सदगुरु मानव जीवन की अनिवार्य आवश्यकता: श्री सुधांशुजी महाराज

“भावावेश बुरी बात है लेकिन भावावेश में की गई भक्ति जीवन को धन्य कर देती है”

यदि सिखाया न जाए तो व्यक्ति अपनी भाषा भी नहीं सीख सकता

”मेरे प्रभू तू इतना बता तेरे लिए मैं क्या करूँ? मन में मेरे बसे हो तुम मन्दिर में जाके क्या करूँ”

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का चौथा दिवस

Sadguru mandatory requirement of human life | Sudhanshu Ji Maharajनागपुर, 29 दिसम्बर (सायं)। यदि बच्चे को कुछ सिखाया न जाए तो आदमी इस दुनिया की कोई भी भाषा नहीं सीख पाए। जो सिखाते हैं उन्हें ‘गुरु’ कहा जाता है। व्यक्ति के जन्म लेने के बाद मां बच्चे को अक्षर-ज्ञान कराती है उसे शब्द सिखाती है, भाषा सिखाती है। माँ हर इंसान की प्रथम गुरु होती है, साथ ही पिता गुरु की भूमिका निभाता है। बड़े होने पर विद्यार्थी जीवन में अनेक शिक्षक मिलते हैं वह भी गुरु कहलाते हैं। जब जीवन के सच्चे मार्गदर्शक सदगुरु के रुप में मिलते हैं तब व्यक्ति का जीवन निहाल हो उठता है।

यह उदगार आज यहाँ महावीर उद्यान प्रांगण में चल रहे सत्संग के सायंकालीन सत्र में प्रख्यात चिंतक, विचारक, अध्यात्मवेत्ता एवं विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक श्री सुधांशु जी महाराज ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि सद्गुरु मानव जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है। जीवन में सद्गुरु के मिल जाने पर जीवन धन्य हो जाता है। जिस तरह लता पेड़ का सहारा पाकर वृक्ष से भी ऊँची उठ जाती है, उसी प्रकार शिष्य श्रेष्ठ गुरु से जुड़कर उच्चता एवं महानता के उच्च शिखर को पा लेता है। उन्होंने विवेकानंद व ठाकुर रामकृष्ण परमहंस, चंद्रगुप्त मौर्य व आचार्य चाणक्य, शिवाजी और समर्थ गुरु रामदास आदि निष्ठावान शिष्यों एवं समर्थ गुरुओं का उल्लेख किया। जीवन में सद्गुरु की अनिवार्य ज़रूरत की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यदि मिट्टी के गुरु की भी स्थिति बनें तो ऐसा करने में हिचकना नहीं चाहिए। उन्होंने श्रद्धावान समर्थ शिष्य ‘एकलव्य’ की विशेष चर्चा की और कहा कि श्रद्धा और विश्वास के सहारे व्यक्ति इतिहास में अमर हो जाता है।

श्री सुधांशु जी महाराज ने उपस्थित जनसमुदाय से कहा कि तैश में, आवेश में और भावावेश में की गई गलतियाँ जीवन भर रुलाती हैं, लेकिन भावावेश में की गई भक्ति जीवन को धन्य कर देती है। इसलिए आप गीता के भक्तियोग और कर्मयोग को जीवन का अविभाज्य अंग बनाएँ।

आनन्दधाम से आयी संगीत विभाग की सात सदस्यीय टीम के सदस्यों के भजनों ने आज की सन्ध्या को बड़ा रोचक बना दिया। संगीत टोली में गायक आचार्य अनिल झा, कश्मीरी लाल चुग, राम बिहारी एवं महेश सैनी के अलावा वादक रवि शंकर, प्रमोद राय एवं चुन्नी लाल तंवर शामिल थे।

विश्व जागृति मिशन के नागपुर मण्डल के महामन्त्री एवं सत्संग कार्यक्रम के मुख्य यजमान श्री दिलीप मुरारका ने बताया कि विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का समापन कल रविवार को सायंकाल छः बजे होगा। मिशन के पदाधिकारी श्री बिट्ठल मेहेरकुरे ने जानकारी दी कि मध्यान्हकाल में कई सौ साधक-जिज्ञासु सामूहिक गुरु दीक्षा सद्गुरु श्री सुधांशु जी महाराज से ग्रहण करेंगे।

ध्यान-योग के सत्र में सैकड़ों लोगों ने सीखे गहरे उतरने के गुर

गहरे उतरने पर ही मोती मिला करते हैं – श्री सुधांशु जी महाराज

Hundreds of people learned to go deep into the session of meditation yoga | Sudhanshuji Maharajनागपुर, 29 दिसम्बर (प्रातः)। विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के चौथे दिन का प्रातःकालीन सत्र ध्यान-योग की कक्षा को समर्पित रहा। इस सत्र में सैकड़ों स्त्री-पुरुषों एवं युवाओं ने ध्यान की गहराइयों में उतरने के गुर सीखे। भीतरी शक्तियों को जागृत करके उनका नियोजन आत्म सुधार से लेकर परिवार निर्माण एवं समाज निर्माण में करने की महत्वपूर्ण विधाएँ विश्व जागृति मिशन के प्रणेता सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने उपस्थित ध्यान-जिज्ञासुओं को सिखाईं। आनन्दधाम नई दिल्ली से आये धर्माचार्य श्री अनिल झा ने योग का व्यावहारिक प्रशिक्षण सभी को दिया।

ध्यान-योग सत्र में बड़ी संख्या में आये स्वास्थ्य-जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि यदि मोती पाने हैं तो गहरे उतरना ही होगा। ध्यान व्यक्ति को गहरे उतार देता है। ध्यान के माध्यम से व्यक्ति के भीतर छिपी हुई शक्तियाँ जाग उठती हैं। यह ऊर्ध्वगमन श्रेष्ठता की ओर किया जाता रहे तो साधारण सा दिखने वाला व्यक्ति असाधारण बन जाता है। उन्होंने कहा कि सभी सफल व्यक्ति इसी गहरी विधा से ही ऊँचे उठे हैं।

उन्होंने ज्योतिर्लिंग व ओंकार ध्वनि के प्राकट्य पर चर्चा करते हुए बताया कि आज तक संपूर्ण सृष्टि में वही ॐकार ध्वनि गूँजती रहती है। यही अनहद ध्वनि है अर्थात जिसकी कोई सीमा नहीं है और जो बिना चोट से प्रकट हुई है। यह अनहद ध्वनि ही परमात्मा की वास्तविक ध्वनि है। उन्होंने कहा कि संसार की ध्वनियाँ चोट मारने से प्रकट होती है, इसे अहद ध्वनि कहते हैं।

सन्तश्री ने कहा कि अ, उ और म में समाया है सम्पूर्ण संसार। यही तीन अक्षर दुनिया की समस्त ध्वनियों का मूल हैं। यह ऐसी ध्वनि है जिसे गूंगा और बाचाल दोनों बोल सकते हैं। क्योंकि यह परमात्मा द्वारा निकली ध्वनि है। इसलिए ॐ शब्द को किसी भी मन्त्र के पूर्व में लगाकर उस मन्त्र को शक्तिवान बनाया जाता है। पर ॐ की ध्वनि के साथ जब भक्ति का भाव जुड़ जाता है और भक्त प्रभु में लीन हो जाता है तब जीवन में परमात्मा प्रकट होता है। उन्होंने सभी को प्रेरित किया कि आप परमात्मा से संगति स्थापित करने के लिए भक्ति की मौज में प्रवेश करो।

श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि योगियों और ध्यानियों के देश में रहकर ध्यान-योग का लाभ न ले पाना बड़ी विडम्बना का विषय है। इस विडम्बना को दूर करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि अनेकों मन्त्र महान वैज्ञानिक ऋषियों ने बड़ी तपश्चर्या के उपरान्त मानव समाज को दिए हैं। इसलिए मन्त्र, ध्यान, योग से जुड़कर सभी को ऊँचे उठना चाहिए। उन्होंने मन्त्र सिद्धि साधना, वरदान सिद्धि साधना एवं चांद्रायण तप साधना के भावी कार्यक्रमों में पधारने का न्यौता उपस्थित जनसमुदाय को दिया।

आनन्दधाम से आए वृद्धाश्रम प्रभारी श्री रमेश सरीन ने बताया कि इस आश्रम में वृद्धजनों की सेवा बड़े अच्छे तरीक़े से की जाती है। नयी दिल्ली से आए श्री सूर्यमणि दूबे ने घर बैठे गौसेवा के तरीक़े बताए। उन्होंने बताया कि देशी नस्ल के गौवंश की सेवा मिशन की गौशालाओं में की जा रही है।

परमात्मा श्रेष्ठ भक्तों के रूप में धरती पर अवतरित होते हैं

”एक भक्त सन्तान तार देती है पूरा कुल खानदान”

आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने सूर्य शक्ति से जुड़े रहने का किया सभी से आह्वान

”देके तुम थकते नहीं हो ऐसे तुम सरकार हो”

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का तीसरा दिन

Gods are descended on the earth as the best devotees | Sudhanshuji Maharaj28 दिसम्बर (सायं)। ”तुम मेरे जीवन के धन हो और प्राणधार हो” गीत जब महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर के महावीर उद्यान से गुंजरित हुआ, तब लगा कि सारा का सारा जहान यह गीत गा उठा हो। विश्व जागृति मिशन के कल्पनापुरुष-प्रणेता सन्तश्री सुधांशु जी महाराज द्वारा गाये गए इस भजन में सृष्टि-नियंता परमेश्वर की अगाध महिमा गायी गई। ”देके तुम थकते नहीं हो ऐसे तुम सरकार हो” पंक्ति पर करतल ध्वनि के साथ कई हजार की संख्या में प्रांगण में मौजूद ज्ञान-जिज्ञासुओं ने अपनी भी सहमति जताई और यह भजन साथ-साथ गाया।

सूर्य शक्ति की महत्ता का विवेचन करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने ‘तेजोसि तेजोमयि धेहि” और ‘गायत्री महामन्त्र’ के मन्त्रों को जीवन का ध्येय मन्त्र बनाने का आह्वान देशवासियों से किया। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि शिवाजी, महाराणा प्रताप, तेनम्मा और झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई जैसे महावीर भारतभू पर जन्म लें। कहा कि सूर्य-साधक सूर्य की तरह चमकने वाला व्यक्तित्व होता है। उन्होंने नयी पीढ़ी के सदस्यों को सच्चा आध्यात्मिक बनने की प्रेरणा दी और कहा कि योगेश्वर श्रीकृष्ण के विभिन्न रूपों से हमारे युवा प्रेरणा प्राप्त करें। कहा कि आज के बदलते युग में ऊर्जावान व्यक्तित्वों की इस राष्ट्र को महती आवश्यकता है।

कार्यक्रम में मिशन की नागपुर महिला समिति के सदस्यों का सम्मान किया गया। समिति के सदस्यों द्वारा विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के आयोजन में सराहनीय सहयोग प्रदान किया गया है।

कार्यक्रम का मंचीय संचालन एवं समन्वयन आनन्दधाम नयी दिल्ली से आए विजामि निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

राष्ट्र समाज अवार्ड्स महोत्सव 2018 – चीफ गेस्ट श्री सुधांशुजी महाराज

महामना मदनमोहन मालवीय संस्कृत, शिक्षा और नवीन भारत को गढ़ने वाले महापुरुष थे।

Rashtra Samaj Awards Mahotsav 2018 | Sudhanshu Ji Maharajविश्व विख्यात संत सुधांशु जी महाराज के पावन सान्निध्य में मंगलवार 25 दिसम्बर, 2018 को कांस्टीट्यूशन क्लब में राष्ट्र समाज द्वारा महामना मदनमोहन मालवीय की जन्म जयंती के पावन अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी और सम्मान समारोह में उन्होंने विचार व्यक्त किए कि भारत रत्न महामना मदनमोहन मालवीय संस्कृत, शिक्षा और नवीन भारत को गढ़ने वाले महापुरुष थे। उन्होंने समाज में इस बात का संदेश दिया कि हिन्दू संस्कृति से बढ़कर कोई संस्कृति नहीं और हिन्दू धर्म से बढ़कर कोईधर्म नहीं है। महामना भेदभाव और छुआछूत की दृष्टि को खत्म करने वाले थे। वकालत करते हुए उन्होंने चौरी-चौरा कांड में फांसी की सजा पाए 170 अभियुक्तों में से 150 को बचाया। उन्होंने कहा कि महामना कुशल संपाक, कवि, इतिहासवेत्ता, वकील और लेखक थे।

इस विचार गोष्ठी में देश-विदेश से आये प्रसिद्ध सम्पादकों, वकीलों, धर्मगुरुओं एवं मीडियाकर्मियों ने भाग लिया। उपस्थित श्रेष्ठजनों ने महाराजश्री को करतलध्वनि के बीच सम्मानित किया और उनके विचारों को शांत भाव से सुना। सभी उपस्थितजनों में महाराजश्री से आशीर्वाद पाने की प्रबल उत्कण्ठा थी।

समारोह में पंजाब केसरी समूह की डायरेक्टर श्रीमती आभा चोपड़ा ने कहा कि महामना अपने आप में अद्वितीय हैं। उन्होंने कांग्रेस के द्वितीय अधिवेशन से लेकर अपनी अंतिम सांस तक स्वराज्य के लिए काम किया। वह चार बार कांग्रेस के सभापति चुने गए और हिन्दू महासभा के फाउण्डर रहे और फिर बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के फाउण्डर बने।

इस समारोह में राष्ट्र समाज की ओर से विभिन्न क्षेत्रें में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को अवार्ड दिए गए। पूज्य श्री सुधांशु जी के करकमलों से से पुरस्कार पाने वाले 12 लोगों में विश्व जागृति मिशन से करुणासिन्धु अस्पताल के मुख्य प्रबन्धक श्री राकेश आहूजा एवं मुख्य सम्पादक डॉ- नरेन्द्र मदान शामिल रहे। कार्यक्रम के आयोजक प्रमोद तिवारी ने समारोह के अंत में सभी का धन्यवाद किया।

अपनी सन्तान को धन का नहीं धर्म का वारिस बनाएँ

मानव जीवन परमात्मा द्वारा प्रदत्त अनुपम उपहार है -श्रीसुधांशु जी महाराज

श्रीमद्भागवत पर भक्ति सत्संग में हो रही प्रेरक चर्चा

Do not make your children the heir of wealth-Sudhanshuji Maharajनागपुर, 28 दिसम्बर (पूर्वाह्न)।यहाँ महावीर उद्यान प्रांगण में चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के तीसरे दिन के पूर्वाह्नकालीन सत्र में प्रख्यात चिंतक, विचारक अध्यात्मवेत्ता श्री सुधांशु जी महाराज ने श्रीमद्भगवतगीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा ‘समय की महत्ता’ पर दिए गए सन्देशों पर विशेष चर्चा की। उन्होंने समय को सबसे बड़ा देवता बताया। वह विश्व जागृति मिशन के नागपुर मंडल द्वारा आयोजित सत्संग समारोह में हजारों की संख्या में पधारे ज्ञान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित कर रहे थे।

गीतोपदेश पर हो रही गंभीर चर्चाओं को आगे बढ़ाते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि मानव जीवन परमेश्वर द्वारा दिया गया एक अनुपम उपहार है। इसका एक-एक क्षण बड़ा ही मूल्यवान है। समय की अतीव महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि समय का सही नियोजन करने वाले व्यक्ति ही जीवन में ऊँचे उठते हैं। इतिहास केवल उन्हीं को याद रखता है। इसलिए जीवन के एक-एक पल का सदुपयोग करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

कर्मयोग पर उदबोधन करते हुए मिशन प्रमुख ने राजा जनक की भाँति कर्म को अपने उद्धार का माध्यम बनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि कर्म की लिप्तता से बचते हुए कमलपत्रवत् जीवन जीना चाहिए। मोह इस लिप्तता को बढ़ाता है। हैरत की बात यह है कि मोह प्रेम जैसा ही दिखता है। मोह प्रेम जैसा दिखता तो है लेकिन वैसा होता नहीं। अतः बच्चों को साधन एकत्र करके देने के स्थान पर उन्हें शिक्षा, संस्कार, धर्म इत्यादि देना चाहिए। उन्होंने अपनी संतानों को धर्म का वारिस बनाने को कहा।

आनंदधाम नई दिल्ली से आये स्वास्थ्य सेवाओं के स्टॉल प्रभारी श्री विष्णु चौहान ने बताया कि मिशन मुख्यालय पर करुणासिंधु अस्पताल, युगऋषि आरोग्य धाम एवं द व्हाइट लोट्स हॉस्पिटल नामक तीन अस्पतालों के जरिए वंचित वर्ग के लाखों लोगों को चिकित्सा सेवाएँ प्रदान की जा रही है। उन्होंने ध्यान-योग गुरु डॉ. अर्चिका दीदी के नेतृत्व में आगामी 16 से 26 जून की तिथियों में आयोजित कैलास मानसरोवर यात्रा की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 21 जून को विश्व भर में मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस साल 2017 से पहली बार कैलास मानसरोवर के उच्च हिमालयी क्षेत्र में सम्पन्न कराया जा रहा है। उन्होंने शिवभक्तों को कैलाश यात्रा का निमन्त्रण दिया।

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का नागपुर में दूसरा दिन – 27 दिसम्बर

सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने की गुरुतत्व पर चर्चा

नागपुर में चल रही है पांच दिवसीय ज्ञान-चर्चा

Virat Bhakti Satsang-Nagpur 27 December 2018 evening | Sudhanshuji Maharajनागपुर, 27 दिसम्बर (सायं)। विश्व जागृति मिशन द्वारा आयोजित विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के दूसरे दिवस की संध्याकाल संतश्री सुधांशु जी महाराज ने ‘गुरु शक्ति की अनिवार्य आवश्यकता’ विषय पर विस्तार से चर्चा की। महावीर उद्यान प्रांगण में विशाल जनसमुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मानव जीवन में गुरुसत्ता की आवश्यकता उसी तरह होती है जैसे जीवन के लिए हवा और पानी की ज़रूरत होती है। गुरुतत्व का विवेचन करते हुए उन्होंने कहा कि गुरुदेव जीवन के मार्गदर्शक होते हैं। सद्गुरु के माध्यम से हमें अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा नियमित रुप से प्राप्त होती है।

”शरण में आ पड़ा तेरी प्रभू मुझको भुलाना ना, पकड़ लो हाथ अब मेरा नाथ देरी लगाना ना” गुरुवंदना के इस भजन के साथ हुई सांध्यकालीन ज्ञान यज्ञ चर्चा में आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि गीतानायक प्रभु श्रीकृष्ण गीतोपदेश देते हुए एक गुरु की महान भूमिका का निर्वहन करते दिखाई देते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता में मोहग्रस्त घृतराष्ट्र के उद्धत एवं मदमस्त पुत्र दुर्योधन के अन्तहीन अहंकार के कारण उपजे महाभारत के भीषण युद्ध में गुरु-रूप भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के मन-मस्तिष्क को योद्धा एवं विजेता बनाते हैं। श्रीकृष्ण का एक नाम ‘मदन’ (यानी मद नहीं) बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें अर्जुन की तरह अपने जीवन रथ की बागडोर ईश्वर को सौंप देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब मन में युद्ध होता है तब वह युद्ध भूमि पर अवश्य उतरता है। श्री सुधांशु जी महाराज ने वर्ष 2018 में गीता के 18 अध्यायों में से 18 श्लोकों का सार-संदेश ग्रहण करने का आह्वान उपस्थित जनसमुदाय से किया।

सत्संग समारोह स्थल पर लगे एक दर्जन से अधिक स्टॉलों के प्रभारी एवं युगऋषि आयुर्वेद के राष्ट्रीय मार्केटिंग प्रमुख श्री प्रयाग शास्त्री ने बताया कि महावीर उद्यान परिसर में युगऋषि आयुर्वेद, साहित्य, गौशाला, वृद्धजन, धर्मादा, करुणा सिन्धु अस्पताल, बालाश्रम, बाल विकास योजना, कैलास मानसरोवर यात्रा आदि के स्टॉल लगाए गए हैं। इन स्टालों का लाभ हजारों व्यक्ति उठा रहे हैं।

नागपुर में शिव महिमा के गायन से गूँजा महावीर उद्यान

नागपुर में विराट भक्ति सत्संग महोत्सव शुरू

कर्मों को कुशलतापूर्वक करना उच्च स्तर की योग साधना है

राष्ट्र को महाराष्ट्र बनाने का हुआ उदघोष

Virat bhakti Satsang Nagpur 27 Dec 2018 | Sudhanshuji Maharajनागपुर, 27 दिसम्बर (पूर्वाह्न)। कल बुधवार सायंकाल महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में विराट् भक्ति सत्संग महोत्सव का आगाज गया। विश्व जागृति मिशन के नागपुर मंडल के तत्वावधान में आरंभ पाँच दिवसीय सत्संग महोत्सव के दूसरे दिन यहां का महावीर उद्यान शिव महिमा के समूह गायन से गूंज उठा। मिशन प्रमुख संतश्री सुधांशु जी महाराज द्वारा ॐ नमः शिवाय के भजन पर सभी ओर भोलेनाथ-महाकाल शिवशंकर की अनुगूंज प्रवाहित हो उठी।

श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञान-प्रसार को समर्पित सन् 2018 के अंतिम कार्यक्रम में महाराष्ट्र एवं पड़ोसी प्रांतों के विभिन्न अंचलों से आए ज्ञान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए महाराजश्री ने उनसे अपने जीवन का लक्ष्य तय करने को कहा। लक्ष्य विहीन जीवन को उन्होंने अंधेरी व संकरी गली में भटकाव की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि ऊंचे लक्ष्य की पूर्ति सात्विकता से होती है, यह सात्विकता सदविचारों और भक्ति से आती है।

सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने विशालकाय घर को एक छोटी सी ‘चाभी’ द्वारा सुरक्षित कर देने की उपमा बड़े से शरीर की सुरक्षा एवं उसके विकास के लिए ‘मन’ को काबू करने से की। उन्होंने कहा कि घर से छोटा कमरा, कमरे से छोटा दरवाजा, दरवाजे से छोटा ताला और उससे भी छोटी ताली होती है। इसी तरह मानव काया के विभिन्न अंगों में सबसे छोटा सा मन बेहद महत्वपूर्ण होता है। बताया कि जिस तरह मजबूत व अच्छा ताला और चाभी विशाल घर को सुरक्षित कर देता है, उसी तरह छोटे से लगने वाले मन को नियंत्रित कर लेने पर न केवल आपका शरीर बल्कि उसमें निवास कर रही परमात्मा का अंश ‘आत्मा’ मजबूत बनती चली जाती है।

नई दिल्ली स्थित मिशन मुख्यालय आनन्दधाम से आए धर्मादा सेवा प्रभारी श्री जी.सी.जोशी ने बताया कि अनाथाश्रम (अनाथ एवं निर्धन बच्चों के लिए शिक्षा सेवा), गुरुकुल सेवा, वृद्धाश्रम सेवा, करुणा सिन्धु धर्मार्थ अस्पताल सेवा, कामधेनु गौशाला सेवा, भंडारा सेवा, देव मन्दिर सेवा, यज्ञ-सत्संग सेवा एवं दैवीय आपदा सेवा आदि नौ धर्मादा सेवाओं तथा पूज्य महाराजश्री के ज्ञान-सन्देशों के कारण देश का जनमानस भारी संख्या में मिशन से जुड़ा और जुड़ रहा है। उन्होंने देवदूत (अनाथ) बच्चों की शिक्षा सम्बन्धी बाल विकास योजना की भी जानकारी दी। विश्व जागृति मिशन के नागपुर मण्डल के महामन्त्री एवं मुख्य यजमान श्री दिलीप मुरारका ने बताया कि सत्संग महोत्सव का समापन 30 दिसम्बर की सायंकाल होगा।

प्रभु से प्रार्थना तो करें पर देवऋषि नारद की प्रार्थना की तरह उद्देश्य हितकारी ही हो

विश्व जागृति मिशन कार्यकर्ता पीतमपुरा अंचल में सेवा कार्यों में तेजी लाएँ – सुधांशु जी महाराज

श्रीमद्भागवत सत्संग समारोह का हुआ समापन

Shrimad Bhagwad Satsang Pitampura-16-12-18 | Sudhanshuji Maharajपीतमपुरा-नई दिल्ली,16 दिसम्बर (सायं)। विश्व जागृति मिशन द्वारा यहाँ रामलीला ग्राउंड में विगत 5 दिनों से चल रहे श्रीमद् भागवत सत्संग समारोह का आज सायंकाल विधिवत समापन हो गया। सत्संग सभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विभिन्न अंचलों के स्त्री-पुरुषों ने बड़ी संख्या में भागीदारी की। इसके पूर्व आज मध्याह्नकाल में सामूहिक मंत्रदीक्षा भी सम्पन्न हुयी। सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने मिशन कार्यकर्ताओं से पीतमपुरा अंचल सहित एनसीआर के विभिन्न क्षेत्रों में लोकहितकारी सेवा कार्यों को तेज करने के निर्देश विदाई सत्र में दिए। इसके पूर्व रोहिणी विधायक श्री महेन्द्र गोयल एवं उत्तरी दिल्ली नगर निगम के डिप्टी चेयरमैन श्री जय किशन गोयल सहित कई विशिष्टजनों ने श्रद्धेय महाराजश्री का पीतमपुरा क्षेत्र में स्वागत किया।

इस अवसर पर सत्संग सभागार में उपस्थित ज्ञान-जिज्ञासाओं को सम्बोधित करते हुए मिशन प्रमुख ने प्रार्थना की ताकत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रार्थना की भाव-तरंगें आपकी आंतरिक गहराई के अनुसार ब्रह्माण्ड में संव्याप्त होती हैं। वे भाव तरंगे अतिशय गहरी साधना करने वाले साधकों के आसपास एक ऊर्जा-घेरा का निर्माण कर देती हैं। कारण, कि ऋषियों द्वारा गुह्यतम साधनाओं की शक्ति से अनुसंधानित प्रत्येक मन्त्र का अपना एक देवता होता है, साधना की भाव-तरंगों के साथ उस देवता की शक्ति भी संयुक्त हो जाती है। अगणित हो गयी वह ऊर्जा साधक को भीतरी व बाहरी दोनों ओर से समृद्ध बना देती है। उन्होंने ऐसी समृद्धि से भरने का आह्वान हर समझदार व्यक्ति से किया। कहा कि आप प्रार्थना अवश्य कीजिएगा लेकिन ठीक वैसे ही जैसे देवर्षि नारद ने भगवान विष्णु से की थी। उन्होंने कहा कि प्रार्थना अपने एवं सबके लिए हितकारी ही की जानी चाहिए। परमेश्वर प्रार्थना का हितकारी फल ही प्रदान करते हैं। ज्ञातव्य है कि मिशन की ‘प्रार्थना’ नामक पुस्तक इन दिनों काफ़ी लोकप्रिय हो रही है।

सत्संग स्थल पर लगे लगभग एक दर्जन स्टालों का प्रभार संभाल रहे श्री प्रयाग शास्त्री ने बताया कि साहित्य, युगऋषि आयुर्वेद, धर्मादा, वृद्धाश्रम, कामधेनु गौशाला, महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ, करुणासिन्धु अस्पताल, युगऋषि आरोग्य धाम, द व्हाइट लोट्स हॉस्पिटल, जीवन संचेतना, अनाथ (देवदूत) शिक्षा, डॉ. अर्चिका फाउन्डेशन आदि सेवाओं से जुड़े सेवा-स्टालों का लाभ भारी जन-समुदाय ने बीते पांच दिनों में उठाया। युगऋषि आयुर्वेद के राष्ट्रीय विपणन प्रमुख श्री शास्त्री ने बताया कि युगऋषि आयुर्वेद हेल्थकेयर फाउंडेशन के तहत पूर्णतः वैज्ञानिक व आयुर्वेदिक ढंग से बनाए गए 175 उत्पादों की मांग निरंतर बढ़ रही है। बताया कि इन उत्पादों के निर्माण का उद्देश्य घरों में बीमारियों के प्रवेश को रोकना है।

कार्यक्रम का समापन श्रद्धेय श्री सुधांशु जी महाराज के नागरिक अभिनंदन और आरती के साथ सत्संग महोत्सव का समापन हुआ। मिशन प्रमुख ने श्री यशपाल सचदेव सहित पीतमपुरा मण्डल के सभी सक्रिय कार्यकर्ता भाई-बहिनों को स्नेहपूर्ण आशीर्वाद दिया। समस्त कार्यक्रमों का सभा संचालन एवं मंचीय समन्वयन विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

‘जैसी भावना वैसा फल’ की उक्ति शाश्वत-डॉ. अर्चिका दीदी, उपाध्यक्ष, विश्व जागृति मिशन

ईश्वर सर्वज्ञ है और मनुष्य अल्पज्ञ

ज्ञान मार्ग पर चलकर बढ़ें परमेश्वर की ओर

ध्यान-योग की विशेष कक्षा में सन्त श्री सुधांशु जी महाराज के उद्गार

Shrimad Bhagwad Satsang-Dhyan-16-12-18 | Sudhanshuji Maharajपीतमपुरा-नई दिल्ली,16 दिसम्बर (पूर्वाह्नकाल)।यहाँ रामलीला मैदान में १२ दिसम्बर से चल रहे श्रीमद् भागवत सत्संग समारोह के आखिरी दिन का पूर्वान्हकालीन सत्र ध्यान-योग कक्षा को समर्पित रहा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विभिन्न अंचलों से आये सैकड़ों स्त्री-पुरुषों ने इस विशेष सत्र का लाभ उठाया। विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक श्रद्धेय श्री सुधांशु जी महाराज ने ध्यान-जिज्ञासुओं से कहा कि ईश्वर ‘सर्वज्ञ’ है और मनुष्य ‘अल्पज्ञ’ है। कर्म के सिद्धांत का पालन करते हुए ज्ञान मार्ग पर चलकर प्रभु की उस सर्वज्ञता की ओर बढ़ा जा सकता है। श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि जब बुद्धि तमोगुणी होती है तब वह न केवल खुद तमोगुणी व्यक्ति का विनाश करती है बल्कि अन्य अनेकों के लिए भी हानिकर होती है। रजोगुण की प्रबलता वाले व्यक्ति चंचल स्वभाव के होते हैं और सतोगुणी व्यक्ति इहलोक व परलोक दोनों को संवार लेते हैं। सद्गुरु के सानिध्य एव मार्गदर्शन से मानव की बुद्धि सुबुद्धि में बदल जाती है और उसके जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन हो जाता है।

ध्यान जिज्ञासुओं को ध्यान-योग के अनेक महत्वपूर्ण सूत्रों का सैद्धांतिक विवेचन करते हुए ध्यान-योग गुरु डॉ. अर्चिका दीदी ने उन्हें व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की भावना जैसी होती है वह वैसा ही बन जाता है। कहा- आपकी भावनाओं की तरंगें आपके पास ही वापस आती हैं और अच्छा या बुरा फल देती हैं। आपके कर्म एवं भावनाएं आपकी लगाई ऐसी फसल है, जो निःसन्देह आपको ही काटनी होगी। इसलिए महापुरुषों ने कहा है कि ”जैसा बोओगे-वैसा काटोगे”। उन्होंने स्वस्थ वृत्त का व्यावहारिक प्रशिक्षण सभी को दिया।

विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र में बताया कि श्रीमद भागवत सत्संग समारोह का समापन आज सायंकाल होगा। मध्यान्हकाल में सामूहिक मन्त्र दीक्षा का कार्यक्रम सम्पन्न होगा।

जिज्ञासा और जिजीविषा परमात्मा द्वारा मनुष्य मात्र को दी गईं विशेष विभूतियाँ

प्रेरक भजनों से सजी सन्ध्या

श्रीमद भागवत सत्संग समारोह का चौथा दिन

Shrimad Bhagwad satsang Pitampura 15-12-18 | Sudhanshuji Maharajपीतमपुरा-नई दिल्ली,15 दिसम्बर। विश्व जागृति मिशन के पीतमपुरा मंडल के तत्वावधान में यहां चल रहे श्रीमद् भागवत सत्संग के चौथे दिवस भी संस्था प्रमुख संत श्री सुधांशु जी महाराज ने उपस्थित जनमानस का प्रभावी मार्गदर्शन किया। उधर आज प्रातःकाल ध्यान-योगगुरु डॉ. अर्चिका दीदी ने सत्संग पंडाल में पधारे स्वास्थ्य-जिज्ञासुओं को स्वस्थवृत्त से जुड़े ढेरों सूत्र दिए। उन्होंने योगासन कराकर सभी को योग विज्ञान से जुड़ने के लिए प्रेरणा-प्रोत्साहन दिया। उन्होंने स्वस्थ, शांत एवं आनंदमय जीवन की व्यावहारिक बातें सभी को समझाईं।

संध्याकालीन सत्र में बोलते हुए मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि सभी मनुष्यों को परमात्मा ने जिज्ञासा और जिजीविषा के रूप में दो बड़ी महत्वपूर्ण चीजें दी हैं। जीने की उत्कट इच्छा तथा सीखने की सतत अभिलाषा व्यक्ति को निरंतर आगे बढ़ाते हैं। लौकिक शिक्षाओं के साथ-साथ आध्यात्मिक शिक्षा प्रत्येक मानव के लिए बेहद आवश्यक है। इससे व्यक्ति गम्भीर व्यक्तित्व का धनी बनता है। चंचलता व्यक्ति को कमजोर बनाती है, अतः जीवन में गाम्भीर्य बहुत ज़रूरी है।

श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि परमेश्वर से मिलने का द्वार ‘गुरु’ को बताया गया है। गुरु व्यक्ति की आस्था को मजबूत बनाते हैं। सद्गुरु के मिलने में कठिनाई अवश्य होती है लेकिन यह शक्य होने पर आत्मसत्ता की जन्म-जन्मांतर की इच्छा पूरी हो जाती है और वह अपने प्यारे प्रभु से मिलने का सौभाग्य प्राप्त कर लेती है। उन्होंने कहा कि भगवान से ज्यादा चाहत रखने की बजाय भगवान को ज्यादा चाहना चाहिए। ऐसे व्यक्ति प्रभु के इस प्रिय उद्यान, इस संसार को सुंदर बनायें, गुरु की सदैव यही इच्छा रहती है।

संगीत विभाग आनंदधाम से आए गायक दल के सदस्यों श्री कश्मीरी लाल चुग, श्री राम बिहारी, श्री महेश सैनी एवं श्रीमती पूनम गुलाटी द्वारा प्रभु श्रीकृष्ण एवं गुरुतत्व पर प्रस्तुत भजनों ने उपस्थित जनसमुदाय को भाव विभोर किया।

सत्संग सभा में हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग चंडीगढ़ के चेयरमैन डॉ. एस.एन.अग्रवाल, नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. सुधन पौडेल, विश्व जागृति मिशन के महामन्त्री श्री देवराज कटारिया, महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ के प्रधान श्री दौलत राम कटारिया, गुडगांव मिशन परिवार के वरिष्ठ प्रतिनिधि श्री नरेश अग्रवाल, रमेश गुप्ता, प्रमोद सोलंकी, क्षेत्रीय सभासदद्वय श्री सुरजीत ठाकुर एवं श्रीमती अंजू जैन सहित भारी संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का मंचीय समन्वयन आनन्दधाम से आए मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

पीतमपुरा मण्डल के प्रधान श्री यशपाल सचदेव ने बताया कि कल रविवार का प्रातःक़ालीन ध्यान-योग सत्र नौ बजे आरम्भ होगा। दोपहर १२.०० बजे मन्त्रदीक्षा करायी जाएगी। सांध्यक़ालीन सत्र ४.३० बजे शुरू होगा। कल सायं सात बजे श्रीमद भागवत सत्संग समारोह सम्पन्न हो जाएगा।