं होते जो रोने पर आते हैं, अपने तो वह होते हैं जो रोने ही नहीं देते। उन्होंने नकारात्मक विचारों से बचने तथा सकारात्मकता को अपनाने पर जोर दिया।

विदाई सत्र में मिशन प्रमुख सन्तश्री सुधांशु जी महाराज का नागरिक अभिनंदन बड़े जोशो-खरोश के साथ किया गया, उपस्थित विशाल जनसमुदाय तथा मिशन के ग़ाज़ियाबाद मण्डल की ओर से प्रधान श्री सुरेन्द्र मोहन शर्मा, उपप्रधान श्री सुरेन्द्र दत्त त्यागी, महामन्त्री श्री सत्येन्द्र सिंह, कोषाध्यक्ष श्री आर॰के॰ दिवाकर संगठन मन्त्री श्री शिशुपाल सिंह गंगवार एवं कार्यक्रम समन्वयक श्री मनोज शास्त्री ने श्री सुधांशु जी महाराज को भावभरी विदाई दी।

उधर मध्याह्नकाल में भारी संख्या में स्त्री-पुरुषों ने सन्तश्री सुधांशु जी महाराज से मन्त्र दीक्षा ग्रहण की। समस्त कार्यक्रमों का समन्वयन-संचालन मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

गौशाला विभाग आनंदधाम के प्रतिनिधि श्री सूर्यमणि दुबे ने बताया कि मिशन द्वारा गौ संरक्षण एवं गौ संवर्धन के भरसक प्रयास किए गए हैं और 07 गौशालाओं के माध्यम से सैकड़ों गायों की बड़ी सुंदर ढंग से सेवा की जा रही है। उन्होंने बताया कि यह गौशालाएँ आनंदधाम नई दिल्ली, बिठूर कानपुर, हैदराबाद, पानीपत, मुरादाबाद, बैंगलोर एवं कुल्लू (हिमाचल) में चल रही है। वर्ष 1996 से आनंदधाम में चल रहे वृद्ध आश्रम के प्रतिनिधि श्री रमेश सरीन के अनुसार ढाई दर्जन वृद्ध स्त्री-पुरुषों की सराहनीय सेवा की जा रही है।

विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने देश में तीन पीढ़ियों के परिवार की परंपरा को राष्ट्र में पुनः प्रतिष्ठित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। बीते 20 वर्षों से पूरे देश में श्रद्धा पर्व मनाकर नई पीढ़ी को बुजुर्ग माता-पिता की सेवा व सम्मान देने की प्रभावी ढंग से प्रेरणा दी जा रही है। युगऋषि आयुर्वेद के राष्ट्रीय मार्केटिंग प्रमुख श्री प्रयाग शास्त्री ने बताया कि सत्संग स्थल पर लगाए गए लगभग एक दर्जन स्टालों ने जनसामान्य को भरपूर सेवाएँ प्रदान कीं।

ध्यान-योग की कक्षा ने भरे जीवन में स्वस्थता के अनेक रंग

गुरुजनों की वाणी से मन-मस्तिष्क बनाने व अंतःकरण बदलने की धारा प्रवाहित होती रहे – सुधांशु जी महाराज

ध्यान का मार्ग सदा ही कल्याणकारी होता है – डॉ. अर्चिका दीदी

Virat Bhakti Satsang Ghaziabad 02-12-18-Sudhanshuji Maharajगाजियाबाद, 2 दिसंबर (पूर्वाहन)। ध्यान का मार्ग हमेशा कल्याणकारी होता है। ध्यान के रास्ते पर चलकर आत्म-कल्याण किया जा सकता है। खुद का कल्याण करने के लिए दूसरों पर निर्भरता से बचना पड़ता है, आत्मनिर्भर होना पड़ता है। निर्भरता का मार्ग सदा कष्टकारी होता है। ध्यान व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाता है।

यह बात आज राष्ट्र के हृदय-प्रान्त उत्तर प्रदेश के प्रवेश-द्वार गाजियाबाद के रामलीला मैदान में आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के अंतिम दिन के पूर्वाहनकालीन सत्र में ध्यानगुरु डॉक्टर अर्चिका दीदी ने कही। उन्होंने कहा कि अपने भीतर की रसधारा से जुड़ने वाला व्यक्ति ‘योगी’ बन जाता है और परमात्मा से जुड़ जाता है। कारण, परमात्मा अपने अंश ‘आत्मा’ के रूप में आपके अंदर बैठा हुआ है। योगयुक्त जीवन जीने से आत्मा परमात्मा से जुड़ जाती है। इसलिए कहा गया है कि आत्मा और परमात्मा का मिलन ही ‘योग’ है। उन्होंने ध्यान-योग की विधियों का प्रशिक्षण भी उपस्थित स्वास्थ्य-जिज्ञासुओं को दिया।

इस अवसर पर विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक श्रद्धेय श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि भारतवर्ष को वहम में बेतहाशा वृद्धि और खुद एवं ईश्वर पर विश्वास के अभाव ने जितना नुकसान पहुंचाया है, उतना और किसी ने नहीं पहुंचाया। कहा- भगवान पर अटूट विश्वास करने वाले व्यक्ति का राहु और केतु कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते। ज्योतिष विज्ञान पर पूरा विश्वास रखते हुए उसकी वैज्ञानिकता से जीवन को कर्मशील व सक्रिय बनाते हुए शांति व समृद्धि की ओर बढ़ना चाहिए। उन्होंने कर्मयोग की अमिट एवं शाश्वत शिक्षा मानव समाज को देने वाले प्रभु श्रीकृष्ण की कर्मशीलता का जिक्र किया और कहा कि उन्होंने कर्मयोग की शक्ति से खण्ड-खण्ड हो रहे भारत को महाभारत बना दिया था। उन्होंने कहा कि आज हमारे देश को गीतानायक के उस कर्मयोग के सिद्धांत की बड़ी आवश्यकता है।

विश्व जागृति मिशन मुख्यालय आनन्दधाम नयी दिल्ली से आए धर्मादा अधिकारी श्री गिरीश चंद्र जोशी ने बताया कि अनाथ बच्चों की उच्चस्तरीय शिक्षा, संस्कृत शिक्षा हेतु गुरुकुल एवं धर्म उपदेशक तैयार करने के लिए उपदेशक महाविद्यालय, श्रवण कुमार परंपरा के विकास हेतु श्रद्धा-पर्व एवं वृद्धजन सेवा हेतु वृद्ध आश्रम, निर्धन अशक्तों की चिकित्सा के लिए करुणासिंधु अस्पताल, युगऋषि आरोग्य धाम व द ह्वाईट लोटस अस्पताल, गौ सेवा हेतु कामधेनु गौशाला, अन्नक्षेत्र, 25 विशाल मंदिर, यज्ञ सत्संग व ध्यान तथा आपदा पीड़ितों की मदद के लिए आपदा राहत कार्यक्रम इन 09 सेवाओं के लिए धर्मादा सेवा चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि भारत की इस प्राचीन पद्धति का अनुसरण कर मिशन परिवार द्वारा समाज के सहयोग से ये कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं।

विजामि के गाजियाबाद मण्डल के प्रधान श्री सुरेंद्र मोहन शर्मा ने बताया कि सत्संग समारोह का समापन आज सायंकाल होगा। कहा कि इसके पूर्व सामूहिक मंत्र दीक्षा सद्गुरु श्री सुधांशु जी महाराज द्वारा दी जाएगी। इसके लिए पंजीयन प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है।

सुखी एवं आनन्दमय जीवन के लिए स्वस्थ शरीर व स्वच्छ मन ज़रूरी | 01 दिसम्बर 2018 | गाजियाबाद

सुखी एवं आनन्दमय जीवन के लिए स्वस्थ शरीर व स्वच्छ मन ज़रूरी –सुधांशु जी महाराज

गाजियाबाद, 01 दिसम्बर (पूर्वाहन)। यहां रामलीला मैदान में पिछले 3 दिनों से चल रहा विराट् भक्ति सत्संग महोत्सव स्वास्थ्य संरक्षण सेवा को समर्पित रहा। इस सत्र में बोलते हुए विश्व जागृति मिशन के कल्पनापुरुष सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि सुखी एवं आनन्दमय जीवन के लिए स्वस्थ शरीर और स्वच्छ मन का होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि इसके लिए मन में शांति का होना अत्यन्त आवश्यक है। सुखमय जीवन का यह परम तत्व ध्यान के जरिए प्राप्त होता है। उन्होंने गहरे व सार्थक ध्यान के तरीके उपस्थित जनसामान्य को बताए। उन्होंने ध्यान की विधियां सिखाईं और यौगिक क्रियाएँ व्यावहारिक रूप में सभी को कराईं। ओंकार साधना और शिवसाधना से सभी भीतर तक भावविभोर हो उठे।

संतश्री सुधांशु जी महाराज ने जीवन में अनुशासन एवं समय की कीमत के बारे में विस्तार से लोगों को समझाया और कहा कि अनुशासित फोर्स के थोड़े से जवान लाखों की अनियंत्रित व अनुशासनहीन भीड़ को सफलतापूर्वक नियंत्रित कर लेते हैं। उन्होंने महाकाल से मिले काल अर्थात् समय के हर अंश का सदुपयोग करने की प्रेरणा दी। उन्होंने सकारात्मकता को जीवन का अभिन्न अंग बनाने का आहवान जनमानस से किया।

इस अवसर पर विद्वान नाड़ी वैद्य डॉ. सुनील मुदगल ने स्वस्थ शरीर के लिए वात, पित्त और कफ के संतुलन को आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि भारत की आयुर्वेद परंपरा में निष्णात् वैद्य इन तीनों की स्थिति का परीक्षण नाड़ी देखकर करते रहे हैं। कहा कि भारत के गौरवमयी अतीत में नाड़ी एक समर्थ पैथोलॉजी का काम करती रही है। डॉ. मुदगल ने सत्संग स्थल पर व्याधिग्रस्त लोगों की नाड़ी देखकर उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी किया तथा उन्हें चिकित्सा परामर्श दिया। सत्संग स्थल पर क्वांटम एनालाइजर मशीन भी लाई गई है, जिसके माध्यम से सम्पूर्ण शरीर की स्कैनिंग कुछ ही देर में सम्भव हो जाती है। यह कार्य मिशन के मुख्यालय आनन्दधाम में स्थित युगऋषि आयुर्वेद के तत्वाधान में सम्पन्न हो रहा है।

राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के नांगलोई-नजफगढ़ अंचल स्थित आनंदधाम के स्वास्थ्य विभाग के जनसंपर्क अधिकारी श्री विष्णु चौहान ने बताया कि मिशन हेड क्वार्टर में तीन अस्पताल करुणा सिन्धु अस्पताल, युगऋषि आरोग्य धाम तथा द व्हाइट लोट्स हॉस्पिटल के नाम से संचालित किए जा रहे हैं। यहां प्राकृतिक चिकित्सा, योग चिकित्सा, जल चिकित्सा सहित विभिन्न आयुर्वेदिक विधाओं की चिकित्सा सहज उपलब्ध है। साथ ही एलोपैथिक चिकित्सा की भी व्यवस्था है। यहां 24 हजार से भी ज्यादा जादा निर्धनों की आंखों का निःशुल्क आपरेशन किया जा चुका है। केवल करुणासिन्धु अस्पताल में 14 लाख से ज्यादा वंचित वर्ग के नर-नारी व बच्चे स्वास्थ्य लाभ ले चुके हैं।

ग़ाज़ियाबाद विराट भक्ति सत्संग महोत्सव शुरू

ईश्वर से प्राण शक्ति संवर्धन व समृद्धि की करें प्रार्थना

विजामि प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने दिया जनमानस को आध्यात्मिक मार्गदर्शन

घण्टा घर स्थित रामलीला मैदान में चल रहा है कार्यक्रम

Virat Bhakti Satsang Ghaziabad 29-11-18-Sudhanshuji Maharajग़ाज़ियाबाद, 29 नवम्बर। उत्तर प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक नगर ग़ाज़ियाबाद में आज सायंकाल विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का विधिवत श्रीगणेश हो गया। विश्व जागृति मिशन नयी दिल्ली एवं ग़ाज़ियाबाद मण्डल के तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय सत्संग समारोह के उद्घाटन सत्र में देश के प्रख्यात अध्यात्मवेत्ता श्री सुधांशु जी महाराज ने उपस्थित जनसमुदाय से कहा कि वे अपने जीवन में प्राण शक्ति के संवर्धन तथा अपनी व समाज की समुचित सेवा के लिए प्रचुर मात्रा में धन-समृद्धि की कामना और प्रार्थना करें। उन्होंने जनसमुदाय का भरपूर आध्यात्मिक मार्गदर्शन किया।

सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने देवात्मा हिमालय, सुरसरि भगवती गंगा तथा श्रीमद्भगवद्गीता की चर्चा की और कहा कि जिस तरह हिमालय और गंगा दुनिया में एक ही है, वैसे ही गीता भी इस विश्व में एक ही है। उन्होंने जीवन के विषाद को प्रसाद यानी प्रसन्नता में बदलने, टूटे हुये मन व कुल को जोड़ने, असफलता को सफलता में परिवर्तित करने तथा पराजय को विजय में परिणत करने के लिए गीता का अध्ययन करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि गीतानायक भगवान श्रीकृष्ण के ज्ञानामृत से अपने-आपको नियमित रूप से जोड़े रखने वाले व्यक्ति सफलता के उच्च शिखरों पर चढ़ते चले जाते हैं। बताया कि ‘गीता वर्ष 2018’ में भारत के प्रत्येक घर में श्रीमद्भगवद्गीता के भाष्य-ग्रन्थ की स्थापना की जा रही है।

इसके पूर्व विश्व जागृति मिशन के ग़ाज़ियाबाद मण्डल की ओर से श्री सुधांशु जी महाराज का भव्य अभिनंदन सत्संग मंच पर किया गया। मिशन प्रतिनिधियों ने व्यास पूजन का कार्यक्रम विशेष वेदमन्त्रों के सामूहिक उच्चारण के बीच सम्पन्न किया। श्रद्धेय महाराजश्री ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ सत्संग महोत्सव का उद्घाटन किया। ग़ाज़ियाबाद मण्डल के प्रधान श्री सुरेन्द्र मोहन शर्मा ने बताया कि सत्संग समारोह का समापन 02 दिसम्बर की सायंकाल होगा। मिशन के वरिष्ठ अधिकारी श्री मनोज शास्त्री ने बताया कि कार्यक्रम में ग़ाज़ियाबाद सहित उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं हैदराबाद आदि के ज्ञान-जिज्ञासु भारी संख्या में भाग ले रहे हैं।

ग़ाज़ियाबाद मण्डल के मिशन महामन्त्री श्री सत्येन्द्र सिंह ने बताया कि सत्संग स्थल पर अनेक महत्वपूर्ण स्टॉल लगाए गए हैं। इन स्टालों पर युगऋषि आयुर्वेद के कई उत्पाद एवं साहित्य आदि के अलावा वृद्धजन सेवा, गौसेवा, स्वास्थ्य सेवा, धर्मादा सेवा आदि कार्यक्रमों की जनकारियाँ दी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि आनन्दधाम नयी दिल्ली से आए मिशन प्रतिनिधि श्री प्रयाग शास्त्री इन स्टालों की प्रबन्धन व्यवस्था सम्भाल रहे हैं। डॉक्टर सुनील मुदगल के नेतृत्व में लगे स्वास्थ्य सेवा शिविर में क्वॉंटम एनालाइज़र मशीन से पूरे शरीर की जाँच कर स्वास्थ्य परामर्श भी सत्संग स्थल पर दिया जा रहा है।

विराट भक्ति सत्संग कार्यक्रम का मंचीय समन्वयन एवं संचालन विजामि के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया। इस मौक़े पर आनन्दधाम की संगीत टीम ने कई रोचक भजन प्रस्तुत किए।

यज्ञ एवं शरद् पूर्णिमा के लाभ

Sharad Purnima 24 October 2018-Sudhanshuji Maharajस्ंसार में यज्ञ से आत्मा की शुद्धि, मनः की शुद्धि, स्वर्ग-सुख, बन्धनों से मुक्ति, पाप का प्रायश्चित होने के साथ-साथ अनेक ऋषि सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। यज्ञ से हमें आध्यात्मिक एवं भौतिक दोनों प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं। यज्ञ से हमारे मन में कुविचार या अनेक प्रकार की मानसिक परेशानियाँ होती हैं, वे दूर हो जाती हैं। यज्ञ करने से देवता प्रसन्न होते हैं और वे हमें धन, सौभाग्य, वैभव तथा सुख साधन प्रदान करते हैं। जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा से यज्ञ करता है, उसको अभाव कभी छू भी नहीं सकते। यज्ञ करने वाले नर-नारी की सन्तान बुद्धिमान, सुन्दर, बलवान और दीर्धजीवी होती हैं।

यज्ञ को सभी की मनोकामना पूरी करने वाली ‘कामधेनु’ कहा जाता है। इसे स्वर्ग की सीढ़ी भी कहा जाता है। जहाँ पर यज्ञ लगातार किए जाते हैं वहाँ पर अमृतमयी वर्षा होती है। फलस्वरूप वनस्पति, अन्न, दूध, खाद्य सामग्रियों एवं खनिज पदार्थों की प्रचुर मात्रा में उत्पत्ति होती हैं, जिससे संसार के सभी प्राणियों का पालन होता है। यज्ञ करने से वातावरण सद्भावना पूर्ण बनता है। यज्ञ से आकाश में फैले हुए क्लेश, शोक, चिन्ता, कलह, ईष्र्या, अन्याय, लोभ, द्वेष व अत्याचार के भाव नष्ट होते हैं। यज्ञ करने से वायु में शुद्धता बढ़ती है। यज्ञ से शत्रु का दिल भी कोमल हो जाता है और वे मित्र बन जाते हैं। संसार के पापों का विनाश होता है, आत्मा रूपी मन्दिर में फैला मैल दूर होता है। संसार में फैले सभी दुष्कर्माें का नाश होता है। यज्ञ करने से मन, वाणी एवं बुद्धि की उन्नति होती है। यज्ञ से हमें पवित्र आचरण करने की शक्ति प्राप्त होती है। यज्ञ करने वाले नर-नारी को माया कभी नहीं सताती एवं उसकी आयु में वृद्धि होती है।

आजकल यज्ञ के अभाव में काफी कुछ गलत हो रहा है। एटम बम और हाइट्रोजन बमों से पृथ्वी को नष्ट करने की तैयारियाँ चल रही हैं। सूक्ष्म जगत में राक्षसी शक्तियों की तीव्र गति से वृद्धि हो रही है। इन राक्षसी शक्तियों को नष्ट- भ्रष्ट करने के लिए देवशक्तियों को बलवान बनाने की अति आवश्यकता है। देवशक्तियों को बल देने का साधन है यज्ञ ही है। संसार में हम यदि शान्तिमय वातावरण की उत्पत्ति करना चाहते हैं तो हमें दैनिक यज्ञ करने चाहिए तथा आमजन को यज्ञीय भावों से जोड़े रखने के लिए बड़े-बड़े यज्ञ करने चाहिए।

सम्पूर्ण संसार आज काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, स्वार्थ, छल, कपट, ईष्र्या, द्वेष, राग, बैर, तृष्णा, असहनशीलता आदि के विचारों से गूँज रहा है। विज्ञान के अनुसार हम जो कुछ विचार रखते है या बोलते हैं, वे कभी नष्ट नहीं होते। वह सूक्ष्म होने के कारण मस्तिष्क से निकल कर आकाश के आभा मण्डल में ईश्वर तत्व में प्रवेश करके सारे विश्व में फैल जाते हैं। हमारे मुख से निकले दूषित विचार वातावरण को दूषित करते हें। इसलिए हमें अपने मस्तिष्क में बुरे विचार नहीं लाना चाहिए। आधुनिक समाज में फैले हुए दुर्गुणों, दुर्विचारों और दुःस्वाभावों को दूर करने के लिए आकाश व्यापी दूषित विचारों को नष्ट करने की आवश्यकता है, जिसका आसान और अमोघ साधन यज्ञ है। यज्ञ से हम कह सकते हैं कि हजारों और लाखों सतोगुण के प्रतीक सूक्ष्म सैनिक आकाश में फैलकर तमोगुण प्रतीक शत्रुओं का नाश करना आरम्भ कर देते हैं।

संसार में यज्ञ का हम जितना प्रचार करेंगे और जितने बड़े-बड़े यज्ञ करेंगे उतनी ही मात्रा मंे हमारे शत्रुओं का विनाश होता चला जाएगा। संसार मे यज्ञ से असुरी शक्तियों का विनाश करके सुख और शान्ति की स्थापना की जा सकती हैं। यज्ञ से उत्पन्न हुये शुद्ध और पवित्र सूक्ष्म वातावरण का प्रभाव हमारे सूक्ष्म विचारों पर पड़ता है और वह शुद्ध तथा पवित्र हो जाते हैं। यज्ञ में दूषित विचारधारा को बदलने की अपूर्व शक्ति होती है।

शरद पूर्णिमा का बड़ा महत्व है, इस दिन यज्ञ अवष्य करें:

शरद पूर्णिमा का अपना एक विशेष महत्व होता है। आश्विन माह की पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। आश्विन माह की पूर्णिमा को श्रेष्ठ माना जाता है। इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसी दिन से शरद ऋतु का प्रारम्भ होता है। इस पूर्णिमा का सबसे बड़ा महत्व है इसलिए है कि इस दिन माँ लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए सुख, सौभाग्य, आयु, आरोग्य और धन-सम्पदा की प्राप्ति के लिए इस पूर्णिमा पर माँ लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है।

देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम दिन है शरद पूर्णिमा। शरद पूर्णिमा पर चन्द्रमा भी अपनी पूर्ण सोलह कलाओं से भरपूर रहता है और यह कहा जाता है कि वह पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करता है। इसलिए भारत के अधिकतर राज्यों में इस दिन चन्द्रमा की चाँदनी में खीर बनाकर रखी जाती है और उसका सेवन किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इससे कई प्रकार के रोग समाप्त होते हैं।

किसी-किसी इलाके में इस पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा भी कहा जाता है। ऐसी कहावत है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधा और गोपियों के साथ महारास रचाया था। भगवान श्रीकृष्ण से प्रेरणा लेकर कई जगह इस दिन गरबा रास का आयोजन भी होता है।

शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी का व्रत भी किया जाता है। इस माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएँ। सबसे पहले इस खीर का प्रसाद घर के बुजुर्ग या बच्चों को दें फिर स्वयं ग्रहण करें। यदि इस अवसर पर आपकी सामथ्र्य है तो रात्रि जागरण करें। यह बड़ा पुण्यकारी है।

पूर्णिमा व्रत की एक बड़ी रोचक कथा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार किसी समय एक नगर में एक साहुकार रहता था। उसकी दो पुत्रियाँ थी। वे दोनों पूर्णिमा का उपवास रखती थी, लेकिन छोटी पुत्री हमेशा उस उपवास को अधूरा रखती और दूसरी पूरी श्रद्धा के साथ व्रत का पालन करती। कुछ समय बाद दोनों का विवाह हुआ। विवाह के बाद बड़ी पुत्री ने अत्यंत सुन्दर, स्वस्थ्य सन्तान को जन्म दिया, जबकि छोटी पुत्री को कोई सन्तान नहीं हो रही थी। वह काफी परेशान रहने लगी। उसके साथ-साथ उसके पति और परिजन भी परेशान रहते। उसी दौरान नगर में एक विद्धान ज्योतिषी आए। पति-पत्नी ने सोचा कि एक बार ज्योतिषी महाराज को कंुडली दिखाई जाए। यह विचार कर वे ज्योतिषी के पास पहुँचे। उन्होंने स्त्री की कुंडली देखकर बताया कि इसने पूर्णिमा के अधूरे व्रत किए हैं, इसलिए इसको पूर्ण सन्तान सुख नहीं मिल पा रहा है। तब ब्राहमणों ने उसे पूर्णिमा व्रत की विधि बताई व उपवास रखने का सुझाव दिया।
इस बार स्त्री ने विधिपूर्वक व्रत रखा। इस बार पुत्री के सन्तान ने जन्म लिया परन्तु वह सन्तान कुछ दिनों तक ही जीवित रही। उसने मृत शिशु को पीढ़े पर लिटाकर उस पर कपड़ा रख दिया और अपनी बहन को बैठने के लिए बुला लाई। उसने वही पीढ़ा उसे बैठने के लिए दे दिया। बड़ी बहन पीढ़े पर बैठने ही वाली थी कि उसके कपड़े को छूते ही बच्चे के रोने की आवाज आने लगी। उसकी बड़ी बहन को बहुत आश्चर्य हुआ और कहा कि तू अपनी ही सन्तान को मारने का दोष मुझ पर लगाना चाहती थी, अगर इसे कुछ हो जाता तो। तब छोटी ने कहा कि यह तो पहले से मरा हुआ था। आपके प्रताप से ही यह जीवित हुआ है। बस फिर क्या था, पूर्णिमा व्रत की शक्ति का महत्व पूरे नगर में फैल गया। नगर में विधि-विधान से हर कोई यह उपवास रखे, इसकी राजकीय घोषणा करवाई गई। वह स्त्री भी अब पूर्ण श्रद्धा से यह व्रत रखने लगी और उसे बाद में अनेक स्वस्थ और सुन्दर सन्तानों की प्राप्ति हुई।

विश्व जागृति मिशन मुख्यालय आनन्दधाम मंे परम पूज्य गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज की प्रेरणा एवं उनके दिव्य सानिध्य में चल रहे श्री गणेश-लक्ष्मी महायज्ञ का समापन इस बार ‘शरद पूर्णिमा’ को हो रहा है। यह बड़ा पुण्यकारी है। देशवासी इस सुअवसर का लाभ उठाएँ और श्री गणेश-लक्ष्मी महायज्ञ में भाग लेने के लिए आनन्दधाम पहुँचें।

Celebrating Shradha Parv

Celebrating Shradha ParvLove, Care, Support and Faith; are the 4 pillars of a relationship between parents and their children. Introducing “Shradha Parv”, a selfless day dedicated to parents, praying for their long healthy life for sharing our every joy and sadness like in childhood, whose beauty somehow is lost in its essence as we grow up and we get busy in our lives. Growing up is a part of our lives, we always will experience new things and learn many new things but all these things will take place possibly because of our basic life values and our ethics that are taught to us by our parents, whom we find to be annoying as they grow old. To shine on a different angle to this situation and make each child realize their parents’ value and worth in ever changing lives, His Holiness Sudhanshu Ji Maharaj took on to allot a day for parents like a day for every other relation is done. His aim of allocating a day purely for parents came into action on 2nd October, 1997, when first “Shradha Parv” was celebrated where he put it out there for all to know the importance of each parent for each child and vice-a- versa. A day to celebrate our creators, our parents, and not doing it all just for the sake of one day but to make it our lives’ part for our parents have gone to lengths beyond their measure for our happiness and wishes to be fulfilled. Mishandling, dishonoring, creating controversies and breaking families’ bonds beyond repair; to be away from all these troubles, Sudhanshuji Maharaj built 500 rooms in Anand Dham Ashram and with the aim of creating an Anand Dham Ashram in every household, where every parent is treated with love and tended to with care and supported without any doubt or burden. This day of Shradha Parv lets one seek forgiveness for any wrong you may have committed and be thankful for their guidance and be gratified for their presence in your lives, without any conditions.

“To pilgrimage to a thousand places would still not be enough if one cannot tend to their parents.” – His Holiness Sudhanshuji Maharaj. In saying this, Maharajshri has said to tend to your parents and you shall be blessed beyond measure. Spend the money you may donate to temples for their infrastructural growth, spend it on your parents and be in servitude to The Almighty in truest and purest way, for our parents are our Gods.

विजामि के देहरादून सत्संग के चौथे दिवस का पूर्वाहनकालीन सत्र

आदतों को अपने ऊपर हावी न होने दें, बुद्धिमत्ता अपनाएँ

satsang-dehradun-30-09-18-Sudhanshuji Maharajदेहरादून, 30 सितम्बर। मनुष्य परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ रचना है। ईश्वर ने उसे विवेक दिया है, शेष योनियों को वह सुविधा प्राप्त नहीं। बुद्धिमत्ता भी उसमें कूट-कूट कर भरी गयी। लेकिन जीवन में कई बार देखा जाता है कि व्यक्ति की बुद्धिमत्ता धरी की धरी रह जाती है और आदतें उस पर हावी हो जाती हैं। आदतें मनुष्य की सभी खूबियों को हराकर जीत जाती हैं। आप आदतों पर अपने ऊपर हावी मत होने देना।

यह बात देश के प्रख्यात चिन्तक, विचारक एवं अध्यात्मवेत्ता सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने आज प्रातःकाल परेड ग्राउंड में उपस्थित जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए कही। वह विश्व जागृति मिशन के देहरादून मण्डल द्वारा आयोजित विराट भक्ति सत्संग महोत्सव में प्रातःकालीन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आदतें धीरे-धीरे बनती हैं, जो मनुष्य का संस्कार बन जाती है। संस्कारों के अनुरूप आदमी कर्म करता है और किए गए कामों के अनुसार हमारा भाग्य बनता है। उन्होंने जीवन में नियम व अनुशासन के पालन की प्रेरणा दी और कहा कि प्रधानमंत्री सहित पूरी संसद द्वारा बनाया गया कानून आम आदमी की तरह उन सब पर भी यथावत लागू होता है। जिस तरह विधायिका द्वारा बनाए कानूनों का पालन करने वाला व्यक्ति ‘अच्छा नागरिक’ कहा जाता है, उसी प्रकार ईश्वरीय नियमों का पालन करने वाले ही सच्चे अर्थों में ‘धार्मिक’ कहे जा सकते हैं। उन्होंने सच्चा आध्यात्मिक व्यक्ति बनने का आह्वान सभी से किया।

आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने ध्यान-योग की कक्षा में पधारे हजारों जिज्ञासुओं को कई व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिए और उन्हें दैनिक जीवन में उतारने का सुझाव दिया। उन्होंने साधना और भक्ति द्वारा पूर्व संचित कुसंस्कारों को गलाने की विधि सिखलाई। दिव्य संगीत से सजे साधना सत्र में भाग लेकर वहाँ मौजूद जनमानस भावविभोर हो उठा। कुछ ध्यान जिज्ञासुओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि ध्यान-योग की आज की कक्षा में अपूर्व शक्ति व आनन्द की अनुभूति उन्हें हुई।

देहरादून सत्संग महोत्सव के मुख्य संयोजक श्री मनोज शास्त्री ने बताया कि मिशन मुख्यालय आनन्दधाम नई दिल्ली स्थित व्हाइट लोट्स हॉस्पिटल के तत्वावधान में सत्संग स्थल पर आयोजित ‘विशेष स्वास्थ्य शिविर’ में सैकड़ों स्त्री-पुरुषों ने अपने शरीर का परीक्षण क्वांटम एनाइजर मशीन से कराकर नाड़ी विशेषज्ञों का मार्गदर्शन परेड ग्राउंड में प्राप्त किया है। उल्लेखनीय है कि डॉ. एस एन दहिया एवं डॉ. सुनील मुदगल के द्वारा अनथक सेवाएँ इस शिविर में दी गईं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्डवासी आनन्दधाम पहुंचकर वाइट लोट्स अस्पताल की सेवाओं का लाभ प्राप्त सकते हैं।

देहरादून के परेड ग्राउंड में विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का तीसरा दिन

760 करोड़ जनता व 300 मजहबों की इस दुनिया में प्रार्थना एक सार्वभौम विधा है। सभी प्रार्थना को जीवन का अविभाज्य बनाएँ।

श्री सुधांशु जी महाराज ने सांध्यक़ालीन प्रवचन में कहा

satsang-dehradun-29-09-18-Sudhanshuji Maharajदेहरादून, 29 सितम्बर। भगवान शिव और माँ गंगा की धरती उत्तराखंड की राजधानी द्रोणनगरी देहरादून आज ‘ॐ नमः शिवाय’ के सामूहिक गायन से गूंज उठी। यहाँ के परेड ग्राउंड में हजारों नर-नारियों द्वारा सन्त श्रीसुधांशु जी महाराज के साथ गायी गई शिव स्तुति से सम्पूर्ण क्षेत्र शिवमय हो उठा।

विराट् भक्ति सत्संग महोत्सव के तीसरे दिवस के सांध्यकालीन सत्र में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि 700 करोड़ लोगों की इस दुनिया में करीब 300 मत-मजहब हैं। सभी पन्थ-सम्प्रदायों में प्रार्थना एक जैसी विधा है, जो सार्वभौम है और वह सभी जगह समान रूप से विद्यमान है। उन्होंने सत्संग सभागार में मौजूद ज्ञान-जिज्ञासुओं से कहा कि वे प्रार्थना को कभी न भूलें। प्रार्थना आपका सम्बन्ध परम पिता से सदा जोड़े रखती है। इस धरती पर स्वर्गीय परिस्थितियॉं उत्पन्न करने के लिए काम करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कविवर मैथिलीशरण गुप्त द्वारा प्रभु श्रीराम पर लिखी पंक्तियों ”भव में नव वैभव व्याप्त कराने आया हूँ, नर को नारायण का बोध कराने आया हूँ। स्वर्ग नहीं मैं इस धरती पर लाया, इस भूतल को ही स्वर्ग बनाने आया हूँ”।

श्रद्धेय महाराज श्री ने कहा कि सफल लोग निन्दा में विश्वास नहीं रखते, वे दूसरों को आगे बढ़ाते हुए विनम्रतापूर्वक आगे बढ़ते चले जाते हैं। उन्होंने उत्तराखण्ड की आयुर्वेद एवं जड़ी-बूटी सम्पदा का समादर करते हुए उसके जरिये इस प्रान्त की युवा शक्ति को स्वावलंबी बनाने की प्रेरणा दी और कहा कि विश्व जागृति मिशन ने इसी उद्देश्य से ‘युगऋषि आयुर्वेद’ के एक बड़े कार्यक्रम का श्रीगणेश किया है। उन्होंने ‘स्वच्छ भारत’ के साथ ‘स्वस्थ भारत’ की परिकल्पना को साकार करने का आह्वान सभी से किया।

विश्व जागृति मिशन देहरादून मण्डल के प्रधान श्री सुधीर शर्मा ने बताया कि गुरु दीक्षा का सामूहिक कर्मकाण्ड रविवार 30 सितम्बर को 12 बजे से परेड ग्राउंड में शुरू होगा। उन्होंने बताया कि सत्संग समारोह का समापन कल सायंकाल 7 बजे होगा। रविवार को भी प्रातःक़ालीन सत्र 8 बजे से 10.30 बजे तक तथा सायंकाल 5 बजे से 7 बजे तक चलेगा।

शरीर, मन व आत्मा की स्वस्थता के लिए ध्यान जरुरी

ध्यान-योग कक्षा में सुधांशु जी महाराज बोले

Dhyan Sadhana-dehradun-29-09-18-Sudhanshuji Maharajदेहरादून, 29 सितम्बर। ध्यान एक उच्च स्तर की साधना है। इसके जरिये मानव की आन्तरिक शक्तियों को जागृत किया जाता है। इससे शरीर, मन व आत्मा तीनों को स्वस्थ किया जाना सम्भव है। ध्यान के माध्यम से विकसित शक्ति को केन्द्रित करके उसका नियोजन सकारात्मक दिशा में किया जाए तो उस शक्ति का प्रवाह कई गुना बढ़ जाता है। हमारा आहवान है कि देवभूमि उत्तराखण्डवासी इस ऋषि प्रणीत विधा का महत्व समझें और न केवल इसे स्वयं अपनाएँ बल्कि इसे अंगीकार कर इसका लाभ अन्यों तक भी पहुंचायें।

यह उदगार आज प्रातःकाल द्रोणनगरी के परेड ग्राउंड में चल रहे विराट भक्ति सत्संग मंच से सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का आयोजन विश्व जागृति मिशन देहरादून मण्डल द्वारा किया गया है। आज तीसरे दिवस पूर्वाह्नकालीन सत्र में उन्होंने ध्यान की गंगा में हजारों स्त्री-पुरुषों को डुबकी लगवाई। उन्होंने प्रार्थना की सामर्थ्य से भी लोगों को परिचित कराया और उसे नर व नारायण के बीच का महत्वपूर्ण सेतु बताया। कहा कि निःशब्द प्रार्थना सबसे पहले सुनी जाती है। उन्होंने प्राणायाम की विविध विधियाँ ध्यान-साधकों को सिखलाईं और बताया कि शवांस और प्रश्वांस का स्वस्थ जीवन के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने अनुलोम, विलोम, प्राणायाम, भ्रामरी, उद्गीत ध्यान आदि का व्यावहारिक प्रक्षिक्षण भी उपस्थितजनों को दिया।

आयोजन समिति के संयोजक श्री मनोज शास्त्री ने बताया कि कल रविवार को सामूहिक मन्त्र दीक्षा मध्यान्ह 12 बजे से होगी। उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर लगे स्वास्थ्य शिविर का लाभ लेने की अपील सभी से की। उल्लेखनीय है कि इस हेल्थ कैंप में क्वांटम एनालाइजर मशीन से पूरे शरीर के परीक्षण की भी व्यवस्था है, साथ ही नाड़ी विशेषज्ञ द्वारा नाड़ी देखकर भी लोगों को आयुर्वेदिक व प्राकृतिक चिकित्सकीय परामर्श दिया जा रहा है।

देहरादून मे दूसरे दिन हरि ॐ नमो नारायणाय से गूँजा परेड ग्राउंड

सुखी-स्वस्थ जीवन हेतु श्रोताओं को मिले श्रीमद्भगवद्गीता के अमूल्य सूत्र

सन्त श्री सुधांशु जी महाराज की प्रवचन श्रृंखला जारी

Satsang-Dehradun-28-09-18-Sudhanshuji Maharajदेहरादून, 28 सितंबर। विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के दूसरे दिन के प्रात:कालीन सत्र में राजधानी का परेड ग्राउंड ‘हरि ओम नमो नारायणाय’ के पवित्र गायन से गूँज उठा। विश्व जागृति मिशन द्वारा आयोजित सत्संग समारोह में पधारे हजारों नर-नारियों को स्वस्थ एवं सुखी जीवन हेतु सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने श्रीमद्भगवद्गीता के अनेक सूत्र दिए। इसके पूर्व इसरो के आंतरिक उपयोग केंद्र की ओर से डॉ एमपीएस विष्ट ने सत्संग स्थल पर पहुंचकर श्रद्धेय महाराजश्री का अभिनंदन किया।

इस अवसर पर ज्ञान-जिज्ञासुओं को संबोधित करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि गीतानायक भगवान श्रीकृष्ण गीता के सन्देशों के माध्यम से अमृतमयी संदेश देकर जीवन को उच्चादर्शों से भर देते हैं। भगवान के गीतोपदेश मोह के बंधन ढीले कर देता है, वह व्यक्ति को लोभ की जंजीरों से मुक्त कर देता है।

उन्होंने कहा कि प्रकृति आपको आत्मचिन्तन का अवसर देती है। कहा कि प्रकृति एवं पर्यावरण की सम्पदा वाले सर्वोत्तम प्रदेश उत्तराखंड की दिव्य भूमि पर बैठकर भीतर वाले को सुनने की आदत डालिये। वहाँ की आवाज को सुनकर आप धन्य हो उठेंगे और वह सब करने लगेंगे, जो परमात्मा आपसे कराना चाहता है। इससे आप चिन्ताओं का मुकाबला करना सीखेंगे, जिससे जीवन के ढेरों समाधान मिलेंगे। उन्होंने रिश्तों का महत्व सबको समझाया और उन्हें अपनी ताकत बना लेने को कहा।

मिशन प्रमुख ने नौ धर्मादा सेवाओं की चर्चा की और कहा कि वृद्ध सेवा, गो सेवा, रोगी चिकित्सा सेवा, गुरुकुल सेवा, पर्यावरण सेवा, देवदूत बच्चों की शिक्षा, भोजन सेवा, धर्मशाला निर्माण एवं भण्डारा सेवा में सेवार्थ धन लगाने वाले व्यक्तियों का पीढ़ी-दर-पीढ़ी कल्याण होता है। उन्होंने देश-विदेश के विविध प्रसंगों की चर्चा करते हुए कहा कि अनेक देशों के लोग अपने राष्ट्र के सर्वथा हितैषी होते हैं, भारतवर्ष में इस भावना को बहुत ज्यादा बढ़ाने की जरुरत पर उन्होंने बल दिया। श्री सुधांशु जी महाराज ने नवरस संजीवनी, अमृत रस, मधुसूदनी, एलोवेरा, आयुर्केल-डी, यूरीटोन, काशकेसरी इत्यादि युगऋषि आयुर्वेद की वस्तुओं का उपयोग करने का सुझाव दिया।

विश्व जागृति मिशन देहरादून मंडल के महामन्त्री श्री प्रेम भाटिया ने बताया कि 30 सितंबर को मध्याह्नन 12 बजे सामूहिक गुरुदीक्षा का क्रम चलेगा, जिसके पंजीयन सत्संग स्थल पर किए जा रहे हैं।उन्होंने प्रातः 8 से 10 बजे तथा सायं 5 से 7 बजे के सत्संग-सत्रों में भाग लेने की अपील देहरादून वासियों से की।