परमात्मा का साथ ही है असली और स्थायी साथ

”तेरा है नाम दुनिया में पतित पावन सभी जानें”

Virat Bhakti Satsang Indore-12-Apr-2019 | Sudhanshu Ji Maharajविराट भक्ति सत्संग महोत्सव का दूसरा दिवस

इंदौर, 11 अप्रैल (सायं)। जीवन लगातार गतिमान है, स्वांसों की सीमित संख्या सबके पास है, बहुत बार ढेर सारे सपने देखते हुए व्यक्ति के अनेक सपने अधूरे रह जाते हैं। जब व्यक्ति का कोई भी सहारा नहीं रह जाता, तब उसका साथ ईश्वर देता है। वह परमेश्वर जिसे हम कभी याद नहीं कर पाए, वह ही काम आता है। मनुष्य का आखिरी व असली सहारा भगवान होते हैं, उन्हें कभी भी भुलाना नहीं चाहिए।

यह उदगार आज सायंकाल विश्व जागृति मिशन नई दिल्ली के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने रामलीला मैदान में चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के विशालकाय सभागार में हजारों की संख्या में मौजूद ज्ञान जिज्ञासुओं के बीच प्रवचन करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सफलता के दिनों में व्यक्ति के कदम निरन्तर आगे बढ़ाते जाते हैं लेकिन असफलता-जनित निराशा के समय में चार पग आगे बढ़ते हैं तो सहसा तीन कदम पीछे को आ जाते हैं। ऐसे में अन्तरतम में पूरी ईशनिष्ठा बनाये रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए। शनै: शनै: परिस्थितियाँ बदलती हैं और मनुष्य पूर्ण आशावाद के साथ सफलता की ऊँची सीढ़ियों पर चढ़ता चला जाता है।

विजामि प्रमुख ने उपस्थित ज्ञान जिज्ञासुओं को जीवन में स्थाई प्रगति के अनेक आध्यात्मिक सूत्र दिए और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए अपनी शुभ कामनाएं कहीं। उन्होंने देश के युवाओं को राष्ट्र का कर्णधार बताया और कहा कि हमारी युवा शक्ति को और अधिक सजगता के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है। उन्होंने युवाओं से अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा देने तथा बुराइयों व कुरीतियों से बचने का आह्वान किया।

विश्व जागृति मिशन के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय आनन्दधाम से आये मिशन प्रतिनिधि श्री प्रयाग शास्त्री ने बताया कि सत्संग स्थल पर एक दर्जन से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें युगऋषि आयुर्वेद, साहित्य सेवा, धर्मादा सेवा, स्वास्थ्य सेवा, गौशाला सेवा, वृद्धजन सेवा इत्यादि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इन स्टालों का लाभ भारी संख्या में इंदौरवासी उठा रहे हैं।

मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि संस्था द्वारा अनाथ (देवदूत) बालक-बालिकाओं के लिए चलाए गए शिक्षा कार्यक्रम को समाज के हर वर्ग से खासी सराहना मिली है। उन्होंने इस कार्यक्रम में और गति देने एवं बढ़ाने में सहयोग करने का आहवान किया।

अंतरंग को व्यवस्थित व संतुलित बनाकर हर क्षेत्र में की जा सकती है अपेक्षित प्रगति

इन्दौर सत्संग महोत्सव में आचार्य सुधांशु जी महाराज ने कहा

ध्यान योग को समर्पित रही पूर्वाहन की कक्षा

Virat Bhakti Satsang Indore-11-Apr-2019 | Sudhanshu Ji Maharajइंदौर, 11 अप्रैल (प्रातः)। यहाँ दशहरा मैदान में कल बुधवार शाम से चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आज का पूर्वाहनकालीन सत्र ध्यान – योग को समर्पित रहा। इस कक्षा में उपस्थित ध्यान जिज्ञासुओं को प्रख्यात चिन्तक, विचारक एवं अध्यात्मवेत्ता आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने ध्यान की गहराइयों में उतरने और आत्म – जागरण करने के विविध आध्यात्मिक तरीके सिखलाये। ज्ञातव्य है कि विश्व जागृति मिशन के इंदौर मण्डल के तत्वावधान में इंदौर नगरी के रामलीला मैदान में पाँच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का कार्यक्रम चल रहा है, जिस में इंदौर सहित मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों से ज्ञान जिज्ञासु भाग ले रहे हैं।

ध्यान-योग सत्र में प्रवचन करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने सेवा, रोजगार, व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि समस्त क्षेत्रों में सफलता के लिए ‘ध्यान’ को एक सशक्त माध्यम बताया और कहा कि भीतर वाले पक्ष को व्यवस्थित एवं संतुलित करके हम अपनी आध्यात्मिक, पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षिक, व्यापारिक, औद्योगिक, राजनैतिक सभी स्थितियों को ताकतवर बना सकते हैं और इन क्षेत्रों में सफलता की नई-नई राहें खोल सकते हैं। उन्होंने इसके अध्यात्मपरक तकनीकी पक्षों पर प्रकाश डाला तथा अनेक जीवन मन्त्र दशहरा मैदान में हजारों की संख्या में उपस्थित स्त्री – पुरुषों को दिए।

मिशन प्रमुख ने जीवन में असली मित्रों की पहचान करने की सलाह दी। उन्होंने विज्ञापनों की चकाचौंध भरी दुनिया से बचने को कहा। पहले महंगे-महंगे वस्त्र सिलवाने और फिर भारी पैसा देकर उन्हें फड़वाकर पहनने की अप-संस्कृति को उन्होंने बहुत बड़ी कुरीति बताया। उपस्थित जनसमुदाय से उन्होंने कहा कि आप इस नई तरह की कुरीतियों से प्रयासपूर्वक बचिए और अपनी भावी पीढ़ियों को बचाइए।

उन्होंने आनन्द की खोज में तड़पती जीवात्मा का विश्लेषण किया और बताया कि आनन्द प्रदान करने वाले विशाल वृक्ष का नाम ‘परमात्मा’ है। जीवन में सारे साधन मिल जाने पर भी आनन्द-धन यानी परमेश्वर से जुड़े बिना आनन्द की इच्छा मात्र कोरी कल्पना है। मिशन प्रमुख ने कहा कि आनन्द की प्राप्ति के लिए हमें अध्यात्म की सही डगर पर चलना ही पड़ेगा।

ध्यान – सत्र में मौजूद जिज्ञासु श्रोताओं का उत्साह देखते ही बन रहा है। मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि धीमे व मधुर संगीत के वातावरण में चल रही ध्यान कक्षा में भाग लेने के लिए भारी संख्या में नवरात्रि व्रतधारी भी इन्दौर के विभिन्न अंचलों से दशहरा मैदान स्थित सत्संग सभा स्थल पर पहुंच रहे हैं।

आनन्द में जागने और शांति में सोने का अभ्यास करने की दी नसीहत

सप्ताह के सभी सात दिनों की प्रेरणाएं जनमानस को दी

Virat Bhakti Satsang-Indore-10-Apr-2019 | Sudhanshu Ji Maharajमधुर भजनों से सजी आज की दिव्य संध्या

”चरण में रखना शरण में रखना हरदम अपनी शरण में रखना”

दशहरा मैदान में विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का हुआ आगाज

इंदौर, 10 अप्रैल। विश्व जागृति मिशन के इंदौर मण्डल द्वारा आयोजित पाँच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आज सायंकाल विधिवत शुभारम्भ हो गया। मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज आज नई दिल्ली से इंदौर पहुँचे। उन्होंने प्रदेश की औद्योगिक नगरी एवं शिक्षानगरी इंदौर सहित प्रान्त के विभिन्न जनपदों से हजारों की संख्या में दशहरा मैदान में पधारे ज्ञान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित किया।

सत्संग सभा में उदघाटन सत्र में बोलते हुए मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि हमारी प्रार्थना इस तरह की हो कि हम इस धरती पर अपने आगमन के कारण एवं मर्म को समझ सकें, हम अपने कर्मों की सुगन्धित से दसों दिशाओं को दिव्य सुवास से भर सकें, हम ऊँचे लक्ष्य के लिए अपने को समर्पित कर सकें, हम वह कर सकें कि जिससे ईश्वर प्राप्ति का हमारा जीवन लक्ष्य पूरा हो। उन्होंने दिव्य भजन ”मेरा नाथ तू है मेरा नाथ तू है, नहीं मैं अकेला मेरे साथ तू है” स्वयं गाकर सभी को भावविभोर कर दिया। इसके पूर्व उन्होंने मण्डल प्रधान श्री राजेन्द्र अग्रवाल व स्थानीय मिशन अधिकारियों के साथ दीप प्रज्जवलन कर पाँच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का उदघाटन किया।

मिशन प्रमुख ने विशालकाय सभागार में व्यासपीठ से प्रवचन करते हुए ज्ञान-जिज्ञासुओं से कहा कि हम-आप सब इस सृष्टि का अंग हैं। इस सृष्टि के नियन्ता यानी इस ब्रह्माण्ड के सृजनहार को जाने बिना जीवन के दुखों से मुक्ति नहीं पाई जा सकती। साधना, जप, तप एवं ज्ञान के जरिये साधना क्षेत्र में सफलता के द्वार खुला करते हैं। शान्ति पर्व नवरात्रि के इस काल में इसी साधना के माध्यम से माँ से, प्रभु से साक्षात्कार किया जाता है। इसके लिए ‘आनन्द’ में जागने और ‘शान्ति’ में सोने की कला हमें विकसित करनी होगी। उन्होंने साधना मार्ग से जीवन में सफलता और प्रभु की कृपाओं का सामीप्य पाने के लिए अनेक प्रभावशाली सूत्र उपस्थित जनसमुदाय को दिए।

श्री सुधांशु जी महाराज ने प्रकृति में लीन हो गई सन्ध्या से तदाकार होकर समय से निद्रा की गोद में जाने की प्रेरणा सभी को दी। कहा कि प्रातःकालीन वेला में प्रभु हर ओर से समृद्धि का वरदान देते हैं। इसलिए ब्रह्म मुहूर्त में जागकर प्रभु प्रार्थना करने वाले तथा प्रभु प्रेरणा प्राप्त कर दिन का श्रीगणेश करने वालों का इंतजार सफलताएँ सदैव किया करती हैं। अशान्ति में जागने वालों का मंगल तो क्या, उसका कोई भी दिन शुभ नहीं हो सकता।

श्री सुधांशु जी महाराज ने सप्ताह के सातों दिनों की बड़ी सुन्दर व्याख्या की। उन्होंने रविवार को ज्ञान का दिन बताया और ज्ञानार्जन के लिए प्रवृत्त होने को कहा। उन्होंने सोमवार को शान्ति, मंगलवार को मंगलकारी चिन्तन, बुधवार को बुद्धिमत्ता, वृहस्पति को विस्तार का दिन कहा। बताया कि गुरुसत्ता साधक का भीतर से बाहर तक विस्तार करने को उद्यत रहती है। शुक्रवार को बल तथा शनिवार को प्रगति की संज्ञा देते हुए उन्होंने हर दिन की प्रेरणाओं को ग्रहण करने का आह्वान किया। श्री सुधांशु जी महाराज ने बड़ों को थोड़ा झुककर छोटों को स्नेह देकर आगे बढ़ाने की प्रेरणा सभी को दी।

विश्व जागृति मिशन के इंदौर मण्डल प्रमुख श्री राजेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का समापन 14 अप्रैल की सायंकाल होगा। उसी दिन मध्यान्हकाल सामूहिक मन्त्र दीक्षा का कार्यक्रम भी सम्पन्न होगा। कार्यक्रम का मंचीय समन्वयन व संचालन नई दिल्ली से आए विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

अपने प्रति कठोरता और दूसरों के प्रति उदारता सबसे बड़ा यज्ञ

“रहते नहीं हमेशा दिन एक से किसी के”

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का हुआ समापन

Virat Bhakti Satsang Gurugram-07-Apr-2019 | Sudhanshu Ji Maharajगुरुग्राम, 07 अप्रैल (सायं)। यहाँ विगत 04 अप्रैल से चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आज सायंकाल विधिवत समापन हो गया। विदाई सत्र में विश्व जागृति मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने श्रीमद्भवदगीता के विभिन्न प्रसंगों को उधृत करते हुए दैनन्दिन जीवन के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण सूत्र सत्संग में आये ज्ञान जिज्ञासुओं को दिए और कहा कि आप जोड़ने वाले बनें, तोड़ने वाले नहीं।

उन्होंने हितकारी सत्य बोलने का पक्षधर बनने की सलाह दी। कहा कि सत्यनिष्ठ व्यक्ति ही जीवन में अन्तत: सफल होते हैं। रामायण के प्रमुख पात्र हनुमान की चर्चा करते हुए उन्होंने लोकसेवी कार्यकर्ताओं को श्रीहनुमान के जीवन से शिक्षा लेने को कहा। बताया कि भक्तराज हनुमान ने प्रभु श्रीराम द्वारा दिये गए कार्य को सम्पन्न करते हुए सीता माँ का पता तो लगाया ही था, अपने विवेक का उच्चस्तरीय परिचय देकर लंकापति और उनकी सेना की शक्ति का भी पता कर लिया, लंका की सेना को श्रीराम की सेना की एवं उनके सैनिकों की ताकत का परिचय दिया। पूरी शक्ति का प्रदर्शन करने के बाद वापस आकर बड़ी विनम्रता के साथ अपनी सफलता का श्रेय अपनी टीम के सभी सदस्यों को दिया।

श्री सुधांशु जी महाराज ने मुदिता, उपेक्षा, करुणा एवं सेवा के मानवीय गुणों की व्याख्या की और इन्हें जीवन में उतारने की प्रेरणा दी। उन्होंने जीवन में संतुलन को उच्च स्तर के ‘योग’ की संज्ञा दी और कहा कि अनुकूल व विपरीत परिस्थितियों में सम बने रहने का अभ्यास डालें। जीवन के हर कर्म को यज्ञमय बनाने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने किसी से मिले प्रेम एवं उपकार को कई गुना बढ़ाकर वापस करने को सबसे बड़ा यज्ञ बताया। कहा कि अपने लिए कठोरता और दूसरों के प्रति उदारता ही वास्तविक यज्ञ है।

गुरुग्राम से विदाई के पूर्व विश्व जागृति मिशन के गुरुग्राम मण्डल के पदाधिकारियों ने अपने सदगुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज का भव्य नागरिक अभिनन्दन किया। कार्यक्रम का समापन आरती के साथ हुआ।

समस्त कार्यक्रमों का मंचीय समन्वयन व संचालन विश्व जागृति मिशन नई दिल्ली के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया। आज की सन्ध्या ईश-वन्दना एवं राष्ट्र-वन्दना के गीतों व भजनों से सजी थी। आचार्य अनिल झा, कश्मीरी लाल चुग, राम बिहारी एवं महेश सैनी के भजनों ने जनमानस को भीतर तक झंकृत किया। श्री चुन्नी लाल तंवर, श्री राहुल आनन्द एवं श्री प्रमोद राय ने वाद्य यंत्रों पर उनका सहयोग किया।

आज्ञा चक्र के जागरण में ॐकार की बड़ी भूमिका

ध्यान-योग के सत्र में सिखाए स्वस्थवृत्त के सूत्र

Virat Bhakti Satsang Gurugram-07-Apr-19 | Sudhanshu Ji Maharajगुरुग्राम, 07 अप्रैल (प्रातः)। विश्व जागृति मिशन द्वारा यहाँ आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के प्रातःकालीन सत्र में ध्यानगुरु एवं विश्व जागृति मिशन की उपाध्यक्ष डॉ. अर्चिका दीदी ने उपस्थित ध्यान जिज्ञासुओं को ध्यान एवं योग की विधियाँ सिखायीं, साथ ही उनका व्यावहारिक प्रशिक्षण सभी को दिया। इस मौके पर मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने साधकों का प्रभावी मार्गदर्शन किया।

डॉ. अर्चिका दीदी ने ॐकार का विवेचन किया और कहा कि साधक के आज्ञा चक्र में स्पन्दन व उसके जागरण में ॐकार की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने ॐकार को ध्यान के क्षेत्र में प्रवेश का एक प्रभावशाली माध्यम बताया। नवरात्रि पर्व पर माँ के साधकों को उनने माँ के विशेष मन्त्र ‘:ॐ एें हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चयै’ का मर्म समझाया और उसका अभ्यास कराया। उन्होंने ध्यान-योग के विभिन्न आसनों का अभ्यास व्यावहारिक रूप से भी कराया।

इस अवसर पर मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने ध्यान जिज्ञासुओं से कहा कि मानव की अपनी सीमाएँ हैं लेकिन परमात्मा असीम है। वह अनादि है, अनन्त हैं। साधना जगत का सीम-पथिक असीम-परमेश्वर का साक्षात्कार प्रयासपूर्वक करता है। उन्होंने साधना क्षेत्र की गहराईयों की चर्चा की और उनका अभ्यास उपस्थित जनसमुदाय को कराया। मनुष्य की सुनने, देखने, चलने, सोचने की सीमाओं की उन्होंने बड़े व्यावहारिक तरीक़े से चर्चा की और कहा कि मानव की तुलना व उपमा किसी से की जा सकती है, लेकिन परमपिता परमात्मा अनुपमेय है, अतुलनीय है। प्रभु की कोई उपमा नहीं की जा सकती, उनकी तुलना किसी से भी किया जाना सम्भव नहीं है।

आज मध्यान्हकाल में सत्संग स्थल पर सामूहिक मन्त्र दीक्षा का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, जिसमें सैकड़ों स्त्री-पुरुषों ने विश्व जागृति मिशन के कल्पनापुरुष एवं संरक्षक श्री सुधांशु जी महाराज से गुरुदीक्षा ग्रहण की।

गुरुग्राम विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का समापन आज सायंकाल 07 बजे होगा। विश्व जागृति मिशन के गुरुग्राम मण्डल प्रधान श्री नरेन्द्र पाल चंदोक ने बताया कि सत्संग समारोह में हरियाणा के विभिन्न जनपदों एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विविध अंचलों से आये ज्ञान-जिज्ञासु भाग ले रहे हैं।

इसके पूर्व हरियाणा कला एवं संस्कृति मण्डल के निदेशक श्री अजय सिंघल, तिरुपति से पधारे श्री तिरुपति स्वामी प्रो. आरएस त्रिपाठी, कैंसर पीड़ितों की सेवार्थ कार्यरत संस्था कैंविन के अध्यक्ष श्री बीडी गोयल सहित कई गण्यमान व्यक्तियों ने मिशन प्रमुख श्रद्धेय श्री सुधांशु जी महाराज का अभिनंदन सत्संग मंच पर किया।

व्यष्टि व समष्टि की अकल को ठीक करने के लिए गायत्री महामन्त्र का सहारा लिया जाए

आत्मा की आवाज सुनने वाले प्राप्त करते हैं ऊँचा लक्ष्य

”जीवन जितना सादा रहेगा, तनाव जिन्दगी में आधा रहेगा”

”जो मुश्किल में न घबराए उसे इन्सान कहते हैं”

Virat Bhakti Satsang Gurugram-06-Apr-19 | Sudhanshu Ji Maharajगुरुग्राम, 06 अप्रैल। जो व्यक्ति अपनी आत्मा की आवाज को सुनते हैं, जो विवेकपूर्वक शरीर और मन के आग्रहों पर विचार करते हैं तथा यदि यह पाते हैं कि आत्मा-अंतरात्मा वो कार्य कराने की पक्षधर नहीं है, तो उन दोनों की आवाज को नजरअंदाज कर देते हैं और आत्मा की आवाज को महत्व-तरजीह देकर भीतर के निर्देश का पालन करने को उद्यत हो जाते हैं; वे जीवन के ऊँचे लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं, नित-नूतन प्रगति की सीढ़ियां चढ़ते हैं। इसलिए हमें सदैव आत्मा की आवाज सुननी एवं उसकी बात मानना चाहिए।

यह बात आज सायंकाल हरियाणा के प्रमुख महानगर गुरुग्राम के सेक्टर-9 ए में विगत तीन दिनों से चल रहे विराट् भक्ति सत्संग महोत्सव में हरियाणा एवं एनसीआर के विभिन्न जनपदों से आये ज्ञान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि गुरु आत्मा की आवाज को सुनने की विधा शिष्यों को सिखाते हैं। श्री सुधांशु जी महाराज ने कतिपय समर्थ गुरुओं तथा उनके संरक्षण में उच्च-सफलता-प्राप्त शिष्यों का उल्लेख किया तथा प्रयासपूर्वक जीवन में ऊँचा उठने को कहा।

मिशन प्रमुख ने पैसे देकर बच्चों की अमीरी दिलाने वाले माता-पिताओं की अदूरदर्शिता पर चिन्ता व्यक्त की और सन्तानों को सुयोग्य बनाकर कमाकर अमीर बनने की प्रेरणा देने को कहा। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चे न केवल स्वयं ऊँचा उठते हैं बल्कि उनके माता-पिता का जीवन भी धन्य हो उठता है। विभिन्न उदाहरणों से समझाते हुए उन्होंने कहा कि जंगली क्षेत्र में उगे पौधे एवं घास इत्यादि बिना किसी देखरेख के भी हरे-भरे बनते हैं। जरूरत होती है कि उसका बीज उत्कृष्ट स्तर का हो। सन्तानों को अच्छा बीज बनाने के आध्यात्मिक तरीके भी उन्होंने सबको सिखलाये।

श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि व्यक्ति हो या परिवार , व्यष्टि हो या समष्टि, सभी को सुखी बनाने के लिए ‘सदबुद्धि’ को आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि देश को सही अकल देने के लिए ‘गायत्री महामन्त्र’ का सम्बल लेना आज के समय की बड़ी जरूरत है। उन्होंने नवविक्रमी संवत 2076 के शुभागमन पर उपस्थित जनसमुदाय एवं देशवासियों को नववर्ष की बधाई दी और नवरात्रि पर्व पर जीवन साधना की गहराई में उतरने को कहा तथा उसकी पद्धति समझाई।

विश्व जागृति मिशन के गुरुग्राम मण्डल प्रधान श्री नरेन्द्र पाल चंदोक ने बताया कि कल रविवार-07 अप्रैल को मध्यान्हकाल 12 बजे गुरुमन्त्र दीक्षा का कार्यक्रम सम्पन्न होगा। सत्संग समारोह का मंचीय समन्वयन-संचालन कर रहे मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि कार्यक्रम स्थल पर युगऋषि आयुर्वेद, धर्मादा सेवा, गौसेवा, अनाथ सेवा, वृद्धजन सेवा, स्वास्थ्य सेवा, साहित्य सेवा आदि के एक दर्जन स्टॉल विजामि अधिकारी श्री प्रयाग शास्त्री की अगुवाई में लगाये गए हैं, जिनका लाभ जनसामान्य द्वारा लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सत्संग स्थल पर ‘कैनविन कैंसर’ नामक एक विशेष स्टाल भी यहाँ सेवाएँ दे रहा है, इस स्टाल पर जहाँ कैंसर रोगियों को सुयोग्य डाक्टरों के द्वारा उचित चिकित्सकीय मार्गदर्शन किया जा रहा है, वहीं खसरा और पोलियो से बचाव की तरह कुछ विशेष दवाएँ भी दी जा रही हैं ताकि लोगों को कैंसर के प्रकोप से बचाया जा सके।

नवरात्रि में एकाग्रता के जरिए अन्दर से पैदा हुई ऊर्जा ब्रह्मांड तक जाती है

दृष्टि बाधित बच्चों के भजनों ने समा बाँधा

Virat Bhakti Satsang-Gurugram-05-Apr-2019 | Sudhanshu Ji Maharajविराट् भक्ति सत्संग महोत्सव का दूसरा दिन

गुरुग्राम, 05 अप्रैल। विश्व जागृति मिशन के गुरुग्राम मण्डल द्वारा यहाँ सेक्टर-9 ए में आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के दूसरे दिन दृष्टिबाधित (सूरदास) विद्यार्थियों अजय कुमार एवं सुरजीत सिंह ने अपने भजनों के जरिये सत्संग सभागार में एक विशेष समा बाँधा। इस मौके पर मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने नवरात्रि साधना के समय बरती जाने वाली सावधानियों तथा साधना की अतल गहराईयों में पहुँचने की विधा सभी ज्ञान-जिज्ञासुओं को सिखलाई।

श्री सुधांशु जी महाराज ने आगत नवरात्रि पर्व का विशेष उल्लेख किया और कहा कि नवरात्रि में तप-साधना के जरिये अपने भीतर सोयी हुई शक्तियों का जागरण साधक द्वारा किया जाता है। एकाग्रता के जरिये उत्पन्न हुई आन्तरिक ऊर्जा ब्रह्माण्ड तक पहुँचती है। यह ऊर्जा न केवल उस व्यक्ति का बहुविधि कल्याण करती है बल्कि वह लोक कल्याण का सशक्त माध्यम बनती है।

श्री सुधांशु जी महाराज ने अपने घर के देव मन्दिर को एक प्रयोगशाला बनाने का सुझाव दिया और नवरात्रि पूजन के साथ-साथ दैनिक पूजा-उपासना का मर्म समझाकर उसकी विधि सभी को बताई। कहा कि सात्विक साधना के माध्यम से साधक परमेश्वर का असीम प्यार व कृपाएँ अनेकों पात्र व्यक्तियों तक पहुंचाता है। तामसिक साधनामार्गी साधक अनेकों को दुःख व तकलीफ देने का हेतु बनता है। उधर राजसिक साधना का पथिक अपना तो कल्याण साधता ही है, अन्य अनेकों का भी हितसाधन करता है। उन्होंने श्रेष्ठ साधक बनकर लोक कल्याण के बड़े काम करने का आह्वान मातृसत्ता के साधकों से किया। उन्होंने कहा कि माता दुर्गा की कृपा ऐसे साधकों पर सदैव बरसती है। श्री सुधांशु जी महाराज ने कर्म, सुकर्म एवं विकर्म की व्याख्या की और श्रेष्ठ कर्मों की तुलना ‘महानतम यज्ञ’ से की। कहा कि ऐसे कर्मों को श्रीमद्भवदगीता में ‘याज्ञिक कर्म’ कहा गया है।

आज के सत्संग कार्यक्रम में भीमखेड़ी गुरुग्राम स्थित जनता रिहैबिलिटेशन ट्रेनिंग सेण्टर के 50 विद्यार्थी भी सम्मिलित हुए। श्री सुधांशु जी महाराज ने सेण्टर के संस्थापक-संचालक श्री नरेन्द्र कुमार एवं उनकी टीम के प्रयासों की सराहना की और सभी बच्चों को अपने मंगल आशीष दिए।

विश्व जागृति मिशन के गुरुग्राम मण्डल के महामंत्री श्री विजय अरोड़ा ने बताया कि शनिवार 06 मार्च को पूर्वाहन 10:30 बजे श्री गौरीशंकर मन्दिर के शीर्ष स्थान पर भगवान शिव एवं माता पार्वती की 16 फुट ऊँची विशालकाय प्रतिमा का अनावरण श्रद्धेय महाराजश्री द्वारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सामूहिक मन्त्र दीक्षा का कार्यक्रम रविवार 07 मार्च को मध्यान्हकाल सम्पन्न होगा।

शान्ति के बिना सुख सम्भव नहीं | सुधांशु जी महाराज

वाणी का असंयम बना था महाभारत का कारण

Virat Bhakti Satsang Gurugram-04-Apr-2019 | Sudhanshu Ji Maharajगुरुग्राम में विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का शुभारम्भ

गुरुग्राम, 04 अप्रैल। शान्ति के बिना सुख की कल्पना नहीं की जा सकती। सुख और शान्ति का जोड़ा है, दोनों को अलग नहीं रखा जा सकता। शान्ति है तो सुख है। शान्ति के लिए वाणी का संयम आवश्यक होता है। वाणी का असंयम ही द्वापर युग में महाभारत का कारण बना था।

यह उदगार आज सायंकाल हरियाणा प्रान्त के छठे सबसे बड़े महानगर गुरुग्राम (गुडगांव) में प्रख्यात अध्यात्मपुरूष आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने व्यक्त किए। उल्लेखनीय है कि सेक्टर 9-ए स्थित श्री गौरी शंकर मन्दिर के सम्मुख स्थित विशालकाय प्रांगण में चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आयोजन विश्व जागृति मिशन के गुरुग्राम मण्डल द्वारा किया गया है।

आज हजारों की संख्या में सत्संग हॉल में उपस्थित हरियाणावासियों एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र नयी दिल्ली के ज्ञान जिज्ञासुओं के बीच उदबोधन करते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि शान्ति या अशान्ति के सारे बीज घर के भीतर विद्यमान होते हैं। सभी समस्याओं का समाधान घर के भीतर होता है, हरिद्वार में नहीं। आम जीवन में सुख-दुख के विभिन्न कारकों की चर्चा करते हुए उन्होंने पति-पत्नी के मधुर सम्बन्धों को पारिवारिक शान्ति का मुख्य आधार बताया। सुखी परिवार को सुखी समाज एवं समृद्ध राष्ट्र का मेरुदण्ड बताते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने गृहस्थ आश्रम को एक तपोवन की संज्ञा दी। उन्होंने सुखी गृहस्थ के लिए वाचिक जप, उपांशु जप तथा मानसिक जप की प्रक्रिया सभी को सिखलायी।

विश्व जागृति मिशन नई दिल्ली के निदेशक श्री राम महेश मिश्र के मुख्य मंचीय समन्वयन व संचालन में सम्पन्न सत्संग महोत्सव के प्रभारी श्री नरेन्द्र पाल चंदोक ने बताया कि विराट भक्ति सत्संग महोत्सव चार दिनों तक चलेगा, जिसका समापन रविवार 07 अप्रैल की सायंकाल होगा। उसी दिवस मध्यान्हकाल सामूहिक मन्त्र दीक्षा सैकड़ों स्त्री-पुरुषों को दी जाएगी। उन्होंने बताया कि गुरुदीक्षा समारोह के लिए पंजीयन प्रक्रिया आज से ही शुरू हो चुकी है।

दृढ़ निश्चयी व्यक्ति धरती पर परमात्मा की विशेष विभूति

जीवन में आत्मनिरीक्षण और आत्मसुधार की सतत आवश्यकता

विदाई सत्र में आचार्य सुधांशु जी महाराज ने कहा

राष्ट्र निर्माण में जुटने के उठे संकल्प

Virat Bhakti Satsang Ludhiana 01-Apr-2019दिव्य भजनों से सजी सन्ध्या

लुधियाना अमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव का समापन

लुधियाना, 31 मार्च (सायं)। देश के लिए अग्रणी बनकर काम करने के सामूहिक संकल्पों के साथ चार दिवसीय लुधियाना अमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव का आज सायंकाल विधिवत समापन हो गया। दिव्य भजनों से सजी इस सन्ध्या में लुधियाना सहित पंजाब के विभिन्न अंचलों से बड़ी संख्या में ज्ञान जिज्ञासु सत्संग सुनने गर्ल्स पीजी कॉलेज प्रांगण पहुँचे। कार्यक्रम का समापन नागरिक अभिनंदन एवं दिव्य आरती के साथ हुआ। कार्यक्रम का आयोजन विश्व जागृति मिशन के लुधियाना मण्डल द्वारा किया गया था।

विदाई सत्र में उदबोधन करते हुए विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि हम अपनी चिता जलने के पूर्व अपने चैतन्य को जागृत कर सकें, इस धरती से निर्दयता कम कर सकें, इस राष्ट्र को सुन्दर व सुव्यवस्थित बनने में सहयोगी बन सकें, निज जीवन में नियमों का दृढ़ता से पालन कर सकें, जीवन को अनुशासित बना सकें, हमारा हर पग ईश्वर की पूजा बन जाये, ऐसी प्रार्थनायें प्रतिदिन करनी चाहिए। उन्होंने नित्य आंतरिक गंगा में डुबकी लगाने का अभ्यास करने अर्थात कृत-गलतियों का प्रायश्चित करने को कहा। जीवन में जागरण को ही असली जिंदगी की संज्ञा देते हुए उन्होंने आत्म-समीक्षा, आत्म-निरीक्षण, आत्म-परीक्षण और आत्म-सुधार की विविध विधि प्रेरणाएँ सभी को दी। कहा कि ऐसा करने से सुरदुर्लभ यह मानव जीवन सार्थक हो जाता है।

दृढ़ निश्चयी मनुष्य को इस धरती पर परमात्मा द्वारा भेजी विशेष विभूति बताते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि ऐसे व्यक्ति अंधेरे में भी खुद ही रास्ते निकाल लेते हैं। इसके लिए जो प्रयास किये जाते हैं उनमें आदतों के निरंतर परिष्कार का कार्य सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। क्योंकि आदतें ही हमारा संस्कार बन जाती हैं और हमसे वैसा ही व्यवहार होता है, अर्थात वैसे ही कर्म हमसे होने लगते हैं। उन्होंने कहा कि आदतें ही व्यक्ति को जिताती या हराती हैं। श्रद्धेय महाराजश्री ने इसके लिए 40 दिवसीय अभ्यास का विशेष तरीका सभी को सिखलाया। उन्होंने आदतों को नया करके आगामी सात अप्रैल को नए वर्ष का अभिनन्दन करने को कहा।

इसके पूर्व लुधियाना के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री अवतार सिंह वरदा, दैनिक भाष्कर समूह के प्रधान सम्पादक मुकेश जी, पंजाब अकाली दल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सरदार महेश इंदर सिंह ग्रेवाल, पंजाब बाल कल्याण आयोग के चेयरमैन श्री सुकेश कालिया, भाजपा औद्योगिक प्रकोष्ठ के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष श्री अनिल कपूर, कौंसलर श्री नरेन्द्र शर्मा व रोहित सिक्का, रणजीत सूद, मंदीप सिंह सहित कई गण्यमान व्यक्तियों ने मिशन प्रमुख का अभिनंदन किया। इस मौके पर अनाथ (देवदूत) बच्चों की शिक्षा के कार्यक्रम में अभिनव सहयोगी सर्वश्री अशोक भट्ट, किरण बाला, अनिता अरोड़ा, मोहन लाल मोहाली, हरदेव परासर, डॉ.आशा कुमारी, सुशील कुमार, मोहित गर्ग एवं शशि मठवाल का स्वागत व्यास मंच पर किया गया।

समस्त कार्यक्रमों का मंचीय समन्वयन एवं संचालन विश्व जागृति मिशन नई दिल्ली के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया। आज की सन्ध्या दिव्य भजनों से सजी थी। आचार्य अनिल झा, महेश सैनी एवं कश्मीरी लाल चुग ने मधुर भजन प्रस्तुत किए।वाद्य यन्त्रों पर उनका सहयोग चुन्नी लाल तंवर, राहुल आनन्द तथा रविशंकर ने दिया। मण्डल प्रधान श्री राम चन्द्र गुप्ता ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

परमेश्वर से प्रीत सबसे ऊँची प्रीत, परमात्मा ही विश्वास करने योग्य

अपनी दिनचर्या में प्रार्थना के लिए समय अवश्य निकालें और उसका समय निश्चित हो

अपने असल स्वरूप से जुड़ने का सर्वाधिक प्रभावी माध्यम- ध्यान

Virat Bhakti Satsang Ludhiana-31-Mar-2019a | Sudhanshu Ji Maharaj‘गुरु मेरी पूजा गुरु गोविन्द, गुरु मेरा पारब्रह्म गुरु भगवन्त”

लुधियाना, 31 मार्च (प्रातः)। विगत चार दिनों से यहाँ चल रहे अमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव के आखिरी दिवस का पूर्वाहनकालीन सत्र भी कल की भाँति ध्यान-योग कक्षा को समर्पित रहा। कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय के विशाल परिसर में 28 मार्च से चल रहे विराट सत्संग समारोह की ध्यान कक्षा में देश के लब्ध-प्रतिष्ठित अध्यात्मवेत्ता श्री सुधांशु जी महाराज ने ध्यान-जिज्ञासुओं को लगातार दूसरे दिन ध्यान की गहराइयों में उतारा।

ध्यान को अपने असली स्वरूप से जुड़ने का सबसे प्रभावी माध्यम बताते हुए उन्होंने कहा कि परमेश्वर से प्रीत करना ही सबसे ऊँची प्रीत है। वह अक्षुण्ण है, वह सदा बनी रहने वाली है। परमेश्वर ही विश्वास करने योग्य है। उन पर भरोसा करने वाले व्यक्ति निर्भीक होते हैं और सदैव आनंदित रहते हैं। परम पिता परमात्मा पर विश्वास मनुष्य के भीतरी-पक्ष को सुदृढ़ बनाता है। उन्होंने ईश विश्वास और प्रभु के प्रति श्रद्धा को ऊँचा उठाने को कहा तथा सबसे अपील की कि आप प्रभु पर श्रद्धा एवं विश्वास दृढ़ रखते हुए अपने कर्म-पथ पर निष्ठापूर्वक आरूढ़ रहें, आपका जीवन नि:सन्देह सफलताओं से भरा-पूरा बनेगा।

मिशन प्रमुख ने सकारात्मक चिन्तन को मानव की सबसे बड़ी सम्पत्ति बताया और अनेक उद्धरण सुनाते हुए सकारात्मकता के लाभ गिनाए। उन्होंने बड़े ही रोचक व संगीतमय वातावरण में सकारात्मक सोच को उभारने के ध्यान सूत्र हजारों की संख्या में उपस्थित जनसमुदाय को सिखाये। उन्होंने ध्यान-योग के इन सूत्रों को दैनिक जीवन में अभ्यास व आचरण में लाने का आग्रह किया। उन्होंने तनाव से बचने के सूत्र सिखाए और एकाग्रता के ज़रिए जीवन की विभिन्न समस्याओं का निदान करने का तरीक़ा समझाया। कहा कि एकाग्रता को जीवन का अविभाज्य हिस्सा बनाने पर जीवन की क़ीमत बहुत अधिक बढ़ जाती है।

विश्व जागृति मिशन प्रमुख श्री महाराज जी ने ‘प्रार्थना की शक्ति’ की चर्चा करते हुए कहा कि विश्व के ७६० करोड़ लोगों में से हर व्यक्ति किसी न किसी तरह प्रार्थना करता है। उन्होंने अपनी दैनिक दिनचर्या में प्रार्थना के लिए अनिवार्य एवं अपरिहार्य रूप से स्थान निर्धारित करने का आह्वान किया। उन्होंने राष्ट्र भक्ति को जीवन में सर्वोच्च स्थान देने को कहा तथा “भारत देश है मेरा” शीर्षक वाले राष्ट्रीयता से ओतप्रोत राष्ट्र-गीत के साथ राष्ट्र-देवता का विलक्षण ध्यान कराया। श्रद्धेय महाराजश्री ने अपने सैनिकों को समाज व जीवन के हर क्षेत्र में सम्मान देने का आह्वान देशवासियों से किया। ‘अभिनंदन का अभिनंदन है’ गीत पर तो सत्संग सभागार में मौजूद सभी स्त्री-पुरुष थिरक उठे।

विश्व जागृति मिशन नई दिल्ली के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि मिशन मुख्यालय आनन्दधाम में आगामी मई माह से महर्षि वेदव्यास उपदेशक महाविद्यालय का शुभारंभ किया जा रहा है। इस कॉलेज की स्थापना का उद्देश्य देश को बड़ी संख्या में ‘श्रेष्ठ धर्मोपदेशक’ प्रदान करना है। आर्ष ग्रन्थों श्रीमद्भवदगीता, श्रीमदभागवत, श्रीरामचरितमानस, वेद विज्ञान आदि पर प्रभावी उदबोधन-प्रवचन करने वाले प्रखर उपदेशक तथा यज्ञ व संस्कार के विद्वान उपयोगी कर्मकाण्डी आचार्य तैयार करके उनके माध्यम से राष्ट्रीय चेतना को झकझोरने के प्रयत्न बड़े पैमाने पर किये जायेंगे।

विश्व जागृति मिशन लुधियाना मण्डल के प्रधान श्री राम चन्द्र गुप्ता ने बताया कि अमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव का समापन सत्र आज सायंकाल 04 से 06 बजे तक सम्पन्न होगा।