परमेश्वर से प्रीत सबसे ऊँची प्रीत, परमात्मा ही विश्वास करने योग्य

अपनी दिनचर्या में प्रार्थना के लिए समय अवश्य निकालें और उसका समय निश्चित हो

अपने असल स्वरूप से जुड़ने का सर्वाधिक प्रभावी माध्यम- ध्यान

Virat Bhakti Satsang Ludhiana-31-Mar-2019a | Sudhanshu Ji Maharaj‘गुरु मेरी पूजा गुरु गोविन्द, गुरु मेरा पारब्रह्म गुरु भगवन्त”

लुधियाना, 31 मार्च (प्रातः)। विगत चार दिनों से यहाँ चल रहे अमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव के आखिरी दिवस का पूर्वाहनकालीन सत्र भी कल की भाँति ध्यान-योग कक्षा को समर्पित रहा। कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय के विशाल परिसर में 28 मार्च से चल रहे विराट सत्संग समारोह की ध्यान कक्षा में देश के लब्ध-प्रतिष्ठित अध्यात्मवेत्ता श्री सुधांशु जी महाराज ने ध्यान-जिज्ञासुओं को लगातार दूसरे दिन ध्यान की गहराइयों में उतारा।

ध्यान को अपने असली स्वरूप से जुड़ने का सबसे प्रभावी माध्यम बताते हुए उन्होंने कहा कि परमेश्वर से प्रीत करना ही सबसे ऊँची प्रीत है। वह अक्षुण्ण है, वह सदा बनी रहने वाली है। परमेश्वर ही विश्वास करने योग्य है। उन पर भरोसा करने वाले व्यक्ति निर्भीक होते हैं और सदैव आनंदित रहते हैं। परम पिता परमात्मा पर विश्वास मनुष्य के भीतरी-पक्ष को सुदृढ़ बनाता है। उन्होंने ईश विश्वास और प्रभु के प्रति श्रद्धा को ऊँचा उठाने को कहा तथा सबसे अपील की कि आप प्रभु पर श्रद्धा एवं विश्वास दृढ़ रखते हुए अपने कर्म-पथ पर निष्ठापूर्वक आरूढ़ रहें, आपका जीवन नि:सन्देह सफलताओं से भरा-पूरा बनेगा।

मिशन प्रमुख ने सकारात्मक चिन्तन को मानव की सबसे बड़ी सम्पत्ति बताया और अनेक उद्धरण सुनाते हुए सकारात्मकता के लाभ गिनाए। उन्होंने बड़े ही रोचक व संगीतमय वातावरण में सकारात्मक सोच को उभारने के ध्यान सूत्र हजारों की संख्या में उपस्थित जनसमुदाय को सिखाये। उन्होंने ध्यान-योग के इन सूत्रों को दैनिक जीवन में अभ्यास व आचरण में लाने का आग्रह किया। उन्होंने तनाव से बचने के सूत्र सिखाए और एकाग्रता के ज़रिए जीवन की विभिन्न समस्याओं का निदान करने का तरीक़ा समझाया। कहा कि एकाग्रता को जीवन का अविभाज्य हिस्सा बनाने पर जीवन की क़ीमत बहुत अधिक बढ़ जाती है।

विश्व जागृति मिशन प्रमुख श्री महाराज जी ने ‘प्रार्थना की शक्ति’ की चर्चा करते हुए कहा कि विश्व के ७६० करोड़ लोगों में से हर व्यक्ति किसी न किसी तरह प्रार्थना करता है। उन्होंने अपनी दैनिक दिनचर्या में प्रार्थना के लिए अनिवार्य एवं अपरिहार्य रूप से स्थान निर्धारित करने का आह्वान किया। उन्होंने राष्ट्र भक्ति को जीवन में सर्वोच्च स्थान देने को कहा तथा “भारत देश है मेरा” शीर्षक वाले राष्ट्रीयता से ओतप्रोत राष्ट्र-गीत के साथ राष्ट्र-देवता का विलक्षण ध्यान कराया। श्रद्धेय महाराजश्री ने अपने सैनिकों को समाज व जीवन के हर क्षेत्र में सम्मान देने का आह्वान देशवासियों से किया। ‘अभिनंदन का अभिनंदन है’ गीत पर तो सत्संग सभागार में मौजूद सभी स्त्री-पुरुष थिरक उठे।

विश्व जागृति मिशन नई दिल्ली के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि मिशन मुख्यालय आनन्दधाम में आगामी मई माह से महर्षि वेदव्यास उपदेशक महाविद्यालय का शुभारंभ किया जा रहा है। इस कॉलेज की स्थापना का उद्देश्य देश को बड़ी संख्या में ‘श्रेष्ठ धर्मोपदेशक’ प्रदान करना है। आर्ष ग्रन्थों श्रीमद्भवदगीता, श्रीमदभागवत, श्रीरामचरितमानस, वेद विज्ञान आदि पर प्रभावी उदबोधन-प्रवचन करने वाले प्रखर उपदेशक तथा यज्ञ व संस्कार के विद्वान उपयोगी कर्मकाण्डी आचार्य तैयार करके उनके माध्यम से राष्ट्रीय चेतना को झकझोरने के प्रयत्न बड़े पैमाने पर किये जायेंगे।

विश्व जागृति मिशन लुधियाना मण्डल के प्रधान श्री राम चन्द्र गुप्ता ने बताया कि अमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव का समापन सत्र आज सायंकाल 04 से 06 बजे तक सम्पन्न होगा।

अन्तःप्रेरणा सबसे बड़ी ताकत, वही है गुरु शक्ति

कृतज्ञता सबसे बड़ा पुण्य, कृतघ्नता महापाप

आयुर्वेद को पुनः प्रतिष्ठित करने की आवश्यकता

Virat Bhakti Satsang Ludhiana-31-Mar-2019 | Sudhanshu Ji Maharajअमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव का तीसरा दिवस

लुधियाना, 30 मार्च (सायं)। यहाँ गर्ल्स पीजी कॉलेज प्रांगण में आज के सांध्यक़ालीन सत्र में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि अन्तःप्रेरणा सबसे बड़ी ताकत है, उसे ही गुरु शक्ति कहा जाता है। अन्दर की यह आवाज गुरुमुख व्यक्ति के जीवन में आमूल-चूल बदलाव ला देती है। उन्होंने पाँचवां वेद कहे जाने वाले भारतीय चिकित्सा विज्ञान के सिरमौर आयुर्वेद को पुनः प्रतिष्ठित करने की जरूरत बतायी और कहा कि इस आध्यात्मिक परिवार द्वारा युगऋषि आयुर्वेद की संरचना इसी निमित्त की गई है। उन्होंने अपनी मूल प्रकृति की ओर लौटने का आह्वान सभी से किया।

पंजाब एवं पड़ोसी राज्यों से भारी संख्या में सत्संग महोत्सव में लुधियाना पहुँचे ज्ञान-जिज्ञासुओं से उन्होंने कहा कि गुरुसत्ता साधक को विपरीत परिस्थितियों में भी उनसे लड़कर सफलता की राह पर आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान करती है। अनुकूल माहौल में अनेक लोग आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन प्रतिकूल स्थितियों में आगे बढ़ने वाले परमवीर कहलाते हैं। ऐसा कर पाने की प्रेरणा व्यक्ति को गुरुतत्त्व से मिला करती है। उन्होंने गुरु को ‘लाइफ कोच’ की संज्ञा दी।

मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने इतिहास प्रसिद्ध गुरुओं के कई वृतान्त उपस्थित जनसमुदाय को सुनाए और देश के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को महान शिक्षक बताया। उन्होंने माता को प्रथम गुरु बताया और कहा कि पिता, मार्गदर्शक परिजन तथा शिक्षक गुरुओं से होते हुए जब शिष्य की यात्रा आध्यात्मिक गुरु तक पहुंचती है, तब उसका जीवन सार्थक हो उठता है। उन्होंने कहा कि गुरु वह है जो प्रभु के इस विश्व उद्यान को सुन्दर बनाने के लिए बड़े पैमाने पर जनमानस को प्रेरित करे। उन्होंने कृतज्ञता को सबसे बड़ा पुण्य और कृतघ्नता को महापाप बताया। उन्होंने श्रेष्ठ बनने की विविध-विधि प्रेरणायें सभी को दीं।

इसके पूर्व भारतीय जनता पार्टी के लुधियाना प्रधान श्री जतिन्दर मित्तल एवं पंजाब भाजपा के उप प्रधान श्री जीवन गुप्ता सहित कई गण्यमान व्यक्तियों ने सत्संग स्थल पर पहुँचकर उनका अभिनन्दन किया। इस अवसर पर मिशन की लुधियाना इकाई के प्रधान श्री राम चन्द्र गुप्ता द्वारा श्री जतिन्दर मित्तल, श्री जीवन गुप्ता, श्री के.के.जैन, अजय अलीपुरिया एवं प्रदीप गर्ग का अंगवस्त्र भेंटकर उन्हें सम्मानित किया गया।

जीवन में सही निर्णय लेने की कला सीखें

श्री सुधांशु जी महाराज ने सिखाईं ध्यान-योग की विधियाँ

Virat Bhakti Satsang Ludhiana-30-Mar-2019 | Sudhanshu Ji Maharajलुधियाना, 30 मार्च (प्रातः)। यहाँ पीजी कॉलेज ऑफ गर्ल्स परिसर में चल रहे अमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव में तीसरे दिवस के प्रातःकालीन सत्र में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने ध्यान जिज्ञासुओं को ध्यान-योग का सैद्धान्तिक व व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। उन्होंने उन्हें ध्यान की विधियाँ सिखाईं तथा दैनन्दिन जीवन में उपयोगी योग के सरल व सहज आसन सभी को सिखाये।

इस मौके पर श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि जीवन में सही निर्णय लेने की कला सीखें। इसके लिए गम्भीर आत्मचिन्तन की तो जरूरत होती ही है, अच्छे व समझदार सलाहकार की भी आवश्यकता होती है। भारतीय ऋषियों के योग विज्ञान को वैश्विक स्तर पर सम्मान दिलाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि निर्णायक क्षमता में बढ़ोतरी में योग विज्ञान बड़ा सहायक होता है।

मिशन प्रमुख ने जीवनचर्या पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी और कहा कि शान्ति में सोने वाले और आनन्द में जागने वाले व्यक्ति बड़े सौभाग्यशाली होते हैं। उन्होंने प्रातःकाल की आत्मबोध साधना तथा शयन पूर्व की तत्वबोध साधना की विधि सभी को सिखलाई। उचित ढंग से भोजन, रहन-सहन के तरीक़े और विचार व्यवहार की विधियों का शिक्षण देते हुए उन्होंने आयुर्वेद की भारतीय विद्या की ओर लौटने को कहा। श्रद्धेय महाराजश्री ने युगऋषि आयुर्वेद के राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की जानकारी भी दी और कहा कि इसका सहारा लेकर घरों में बीमारियों के प्रवेश को रोका जा सकता है। ध्यान-योग की कक्षा में बिखरे आनन्द का दृश्य बड़ा निराला था। भारी संख्या में स्त्री-पुरुषों ने अच्छी सेहत के लिए इन जीवन सूत्रों का पालन अपनी दिनचर्या में शामिल करने का संकल्प लिया।

नई दिल्ली से आये विश्व जागृति मिशन प्रतिनिधि श्री प्रयाग शास्त्री ने जानकारी दी कि घरों में बीमारियों का प्रवेश रोकने के उद्देश्य से चलायी गयी युगऋषि आयुर्वेद योजना के 175 उत्पाद देशवासियों को प्रभावी लाभ प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जय तुलसी, नवरस संजीवनी, मधुसूदनी रस, अमृत केसरी, आयुष वीटा, गाय का घी, शुभ्रदन्ति, लिव स्ट्रोंग, युरिटोन, सखी अमृत, पीड़ाशांतक तथा चन्दन सुधा साबुन नामक उत्पादों की सर्वाधिक माँग समाज से प्राप्त हो रही है। बताया कि इन आयुर्वेदिक उत्पादों के उपभोक्ताओं की विविध बीमारियाँ दूर हो रही हैं। कार्यक्रम का मंचीय समन्वयन व संचालन मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

अपने अन्दर बैठे ईश्वर से बातें करना सीखें

आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु

जज, लोकसेवी, शिक्षाविद सत्संग में पहुँचे

Virat Bhakti Satsang Ludhiana-30-Mar-19 | Sudhanshu Ji Maharajअमृत ज्ञान वर्षा का दूसरा दिन

लुधियाना, 29 मार्च (सायं)। यहाँ गर्ल्स पीजी कॉलेज के विशालकाय प्रांगण में गुरुवार से चल रहे चार दिनी अमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव के दूसरे दिवस की सन्ध्या में बड़ी संख्या में मौजूद ज्ञान-जिज्ञासुओं के बीच प्रवचन करते हुए राष्ट्र के वरिष्ठ अध्यात्मपुरूष आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि आलस्य एक ऐसी मानसिक बुराई है जो व्यक्ति को न केवल आगे बढ़ने से रोकती है बल्कि उसे निरन्तर पीछे की ओर ढकेलती है। आलस को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु बताते हुए उन्होंने इसे जल्द से जल्द दूर भगाने का आह्वान किया। कहा कि आलस्य एवं प्रमाद से दूर रहने वाले व्यक्ति साधारण सी अवस्था में रहते हुए भी असाधारण बन जाते हैं। उन्होंने अनुचित क्रोध, उतावलापन जैसी बीमारियों से बचने को कहा।

सत्संग स्थल पर दूर-दूर से आये ज्ञान-जिज्ञासुओं से तप-तितिक्षा की ताकत की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि तप से भीतर के विकार नष्ट होते हैं और सुसंस्कारों का जागरण होता है। उन्होंने स्व-नियंत्रण, संबंधों में निर्वहन, विभिन्न प्रकार के व्यक्तियों के साथ तालमेल और श्रद्धा आदि गुणों को जीवन की महत्वपूर्ण शक्तियों की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि इन सद्गुणों का विकास अपने जीवन में करने का निरंतर अभ्यास करें।

इसके पूर्व हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एसएन अग्रवाल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पंजाब राज्य कार्यकारिणी के वरिष्ठ पदाधिकारी श्री यश गिरि एवं उद्योगपति श्री राजीव बेरी आदि ने सत्संग स्थल पहुँचकर मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज का अभिनंदन किया।

नई दिल्ली स्थित मिशन मुख्यालय आनन्दधाम के संगीत विभाग के सदस्य आचार्य अनिल झा, श्री कश्मीरी लाल चुग एवं महेश सैनी द्वारा प्रस्तुत गुरु वन्दना, ईश वन्दना एवं राष्ट्र वन्दना के गीतों ने जनमानस को भीतर तक भिगोया। श्री राहुल आनन्द, सीएल तंवर एवं रविशंकर ने वाद्य यंत्रों पर उनका साथ दिया।

विश्व जागृति मिशन के लुधियाना मण्डल प्रधान श्री राम चन्द्र गुप्ता ने बताया कि अमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव में पंजाब के अलावा पड़ोसी अन्य प्रान्तों के लोग बड़ी संख्या में पहुँच रहे हैं। कार्यक्रम का मंचीय समन्वयन व संचालन मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

जहाँ संघर्ष है वहीं सुन्दरता, जहाँ धर्म है वहीं ईश्वर

सन्तुलन का नाम ही सौन्दर्य है, योग है

“मेरा नाथ तू है मेरा नाथ तू, नहीं मैं अकेला मेरे साथ तू”

Virat Bhakti Satsang Ludhiana-29-Mar-19 | Sudhanshu Ji Maharajलुधियाना के गर्ल्ज़ पीजी कालेज परिसर में अमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव की झलकियाँ

लुधियाना, 29 मार्च। जहाँ संघर्ष है वहीं सुन्दरता है, जहाँ संघर्ष है वहीं सफलता है, जहाँ धर्म है वहीं विजय है, जहाँ धर्म है वहीं भगवान है। जीवन का नाम ही संघर्ष है। संघर्ष ज़िन्दगी है लड़ना उसे पड़ेगा, जो लड़ नहीं सकेगा आगे नहीं बढ़ेगा।

यह बात आज पंजाब के लुधियाना महानगर के गर्ल्ज़ पीजी कालेज प्रांगण में चल रहे चार दिवसीय अमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव के दूसरे दिन पूर्वाह्नकालीन वेला के सत्र में आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने व्यक्त किए। वह विश्व जागृति मिशन के लुधियाना मण्डल के द्वारा आयोजित सत्संग महोत्सव में पधारे ज्ञान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि धर्म के पथ पर आरूढ़ व्यक्ति जीवन यात्रा में सदैव सफल होते हैं। इतिहास गवाह है कि ईश्वर ने हमेशा धर्म पर चलने वाले लोगों का साथ दिया है। उन्होंने धर्म पर चलने की सलाह सभी नर-नारियों को दी।

सत्संग लाभ लेने के लिए लुधियाना सहित पंजाब एक विभिन्न जनपदों तथा हरियाणा, उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश से आए स्त्री-पुरुषों को सम्बोधित करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि मानव अपने विचारों से ही उठता या गिरता है। उन्होंने भीतरी प्रसन्नता, सकारात्मक मानसिकता, उच्च आत्मसम्मान, आन्तरिक शान्ति, मज़बूत आध्यात्मिक सम्बन्ध आदि सात गुणों को मनुष्य की सर्वोच्च सम्पत्ति बताया और इन सद्गुणों को प्रयासपूर्वक बढ़ाने का आह्वान किया।

विजामि के लुधियाना मण्डल के महामन्त्री श्री संजीव कपूर ने बताया कि विविध आध्यात्मिक गतिविधियों के अलावा मिशन द्वारा अनाथ बच्चों की शिक्षा, संस्कृत शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, आयुर्वेद सेवा, वृद्धजन सेवा एवं गोसेवा जैसे प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सत्संग का समय प्रातःकाल आठ से दस बजे तथा सायंकाल पाँच सात बजे तक निर्धारित किया गया है।

कमज़ोरों के आँसू पोंछने वाले बनें, अच्छे लोग अच्छाई को बढ़ाएँ

लोगों पर भक्ति, सेवा और भगवान का रंग चढ़ाने वालों की तर जाती हैं कई पीढ़ियाँ

लुधियाना में अमृत ज्ञान वर्षा का विशेष महोत्सव शुरू

Virat Bhakti Satsang Ludhiana 28 Mar 19 | Sudhanshu Ji Maharajलुधियाना, 28 मार्च। पंजाब के प्रमुख शहर लुधियाना के स्नातकोत्तर महाविद्यालय प्रांगण में अमृत ज्ञान वर्षा का चार दिवसीय कार्यकम आज सायंकाल शुरू हो गया। विश्व जागृति मिशन के लुधियाना मण्डल द्वारा नयी दिल्ली स्थित मिशन मुख्यालय आनन्दधाम के तत्वावधान में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में प्रख्यात अध्यात्मवेत्ता आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने उपस्थित जनसमुदाय को जीवन साधना के कई महत्वपूर्ण सूत्र दिए।

हज़ारों की संख्या में वहाँ मौजूद ज्ञान जिज्ञासुओं को प्रेरित करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि वे यह ध्यान रखें कि उनके कारण किसी की आँखों में आँसू न आवें। पीड़ितों के आँसू पोंछने के काम को सच्ची प्रभु पूजा की संज्ञा देते हुए उन्होंने सभी का आह्वान किया कि वे समाज व देश में अच्छाइयों की वृद्धि करें। बुराइयों के हज़ार पैर बताते हुए महाराजश्री ने कहा कि अच्छाइयों की ख़ूब चर्चा और उसका प्रोत्साहन न केवल व्यक्ति और परिवार बल्कि समस्त लोक को शान्ति व सुख से भरने में सफल होता है। उन्होंने अपने सम्पर्क में आने वालों को भक्ति, सेवा और भगवान के रंग से सराबोर करने को कहा। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्तियों को उन सभी लोगों को प्राप्त पुण्य का अंश अनिवार्य रूप से मिलता है।

मिशन प्रमुख ने ध्यान-साधना में प्रयुक्त होने वाली माला की उपमा परमात्मा के धाम तक पहुँचने की सीढ़ी से की। उन्होंने माला जप, सिमरन, ध्यान, साधना आदि के बारे में विस्तार से जनमानस को समझाया। उन्होंने कहा कि इन सब साधना उपचारों से शरीर, मन, चेतना व आत्मा को अद्भुत स्वस्थता प्राप्त होती है। कहा कि स्वस्थ शरीर से की जाने वाली भक्ति को परमात्मा आसानी से स्वीकार करते हैं। श्रद्धेय महाराजश्री ने ईश्वरनिष्ठ सफल जीवन के अनेक सूत्र ज्ञान-जिज्ञासुओं को सिखाए।

इसके पूर्व लुधियाना मण्डल के प्रधान श्री राम चन्द्र गुप्ता, वरिष्ठ उप प्रधान श्री रमेश अग्रवाल, पटियाला के प्रधान श्री अजय अलिपुरिया, जालन्धर प्रधान श्री एस.के.चावला, संगरूर प्रधान श्री राकेश गोयल आदि ने मिशन प्रमुख का स्वागत किया।

विजामि के लुधियाना मण्डल अध्यक्ष श्री राम चन्द्र गुप्ता ने बताया कि सत्संग महोत्सव का यह कार्यक्रम रविवार-31 मार्च की सन्ध्याकाल तक चलेगा। उन्होंने बताया कि अन्तिम दिवस रविवार-दोपहर 12 बजे सत्संग स्थल पर सामूहिक मन्त्रदीक्षा का कार्यक्रम सम्पन्न होगा। बताया कि अमृत ज्ञान वर्षा का समय प्रातःकाल 8 से 10 बजे तथा सायंकाल 5 से 7 बजे रखा गया है। सभा संचालन व मंच समन्वयन का दायित्व संभाल रहे नयी दिल्ली से पधारे विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि सत्संग स्थल पर कई सेवाकार्यों को प्रदर्शित करते सेवा-स्टॉल लगाए गए हैं, जहाँ से यहाँ आए लोग लाभान्वित हो रहे हैं।

जीवन के निर्माण में भावनाओं की महती भूमिका

ह्ममुहूर्त में ध्यान-प्रार्थना करने वाले व्यक्ति व परिवार सौभाग्यशाली

विजामि प्रमुख ने स्वास्थ्य कक्षा में दिए निरोगी जीवन के अमूल्य सूत्र

श्री सुधांशु जी महाराज ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने का किया देशवासियों से आह्वान

करनाल में विराट भक्ति सत्संग जारी

Virat Bhakti Satsang Karnal 16 Mar 2019 | Sudhanshu Ji Maharajकरनाल, 16 मार्च। करनाल में मेरठ राजमार्ग स्थित पावनधाम आश्रम परिसर में बीते 15 मार्च को आरम्भ हुए विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के दूसरे दिन का पूर्वाह्नक़ालीन सत्र स्वास्थ्य कक्षा के रूप में परिणत हुआ। इस सत्र में वहाँ सैकड़ों की संख्या में मौजूद स्वास्थ्य-जिज्ञासुओं को निरोग जीवन के ढेरों सूत्र मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज से प्राप्त हुए। ध्यान-योग की और गहराइयों को जानने की बढ़ी माँग को दृष्टिगत रखकर कल रविवार का प्रातःक़ालीन सत्र स्वस्थवृत्त को ही समर्पित किया गया है।

ध्यान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए श्रद्धेय श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त बनाए रखने में भावनाओं की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण होती है।उन्होंने कहा कि भावनाओं से विचारों को जन्म मिलता है। और, जैसे विचार होते हैं वैसे ही कर्म मनुष्य द्वारा किए जाते हैं। उन्होंने श्रेष्ठ विचारों और उत्कृष्ट कर्मों का जीवन में आगमन कराने के लिए निज भावनाओं को सात्विक और ऊँचा बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि ब्राह्ममुहूर्त के दौरान ध्यान-साधना करने वाले व्यक्ति और परिवार बड़े सौभाग्यशाली होते हैं।

जीवन में अच्छी परिस्थितियाँ लाने के लिए मन:स्थिति को ऊँचा बनाने की आवश्यकता को अनिवार्य और अपरिहार्य बताते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि मानव जीवन में परिस्थितियों का निर्माण उसकी मन:स्थिति के अनुकूल ही होता है। जैसी ‘मन:स्थिति वैसी परिस्थिति’ और ‘जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि’ की विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने साधकों से हर दिन प्रातःक़ालीन जागरण के समय से ही घर व अपने आसपास सात्विक वातावरण बनाने का आह्वान किया।

आज की स्वास्थ्य कक्षा में श्रद्धेय महाराजश्री ने उपस्थितजनों को ध्यान योग का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया और उन्हें खानपान, रहन-सहन और आचार-व्यवहार के सिद्धान्त सिखाए। उन्होंने प्राच्य विद्या ‘योग’ को जीवन का अंग बना लेने की प्रेरणा दी तथा मौजूद स्त्री-पुरुषों को कई यौगिक आसन भी सिखाए। इस मौक़े पर करायी गयी ‘ॐ नमः शिवाय’ की स्वर साधना के दौरान वहाँ उपस्थित सभीजन भावविभोर हो उठे। श्री सुधांशु जी महाराज ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने का आह्वान देशवासियों से किया और भारत के आयुर्वेदिक उत्पादों का उपयोग घर-घर में बढ़ाने की अपील की।

विश्व जागृति मिशन करनाल मण्डल के प्रचार मन्त्री श्री रमेश अत्रेजा ने बताया कि सत्संग स्थल पर साहित्य, धर्मादा, युगऋषि आयुर्वेद, संस्कृत शिक्षा, स्वास्थ्य, देवदूत (अनाथ) बालक-बालिका शिक्षा, वृद्धजन सेवा, गौसेवा आदि सेवा कार्यों से जुड़े प्रायः एक दर्जन स्टाल नयी दिल्ली स्थित आनन्दधाम से आए श्री प्रयाग शास्त्री के नेतृत्व में लगाए गए हैं, जिनका लाभ सत्संग सभा में आए नर-नारी एवं युवक-युवतियाँ प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सत्संग समारोह का समापन कल रविवार की सायंकाल होगा।

करनाल के पावनधाम आश्रम में विराट भक्ति सत्संग महोत्सव शुरू

हरियाणा, पंजाब, उ.प्र. व उत्तराखण्ड राज्यों के ज्ञान जिज्ञासु कर रहे शिरकत

हृदय और मस्तिष्क का सम्यक् सदुपयोग करने वाले व्यक्ति होते हैं सफल

आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने राष्ट्र भक्ति से जन-जन को सराबोर करने पर दिया ज़ोर

विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों के साथ मन्त्री व विधायक ने मिशन प्रमुख का किया अभिनन्दन

“जपे जा तू वन्दे सुबह और शाम, जय राम जय राम जय जय राम”

Virat Bhakti Satsang Karnal-15-Mar-19करनाल, 15 मार्च। हरियाणा के प्रमुख नगर करनाल स्थित पावनधाम आश्रम के विशाल प्रांगण में विश्व जागृति मिशन के तत्वावधान में आज अपराह्नकाल तीन दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का समारोहपूर्वक शुभारम्भ हुआ। हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों से भारी संख्या में आए ज्ञान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए मिशन प्रमुख ने जीवनयापन के साथ अपने-आपको जीवनदाता से जोड़े रखने तथा राष्ट्रभक्ति को सर्वोपरि स्थान देने का आह्वान किया। इसके पूर्व हरियाणा सरकार के क़ाबीना मन्त्री श्री कर्णदेव काम्बोज, नीलोखेड़ी विधायक श्री भगवान दास कबीरपंथी सहित कई गण्यमान व्यक्तियों ने श्री सुधांशु जी महाराज का स्वागत किया।

इस अवसर पर बोलते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि हृदय और मस्तिष्क का सम्यक् सदुपयोग करने वाले व्यक्ति सदैव सफल होते हैं। आज ज़रूरत है कि ज्ञान को भक्ति दी जाय और भक्ति को ज्ञान का संबल दिया जाय। ये दोनों ही एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। उन्होंने श्रद्धा और विश्वास के साथ बुद्धिमत्ता को भी आवश्यक बताया। बुद्धि और दिल, धर्म और विज्ञान इनका संयुग्म व्यक्ति और समाज को पूर्ण बना देता है। देश में हरीतिमा संवर्धन के लिए बड़े पैमाने पर कार्य करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में मात्र १३ प्रतिशत क्षेत्र में वन हैं, जब कि किसी स्वस्थ राष्ट्र में वनीय अंचलों का प्रतिशत ३० से ज़्यादा होना चाहिए।

नाम जप, दैनिक हवन, स्वाध्याय की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने जीवनयापन के सहज क्रम के साथ जीवनदाता अर्थात् परमपिता परमेश्वर से ख़ुद को जोड़े रहने को कहा। इसके लिए उन्होंने हर आती-जाती साँस के साथ प्रभु स्मरण करने की विविध-विधि प्रेरणायें उपस्थित जनसमुदाय को दीं। श्रद्धेय महाराजश्री ने देशभक्ति को ईशभक्ति के समतुल्य बताया और हिंदुस्तान के अन्तिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र द्वारा रंगून की विदेशी धरती पर भारी प्रताड़नाओं के बीच एक सवाल के जवाब में अंग्रेज़ अधिकारी से कही गयी बात याद दिलायी। अपदस्थ भारतीय शासक बादशाह शाह ज़फ़र ने कहा था मैं तुम्हारी प्रताड़ना के दर्द को चुपचाप पीकर अपनी उस भूल का प्रायश्चित कर रहा हूँ कि मैंने समय रहते दुश्मन को अपनी ज़मीन पर कठोर दण्ड क्यों नहीं दिया और मारकर अपने मुल्क से क्यों नहीं खदेड़ा। मिशन प्रमुख ने पड़ोसी देश की आतंकी गतिविधियों को लगातार सहने की भारतीय नीति को अनुचित बताया और कहा कि २६/११ की मुम्बई की बड़ी घटना पर तब की भारत सरकार द्वारा १००० पृष्ठ के प्रमाण भेजने की तरह पुलवामा घटना पर वैसा करने की बजाय १००० किलो का बम भेजने का असर न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर पड़ा है। उन्होंने राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि मानकर उसे अपनाने पर ज़ोर दिया।

नयी दिल्ली से आए विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र के मंचीय समन्वयन व संचालन में चले कार्यक्रम में करनाल मण्डल के प्रमुख श्री राजेन्द्र भारती ने बताया कि सत्संग समारोह रविवार की सायंकाल तक चलेगा। उसी दिन मध्याह्नकाल सामूहिक मन्त्रदीक्षा का कार्यक्रम सम्पन्न होगा, जिसके लिए पंजीयन प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी है।

उस ‘एक’ को जानें जिसके जान लेने पर सब कुछ जान लिया जाता है

राष्ट्र की मजबूती के लिए गायत्री महामंत्र व महामृत्युंजय मंत्र के जप की दी सलाह

कैलाश मानसरोवर के यजमानों का हुआ सम्मान

”भूलो ना भूलो ना भूलो ना प्रभु याद रहे”

”चरण में रखना, शरण में रखना, हरदम अपनी लगन में रखना”

नागरिक अभिनन्दन के साथ रायपुरवासियों ने दी श्री सुधांशु जी महाराज को भावभीनी विदाई

रायपुर विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का हुआ समापन

Virat Bhakti Satsang Raipur-10-Mar-2019 | Sudhanshu Ji Maharajरायपुर, 10 मार्च (सायं)। बीते तीन दिनों से यहाँ चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आज सन्ध्याकाल समारोहपूर्वक समापन हो गया। विश्व जागृति मिशन के रायपुर मण्डल के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने हजारों की संख्या में छत्तीसगढ़ एवं पड़ोसी प्रान्तों के विभिन्न जिलों से आये ज्ञान-जिज्ञासुओं का सशक्त मार्गदर्शन किया।

विदाई सत्र में उपस्थित जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने आचार्य श्वेतकेतु और उनके पिता ऋषिवर उद्दालक के मध्य हुए संवाद का उल्लेख करते हुए उस ‘एक’ को जान लेने की सलाह सबको दी, जिसके जान लेने पर सब कुछ जान लिया जाता है। ब्रह्माण्ड के हर कण में संवाप्त ‘एक परमात्मा’ को जानने के लिए अनेक प्रभावी सूत्र उनने जिज्ञासुओं को दिए। कहा कि ‘असीम’ को जानना सरल नहीं होता, इसके लिए सतत अभ्यास और निरन्तर प्रयास की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि इसके लिए अपने अहंकार का गलाना पहली शर्त है। अहंकार विसर्जन के साथ-साथ भीतर की शान्ति से अपने-आपको जोड़ना पड़ता है। भीड़ में अकेला होने हेतु विशेष ध्यान का अभ्यास इसके लिए करना होता है। उन्होंने इस विषय को विस्तार देते हुए अनेक आध्यात्मिक सूत्रों से यहाँ मौजूद जनमानस को जोड़ा। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मनाली में 18 मई से 09 जून तक आहूत विशिष्ट ध्यान साधना शिविरों में भागीदारी करने का निमंत्रण दिया।

रायपुर के ब्रह्मलोक आश्रम (परसदा-कुम्हारी) में निर्माणाधीन श्री कैलाश मानसरोवर के निर्माण के लिए यजमान बनकर आगे आये सर्वश्री अश्विनी गुप्ता, छन्नू लाल साहू, अखिलेश गजपाल, के.के.एन. सिंह, दीपक शर्मा, शैलेश दुबे, मनोज पंजवानी, राजकुमार यदवानी, ललित प्रतीक अग्रवाल, पोकरमल होतवानी, ढोल प्रसाद हलवाई, शान्ति वर्मा, माधवी भीड़े, सेवंती नायडू, चमेली देवी शर्मा और शान्ति वर्मा ने इस कार्य को शीघ्र पूर्ण कराने के आश्वासन के साथ मिशन प्रमुख को विदाई दी।

रायपुर मण्डल के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज का नागरिक अभिनन्दन करके उन्हें भावभीनी विदाई दी। श्रद्धेय महाराजश्री ने मण्डल प्रधान श्री सुनील सचदेव सहित रायपुर की सक्रिय कार्यकर्ता टीम को अकूत आशीर्वाद के साथ शुभकामनाएँ कहीं। सत्संग समारोह का विधिवत समापन दिव्य आरती के साथ हुआ। मिशन अधिकारी श्री विनोद अग्रवाल ने मण्डल की ओर से शासन, प्रशासन, नगरपालिक निगम, पुलिस विभाग सहित सभी के प्रति आभार कहा।

समस्त कार्यक्रमों का सफल मंचीय समन्वयन एवं कुशल संचालन नयी दिल्ली से पधारे विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

शक्तियों का बिखरा रहना असफलताओं का मुख्य कारण

अनुशासन का दूसरा नाम है योग

स्वस्थ जीवन मनुष्य को परमात्मा का सर्वोत्तम उपहार

रायपुर के ब्रह्मलोक में बन रहा है श्री कैलाश मानसरोवर

अध्यात्म कठिन नहीं बेहद सरल, वह बोलने का नहीं बल्कि जीने का विषय

Virat Bhakti Satsang Raipur 10-Mar-19 | Sudhanshu Ji Maharajरायपुर, 10 मार्च (प्रातः)। स्वस्थ एवं निरोग जीवन परम पिता परमात्मा से मनुष्य को मिला सर्वोत्तम उपहार है। स्वस्थ शरीर और स्वच्छ मन के निर्माण को सबसे बड़ी प्राथमिकता बना लेने वाले व्यक्ति न केवल खुद का हित करने में सफल होते हैं वरन एक स्वस्थ एवं विकसित समाज के निर्माण में सहयोगी बनते हैं। अन्तत: एक विकसित व समृद्ध राष्ट्र के निर्माण में ऐसे लोगों की महत् भूमिका बन जाती है। किसी भी देश के नागरिक का यह योगदान व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र तथा अन्तत: विश्व के लिए एक बहुत बड़ा योगदान बन जाता है। अतएव इस ओर प्रत्येक जागरूक देशवासी को ध्यान देना ही चाहिए।

यह बात आज छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम प्रांगण में पिछले तीन दिनों से चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के तीसरे दिन के पूर्वाहनकालीन सत्र में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कही। आठ मार्च को दिल्ली से रायपुर पहुँचे विश्व जागृति मिशन प्रमुख आज प्रातःकाल स्वास्थ्य-जिज्ञासुओं की विशाल सभा को सम्बोधित कर रहे थे।

श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि परमेश्वर ने मानव मात्र को ढेरों शक्तियों से नवाजा है। उन शक्तियों का बिखरा रहना ही समस्त असफलताओं का मुख्य कारण है। इसलिए शक्तियों को क्षरण से बचाने के लिए लक्ष्य पर फोकस किया जाए। एकाग्रता के साथ ऐसा प्रयास करने वाले व्यक्ति अनेक विपरीतताओं के बीच तथा ढेरों असफलताओं के बीच भी सफलता के द्वार खोल लेते हैं। उन्होंने योग को अनुशासन का दूसरा नाम बताया और कहा कि आपको सफल बनाने के लिए कोई दूसरा व्यक्ति सहयोगी नहीं बनता, एक मूर्तिकार की तरह छेनी-हथौड़ी लेकर अपनी कमजोरियों पर उसी तरह चोट मारनी पड़ती है, जिस तरह वह मूर्तिकार पत्थर में छिपी मनमोहक एवं सुन्दर मूर्ति के आसपास के फालतू पत्थर को काट-छाँटकर एक ऐसी चीज समाज को दे देता है, जो सदा-सदा के लिए सबकी पूज्य बन जाती है। उन्होंने ध्यान-योग के इस अन्तिम सत्र में जनमानस को उत्तम स्वास्थ्य के अनेकानेक सूत्र देते हुए उन्हें क्रियात्मक प्रशिक्षण दिया।