संस्था के प्रति आरोप एवं समाधान | विश्व जागृति मिशन

Allegations-and-solutions-to-the-institution

संस्था के प्रति आरोप एवं समाधान

सेवा, साधना, सत्संग और सदभाव को आधार बनाकर चलने वाली संस्था विश्व जागृति मिशन अपनी प्रसिद्धी और विस्तार से 1991 से 2019 तक विगत 28 वर्षों के कार्यकाल में मानवता की सेवा, मानव उत्थान एवं गौ सेवा में अग्रणी भूमिका निभा रही है |

संस्था के तत्कालीन कोषाध्यक्ष श्री अनिल कुमार सीकरी की भारी भूल तथा संस्था को झूठा कर-छूट प्रमाण पत्र देने से विश्व जागृति मिशन को बड़े आरोपों का सामना करना पडा | संस्था ने आयकर विभाग के समक्ष अपने पूरे दस्तावेज़ प्रस्तुत किये सिर्फ ये साबित करने के लिए कि यह संस्था निर्दोष है, सही रास्ते पर है और उचित कार्य करने के बावजूद पर भी झूठे दोषारोपण की शिकार हुई है|

उच्चस्तरीय जांच से यह संस्थापित हुआ की संस्था सेवा कार्यों में रत है एवं हिसाब किताब/बही खातों के रख रखाव में किसी तरह का दोष नहीं है | इनकम-टैक्स ट्रिब्यूनल, उच्च न्यायलय एवं उच्चतम न्यायलय में सब जगह संस्था को अपने आपको निर्दोष साबित करने में सफलता प्राप्त हुई है |

आयकर विभाग ने संस्था को 1991 से ही 12A, इनकम-टैक्स एक्ट, एवं 80G का प्रमाण पत्र प्राप्त कराया है | इससे यह साबित होता है कि संस्था कभी दोषी नहीं थी और न ही उसकी कार्य प्रणाली | हिसाब-किताब के ब्योरे के रख रखाव में भी कोई त्रुटी न थी और न है |

पुनः फिर परीक्षा

2008 में आयकर विभाग से सफलता मिल गयी थी | एक साल बाद संस्था के किसी माननीय दानदाता को यह भ्रम हुआ कि संस्था अनुचित कार्य व् धोखाधड़ी में संलग्न है | उक्त दानदाता ने एक फौजदारी मामला इस भ्रम में भ्रमित होकर संस्था एवं यहाँ के पदाधिकारियों पर कोर्ट में दायर कर दिया | कुछ समय बाद निचली अदालतों की कार्यवाही, उच्चतम न्यायलय के हस्तक्षेप के बाद स्थगित हुई | माननीय उच्चतम न्यायलय ने इस विषय को मध्यस्थता हस्तक्षेप द्वारा सुलझाया एवं सद्भावना पूर्ण स्थिति में लाकर मामला पूरी तरह निपटाया | उपरोक्त घटनाओं के क्रम में संस्था (विश्व जाग्रति मिशन) ने अनेक प्रयासों के बाद अपने आप को पूर्णतया निर्दोष साबित किया |

आभार

संस्थापक एवं संस्था के प्रति जन समुदाय के विश्वास व् प्रेम आस्था बनाये रखने के लिए हम हृदय से अपने सभी सेवाभावी दानदाताओं, अधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं के प्रति आभार प्रकट करते हैं |

An Apostle of Peace, Love and Compassion | Part-2 | Sudhanshu Ji Maharaj

An Apostle of Peace, Love and compassion Part 2 | Sudhanshu Ji Maharaj

An Apostle of Peace, Love and Compassion | Part-2

Childhood:

His Holiness Sudhanshu Ji Maharaj was born in Saharanpur on 2nd May 1955 in a Brahmin family. Swami Vijendra Muni Ji initiated his grace Sudhanshu Ji Maharaj to deep Meditation and Yoga at the tender age of ten years. He studied the religious scriptures through Gurukul method of education. He received his Postgraduate degrees in Sanskrit and Hindi.

He spent most of his childhood in the vicinity of Nature. The trees and mountains seem to bade and attract him. He would silently sit and ponder or chant mantras. The purity and beauty of nature so intimately engulfed him that he himself became pure and attractive like Mother Nature. He developed a distinguished way and style even during his childhood days to deliver thoughts, experience and knowledge acquired from epics.

Spiritual Journey:

After completing his education young Guruji disappeared in the Himalayas in the vicinity of Mother Nature. There he roamed amongst the saints and sages who were living in recluse and austerity, meditating since long. He lived in their company for a long time, himself performing meditation and other spiritual occult practices in the Himalayas.

As far as his spiritual journey is concerned, he enjoyed special blessings from two great saints Swami Sadanandji and Swami Muktanandji, who lived in Himalayan caves in seclusion and austerity. At Uttarkashi, he acquired perfect knowledge of traditional and Tibetan culture with the sight and knowledge of deepest spiritual truth and the revelation of divine mysteries. This was possible by prolonged Japa, remembrance of God and meditation in past and present births by him.

At Uttarkashi, His Holiness experienced the initial feeling of divine bliss. Only after tasting the Divine Nectar and realization of the Supreme, His Holiness SudhanshujiMaharaj attained Gurupad (master’s status) and started giving (initiation), thereafter kindling the wave of spirituality throughout the world.

He experienced many supernatural phenomena’s. He engaged himself totally in the study of scriptures and practicing Yoga in aloofness. The personality, which ultimately developed and emerged, was very attractive and impressive Hindu evangelist in pure and unsullied Indian dress. His face reflects the celestial aura.

An Apostle of Peace, Love and Compassion | Part-1 | Sudhanshu Ji Maharaj

An Apostle of Peace, Love and Compassion | Part-1 | Sudhanshu Ji Maharaj

An Apostle of Peace, Love and Compassion | Part-1

Perhaps no other country in the world has left behind the spiritual legacy that India has. The very epitome of spirituality and transcendental philosophy, India has given rise to a stupendous pantheon of personalities who have breached the walls of Third Dimensional Reality and reached has gone beyond. His Holiness Sudhanshu Ji Maharaj is amongst one of those saints who have achieved this. He is a householder saint of India, living in the world but not belonging to it, setting an example for the millions of householders that God is the only truth, who can be realized by leading a pure and simple life, cherishing human values, by performing ones assigned duties, serving the poor people and following the teachings of a true Master.

He has launched a crusade to take the suffering humanity from materialism to spirituality, from sorrow to bliss; He supports both form as well as formless worship of the God. Whether one worships in Saguna or Nirguna way; it is ultimately the same Energy. He teaches his disciples to harmonize, body, mind and soul, various meditation techniques are taught by him, meditation for prosperity, meditation for self – realization, to serve suffering humanity, having a national outlook, and how to live with dignity. A silent revolution is on to change the mindset of the people and is ushering in an era of peace and tranquility.

Cherishing the rich cultural values of great India, Vishwa Jagriti Mission was established by His Holiness  Sudhanshu Ji Maharaj on 24th March 1991, on the auspicious day of Ramnavami, birthday of Lord Rama. VJM has emerged as the premier institution in motivating millions of people on the path of love and affection, in alleviating the miseries of suffering humanity, in teaching thousands of human beings in the world living in mental and emotional pain to lead a happy, stress-free and objective life.

गुरुतीर्थ आनन्दधाम में रुद्राभिषेक कर भगवान शिव की कृपा पाने का सुनहरा अवसर

Golden opportunity to get blessings of Lord Shiva by performing Rudrabhishek in Anand Dham

गुरुतीर्थ आनन्दधाम में रुद्राभिषेक कर भगवान शिव की कृपा पाने का सुनहरा अवसर

श्रावण मास के अधिष्ठातृ देव देवाधिदेव महादेव जी का विशेष महत्व है। आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी से चार महीने के लिए जहां और देवता शयन करते हैं वहीं महादेव जागते हैं। यह चतुर्मास भगवान शिव के जागरण का काल है। चतुर्मास के चार महीनों में श्रावण माह में प्रकृति में जल की अधिकता तथा हरी-भरी वनस्पतियों व चन्द्र की पृथ्वी के समीप स्थिति के आधार पर शिव आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। चन्द्रदेव को मन का अधिष्ठातृ देव तथा शिव भगवान का शिरोभूषण कहा गया है तन-मन की प्रसन्नता तथा औघढ़दानी महादेव की पूजा, आराधना रुद्राभिषेक के द्वारा पुण्यलाभ प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ समय है श्रावण का पवित्र महीना।

इस वर्ष श्रावण माह का प्रारम्भ गुरुपूर्णिमा के उपरांत 17 जुलाई 2019 बुधवार से दिनांक 15 अगस्त 2019 पूर्णिमा (रक्षाबंधन पर्व) तक तीस दिनों के लिए रहेगा। यह माह भगवान शिव की आराधना हेतु विशेष पुण्य फलदायी माना जाता है। श्रावण माह में प्रत्येक तिथि एवं प्रत्येक दिन शिव जी की आराधना के लिए समर्पित होता है। इसमें सोमवार, प्रदोष, शिवरात्रि, अमावस्या, हरियाली तीज, नागपंचमी, पूर्णिमा आदि तिथियां व दिन शिव आराधना के महत्वपूर्ण योग बनते हैं। जिनमें भक्त सदाशिव जी का विविध विधियों एवं मनोकामनाओं के अनुसार अलग-अलग सामग्रियों के मिश्रण से रुद्राभिषेक करके लौकिक तथा पारलौकिक सुख की अनुभूति करते हैं।

रुद्राभिषेक की अनेक विधियां होती हैं जैसे-

1. रुद्राष्टाध्यायी की एक सम्पूर्ण आवृत्ति से अभिषेक करना, ‘‘रुद्राभिषेक’’ कहलाता है।
2. रुद्राभिषेक को विशेष रूप से पंचम एवं अष्टम अध्याय की ग्यारह आवृत्तियों से अभिषेक करने को ‘‘एकरुद्र’’ कहते हैं।
3. ग्यारह रुद्रों को ‘‘एक लघुरुद्र’’ कहते हैं।
4. ग्यारह लघुरुद्रों का ‘‘एक महारुद्र’’ होता है।
5. ग्यारह महारुद्रों का एक ‘‘अतिरुद्र’’ कहलाता है।

श्रावण महीने में भगवान शिव की कृपा पाने के लिए गुरुतीर्थ आनन्द धाम में प्रतिदिन शिव पूजन, रुद्राभिषेक की व्यवस्था की गई है।

आप रुद्राभिषेक का पुण्य लाभ प्राप्त करने के लिए नीचे दिये गये फोन नम्बरों पर सम्पर्क करके पूर्व में ही यजमान बनकर अपना स्थान आरक्षित करवा लें, जो भक्त किन्हीं परिस्थितियोंवश आनन्दधाम आश्रम में आकर रुद्राभिषेक में सम्मिलित नहीं हो सकते हैं वे संकल्पित यजमान बनकर भी रुद्राभिषेक का पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। संकल्पित यजमानों के नाम, गोत्र से संकल्प लेकर उनके लिए गुरुकुल के आचार्यों एवं ब्रह्मचारियों को उनका प्रतिनिधि बनाकर रुद्राभिषेक करवाया जायेगा। श्रावण में भगवान शिव की कृपा पाने का यह सुनहरा अवसर है, इसे हाथ से जाने न दें।

पंजीकरण हेतु सम्पर्क करेंः 9312284390, 9711991583

गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर आनन्दधाम में गुरु पूर्णिमा पर्व धूमधाम से मना

सन्तुलन में ही है सच्चा जीवन सुख
ईश्वर प्राप्ति के लिए स्वयं को मिटाना होता है
श्री सुधांशु जी महाराज ने किया अन्नपूर्णा योजना का किया उद्घाटन
सद्गुरु संजीवनी एवं गीता ज्ञान पुस्तकों का हुआ विमोचन
भजन गायकों के भजनों ने अद्भुत छटा बिखेरी
आनन्दधाम में गुरु पूर्णिमा पर्व धूमधाम से मना

Guru-Purnima Anand Dham-Ashram Delhi-16-July-2019 | Sudhanshu Ji Maharajआनन्दधाम नयी दिल्ली, 16 जुलाई। विश्व जागृति मिशन मुख्यालय में गुरु पूर्णिमा महापर्व धूमधाम से मनाया गया। गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर देश-विदेश से हजारों की संख्या में आये गुरु भक्तों ने गुरु दर्शन और गुरु प्रणाम किया। कई घण्टों तक लगी लम्बी लाईनों के बीच शिष्यों ने अपने मार्गदर्शक को प्रणाम किया और अपनी गुरु दक्षिणा समर्पित की।

विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक श्रद्धेय आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने अपने गुरु पूर्णिमा उद्बोधन में ‘सुख’ की व्याख्या करते हुए कहा कि सन्तुलन में ही सच्चा सुख है। शरीर एवं मन की अनुकूलता को सुख मानने की प्रवृत्ति को आत्मघाती बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सुख तलाशने का अभ्यास करना होगा। उन्होंने ‘जिन्दगी’ का महत्व समझाया और कहा कि जिन्दा होने का अर्थ है कि हम आत्म निर्भर हों। परवशता को उन्होंने मृत्यु की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि कमल हमेशा कीचड़ में जन्म लेते हैं, विभूतिवान आत्माएँ विपरीत परिस्थितियों में रह रहे स्त्री-पुरुषों के रक्त से ही जन्म लेती हैं।

श्री सुधांशु जी महाराज ने सेवा-भाव, समाज हितैषी, देश भक्त, संस्कृतनिष्ठ व्यक्तियों को ईश्वर का विशेष भेजा व्यक्ति बताया। कहा कि ऐसे व्यक्ति सक्षम गुरु के सम्पर्क में यूँ ही नहीं आ जाते हैं, वास्तव में वह पिछले जन्मों के उनके अपने साथी-सहचर होते हैं। उन्होंने आत्म निर्माण से राष्ट्र निर्माण के अनेक सूत्र दिए।

विश्व जागृति मिशन की उपाध्यक्ष एवं ध्यानगुरु डाॅ. अर्चिका दीदी ने इस अवसर पर कहा कि मन के भीतर के तूफानों को शान्त करने का नाम ही ‘योग’ है। आत्म-उद्वार के लिए आगे बढ़ने वाला ही सच्चा शिष्य होता है। उन्होंने कहा कि समर्पित शिष्य-साधक भीतरी परिवर्तन के लिए अपने आपको तैयार करता है। जब शिष्य तैयार होता है, तब गुरु शक्ति प्रकट होती है। ईश्वर प्राप्ति के लिए सुख को मिटाना पहली शर्त है। डाॅ. अर्चिका दीदी ने कहा कि ईश्वरीय अवतारी शक्ति का प्रादुरभाव करुणा के बीच से होता है। उन्होंने गुरुसत्ता को धरती पर अदृश्य ईश्वरीय सत्ता का स्थूल प्रतिनिधि बताया। उन्होंने ध्वनि ऊर्जा पर भी चर्चा की और भारतीय एवं विदेशी शोधों का प्रमाण देकर इस अद्भुत ऊर्जा का विवेचन किया तथा इसका लाभ उठाने के लिए जरूरी प्रशिक्षण प्राप्त करने की अपील की। उन्होंने ऋषियों द्वारा दिये गये ज्ञान-विज्ञान से प्रयासपूर्वक जुड़ने का आह्वान सभी से किया।

इस मौके पर डाॅ. नरेन्द्र मदान तथा आचार्य शिवाकान्त द्विवेदी द्वारा लिखित पुस्तक ‘सद्गुरु संजीवनी’ तथा श्री हरीश भटनागर एवं श्री आर.एन. रावल द्वारा लिखित पुस्तक ‘गीता ज्ञान गंगा’ का विमोचन श्री सुधांशु महाराज ने किया। उन्होंने गुरुपूर्णिमा के पावन दिवस पर अन्नपूर्णा योजना का श्रीगणेश भी किया।

 

इसके पूर्व प्रख्यात भजन गायकों निधि, सृष्टि भण्डारी एवं रामप्रिया के भजनों ने अद्भुत छटा बिखेरी। महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ के ऋषिकुमारों ने संगीत शिक्षक श्री राजेन्द्र वर्मा के मार्गदर्शन में भजन प्रस्तुत किये। विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र एवं आचार्य अनिल झा के मंचीय समन्वयन में चले गुरु पूर्णिमा समारोह में भारत के विभिन्न प्रान्तों से आये शिष्यों-साधकों के अलावा अमेरिका, दुबई, सिंगापुर, हांगकांग इत्यादि देशों से आये साधकों ने भाग लिया। कार्यक्रम का समापन दिव्य आरती के साथ हुआ।

निज प्राणशक्ति को निरन्तर बढ़ाते रहने का करें अभ्यास

मोह निद्रा से जागरण बड़े सौभाग्य से सम्भव होता है

विजामि प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा

ध्यान, योग, प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने की दी प्रेरणा

ध्यानगुरु डाॅ. अर्चिका दीदी ने सिखायी ध्यान साधना

गुरु मन्त्र सिद्धि साधना शिविर सम्पन्न

Guru-Purnima-Anand-dham-Ashram-delhi-15-July-2019 | Sudhanshu Ji Maharajकल धूमधाम से मनेगा गुरुपूर्णिमा का महापर्व

आनन्दधाम नयी दिल्ली, 15 जुलाई। मोह निद्रा मानव जीवन का एक ऐसा शत्रु है जिसके घातक परिणाम न केवल लौकिक जीवन को प्रभावित करते हैं बल्कि पारलौकिक जीवन को भी पिछड़ा बनाते हैं। इससे बाहर आने के लिए गम्भीर आध्यात्मिक प्रयत्नों की आवश्यकता पड़ती है। यह प्रयास हर किसी व्यक्ति को करना ही चाहिए। क्योंकि मोह निद्रा से बाहर निकले बिना जीवन के असल लक्ष्य की प्राप्ति सम्भव नहीं।

यह बात आज मध्याह्नकाल आनन्दधाम आश्रम के साधना सभागार में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक श्रद्धेय आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कही। वह बीते तीन दिनों से चल रहे गुरु मन्त्र सिद्धि साधना के समापन सत्र में शिष्यों-साधकों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मोह निद्रा से जागरण बड़े सौभाग्य से सम्भव होता है। इस सौभाग्य की प्राप्ति के लिए साधक को निरन्तर प्रयत्न एवं अभ्यास प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जीव चैरासी लाख जन्म रूपी बन्धन में कैद है। मानव शरीर ही वह अवसर है जब जीव यानी व्यक्ति उस कैद से मुक्त हो सकता है, बाहर निकल सकता है। मानव काया का दसवाँ दरवाजा ब्रह्मरंध्र ही वह द्वार है कि जहाँ से आत्मा निकलकर मुक्त हो पाती है। उन्होंने कहा कि इस द्वार से प्राण-त्याग की विधि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में बतायी है। यही विधि सद्गुरु साधना प्रशिक्षण में शिष्य को प्रदान करते हैं।

मिशन प्रमुख ने उपस्थित साधकों को गहन साधना विधियाँ सिखलाईं और योग विज्ञान की विविध विधाओं का प्रशिक्षण साधकों को प्रदान किया। उन्होंने सभी को विविध प्राणायाम कराए। कहा, अपने मणिपूर चक्र, उदय चक्र एवं आज्ञा चक्र पर 10-10 का अभ्यास करें। मौन के लिए आधा घण्टे का समय निकालें, उसके बाद शान्त होकर निर्मल एवं पवित्र भाव के साथ गुरु मन्त्र का जाप करें। उन्होंने आसन, माला एवं गोमुखी की पवित्रता पर सर्वाधिक जोर दिया। उन्होंने कहा कि मन्त्र की शक्ति अद्भुत है, उस शक्ति को अपने भीतर जागृत कीजिए। ऊंकार उच्चारण करते समय अपने नाभि केन्द्र को प्रभावित करें। कहा कि ऊंकार के नियमित उच्चारण से सृजन, पालन और संहार इन तीनों शक्तियों का जागरण होता है।

इसके पूर्व मिशन की उपाध्यक्ष ध्यानगुरु डाॅ0 अर्चिका दीदी ने साधकों को ध्यान साधना सिखलायी। उन्होंने साधकों से निज प्राणशक्ति को निरन्तर बढ़ाते रहने का अभ्यास करने को कहा। उन्होंने साधकों को ध्यान, योग, प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने की प्रेरणा दी। डाॅ0 अर्चिका दीदी ने कपालभाति, अनुलोम-विलोम प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम, शीतली प्राणायाम, शीतकारी प्राणायाम आदि का व्यावहारिक प्रशिक्षण सभी को दिया। प्रातःकाल वरिष्ठ आचार्य सतीश चन्द्र द्विवेदी के नेतृत्व में साधकों ने पशुपतिनाथ शिवालय में रुद्रीपाठ किया तथा द्वादशलिंग परिसर में विधि-विधान से पूजा-आराधना की।

तीन दिवसीय गुरु मन्त्र सिद्धि साधना का समापन सामूहिक मन्त्र दीक्षा से हुआ। श्री सुधांशु जी महाराज ने नवागत शिष्यों को साधना पथ पर आरूढ़ रहने को कहा। पूर्व से दीक्षित साधकों ने नवदीक्षितों का अभिनन्दन किया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों व अंचलों में ंसेवारत विश्व जागृति मिशन के वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद रहे।

विश्व जागृति मिशन के महामन्त्री श्री देवराज कटारिया ने बताया कि कल गुरुपूर्णिमा का महापर्व धूमधाम से आनन्दधाम आश्रम में मनाया जायेगा। उस महोत्सव में गुरु मन्त्र सिद्धि साधना के लाभार्थी साधक तो भागीदारी करेंगे ही, विभिन्न शाखाओं एवं मण्डलों से बड़ी संख्या में शिष्य-साधक आज रात्रि तक नयी दिल्ली पधार रहे हैं। श्री कटारिया ने बताया कि आनन्दधाम परिसर में स्थापित महर्षि वेदव्यास उपदेशक महाविद्यालय भी आगामी 25 जुलाई से आरम्भ हो रहा है। उसी दिन से महाविद्यालय की कक्षायें विधिवत आरम्भ हो जायेंगी। उन्होंने बताया कि महाविद्यालय के प्राचार्य के पद पर डाॅ0 सप्तर्षि मिश्र ने जिम्मेदारी संभाल ली है।

तीन दिवसीय गुरु मन्त्र सिद्धि साधना शिविर के समस्त कार्यक्रमों का मंचीय समन्वयन एवं संचालन विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया। आचार्य अनिल झा द्वारा मन्त्रोच्चारण इत्यादि के प्रशिक्षण साधकों को प्रदान किए गए। इस मौके पर महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ के प्रधान श्री दौलतराम कटारिया, महामन्त्री डाॅ0 नरेन्द्र मदान, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्री एम. एल. तिवारी, उपदेशक महाविद्यालय के संयोजक श्री मनोज शास्त्री, प्राचार्य डाॅ0 सप्तर्षि मिश्र, जीवन संचेतना मासिक के सम्पादक डाॅ0 विजय मिश्र, गुरुकुल पदाधिकारी श्रीमती शशि खन्ना, प्रधानाचार्य डाॅ0 शेष कुमार शर्मा, श्री राजेश गम्भीर, श्री रवीन्द्र गाँधी, श्री बल्देव दास आदि मौजूद रहे।

प्राण सधें तो सब सधे- नियमित प्राणायाम सुस्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी

प्राण सधें तो सब सधे

नियमित प्राणायाम सुस्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी

Guru Purnima | 15 July19 | Sudhanshu Ji Maharaj | Dr. Archika Didiआनन्दधाम, नई दिल्ली। प्राण का हमारे जीवन में सर्वाधिक महत्व है। प्राणों को साध लिया जाए तो सब कुछ सध जाता है। ऋषियों ने प्राणों की साधना के लिए ‘प्राणायाम’ का शोध किया था। प्राणायाम का नियमित अभ्यास हमारे प्राणों को मजबूत बनाता है। जो जितना प्राणवान है वह उतना ही जीवन्त है।

यह बात आज यहाँ विश्व जागृति मिशन मुख्यालय आनन्दधाम के साधना मण्डप में ध्यानगुरु
डॉ. अर्चिका दीदी ने कही। उन्होंने कहा कि प्राणहीन व्यक्तियों को जीवित व्यक्ति कहना मुश्किल होता है। प्राणहीन व्यक्ति जीवन में कोई खास उपलब्धि प्राप्त नहीं कर पाते, प्राणवान व्यक्ति साधारण स्थितियों में भी बड़ी उपलब्धि प्राप्त करने में सफल होते हैं।

उन्होंने प्राणयाम की सरल एवं प्रभावी विधियों का अभ्यास सभी साधकों से कराया। कपालभाति, अनुलोम विलोम प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, भ्रातसिका प्राणायाम, उज्जायी प्राणायाम, सूर्यवेधन, प्राणायाम, शीतली शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास कराया। योग-प्राणायाम की इन क्रियाओं में उन्होंने स्वांस-प्रश्वांस को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उल्लेखनीय है कि आनन्दधाम में इन दिनों तीन दिवसीय गुरु मन्त्र सिद्धि साधना का क्रम चल रहा है, जिसका आज अन्तिम दिन है।

विश्व जागृति मिशन की उपाध्यक्ष डॉ.अर्चिका दीदी ने तीनों दिवस ध्यान सत्र सम्पन्न कराये। ध्यान साधकों ने बताया कि उन्होंने यहाँ आकर जहाँ आत्म कल्याण के अनेक मन्त्र सीखे हैं, वहीं स्वस्थवृत्त की कई विधियों का प्रशिक्षण भी लिया है, जिससे हम काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं।

 

मानव जीवन को आनन्दयुक्त बनाने के लिए परमात्मा से जुड़ना जरूरी

श्रद्धावान को ही ज्ञान प्राप्त होता है

प्रेम की शक्ति असीम है

निज परिवार का दायरा बढ़ाएँ साधक

गहरे ध्यान में उतरे सैकड़ों साधक

साधकों को सूक्ष्म योगासन भी सिखाए गए

पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा भी रहे मौजूद

Guru Purnima Anand Dham Ashram 15july19 | Sudhanshu Ji Maharajगुरु मन्त्र सिद्धि साधना का दूसरा दिन

आनन्दधाम नयी दिल्ली, 14 जुलाई। श्रद्धावान को ही असल ज्ञान प्राप्त होता है। श्रद्धा से सब कुछ पाया जा सकता है। लक्ष्य के प्रति श्रद्धा व्यक्ति को निश्चित रूप से उद्देश्य की प्राप्ति करा देती है। दृढ़ विश्वास और लक्ष्य के प्रति श्रद्धा दो ऐसे अस्त्र हैं जो व्यक्ति को आन्तरिक व ब्राह्म समृद्धि के शिखरों तक पहुँचा देते हैं।

यह बात आज पूर्वाह्नकाल आनन्दधाम के साधना सभागार में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कही। ‘‘श्रद्धावान लभते ज्ञानं’’ सूत्र की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि अनेक बार देखा गया है कि ज्ञान और बुद्धि में अग्रणी व्यक्तियों की अपेक्षा श्रद्धावान व्यक्ति अपनी श्रद्धा व भक्ति के बल पर ज्ञानी व बुद्धिमान व्यक्तियों से बहुत आगे निकल गए हैं और इतिहास ने उन्हें ही याद रखा। उन्होंने इसके कुछ प्रत्यक्ष उदाहरण भी सुनाए तथा श्रद्धावान बनने की प्रेरणा सभी को दी। उन्होंने प्रेम की शक्ति को असीम बताया। उन्होंने उपस्थित साधकों को गहरे ध्यान में उतारा तथा साधकों को सूक्ष्म योगासन भी कराए।

पूर्वाह्नकालीन सत्र में पश्चिमी दिल्ली के लोकसभा सदस्य श्री प्रवेश वर्मा ने भी भागीदारी की। उन्होंने विश्व जागृति मिशन की गतिविधियों को सराहा। पूर्व डिप्टी मेयर श्रीमती शशि प्रभा सोलंकी ने भी साधना सत्र में भाग लिया।

उन्होंने शुभ का संग्राहक बनने का आहवान सभी से किया और निज शरीर एवं परिवार से ऊपर उठकर समाज, राष्ट्र, धर्म एवं संस्कृति के लिए जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने आत्म समीक्षा के ढेरों सूत्र साधकों को दिए और कहा कि इनका अनुपालन जीवन में करने से आत्मोत्कर्ष के उच्च शिखरों पर पहुंचा जा सकता है।

मिशन प्रमुख ने कहा कि प्रकृति में सत् हैं। जीवन में सत् और चित् दोनों हैं लेकिन परमात्मा में सत् चित् और आनन्द तीनों हैं। मानव जीवन को आनन्दयुक्त बनाने के लिए परमात्मा से जुड़ना जरूरी होता है। जीवन में आनन्द ईश सत्ता से जुड़ने पर ही प्राप्त होता है। उन्होंने मिश्री की तरह बनने की अपील की और कहा कि आप ऐसे बनें कि मिश्री की तरह किसी भी तरफ से चखने पर मीठापन ही मिले। हमारे हर व्यवहार से मधुरता हर हॉल में प्रकट हो। उन्होंने ज्ञान और वैराग्य रूपी पंखों से भूलोक से ब्रह्मलोक की उड़ान भरने का आहवान निष्ठावान साधकों से किया।

विश्व जागृति मिशन की उपाध्यक्ष ध्यानगुरु डॉ.अर्चिका दीदी ने साधकों को ध्यान कराया। उन्होंने सभी को साधना की गहराई में उतारकर साधकों को भाव-विभोर कर दिया। उपस्थित साधकों ने सीखी ध्यान विद्या को दैनिक जीवन में अभ्यास में लाने का आश्वासन दिया।

अभयता प्रदान करती है हमारी साधना

गुरुधाम में साधना के अगणित लाभ

आनन्दधाम में ध्यानगुरु डाॅ. अर्चिका दीदी ने कहा

Guru Mantra Siddhi Sadhana - Guru Purnima 14 July 2019 | Dr. Archika Didiआनन्दधाम, 14 जुलाई। साधना अभयता देती है, आत्म ज्ञान देती है, प्रखरता देती है, समृद्धि देती है। साधना की शक्ति असीम है। साधना स्वयं को साध लेने की, आत्मसंयम की कला है। आज तक जो भी व्यक्ति ऊँचे उठे हैं, साधना के बल पर उठे हैं।

यह उदगार आज प्रातःकाल नयी दिल्ली के शहीद चन्द्रशेखर आजाद मार्ग पर स्थित विश्व जागृति मिशन के मुख्यालय आनन्दधाम के साधना सभागार में मिशन की उपाध्यक्ष ध्यानगुरु डाॅ. अर्चिका दीदी ने व्यक्त किए। वह गुरुपूर्णिमा महापर्व के पूर्व आयोजित तीन दिवसीय गुरु मन्त्र सिद्धि साधना समारोह में आए साधकों को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने जीवन साधना पर बल देते हुए कहा कि हर व्यक्ति एक जैसा पैदा होता है लेकिन जीवन साधना पर पूर्ण ध्यान देने वाले लोग सफलता के उच्च शिखरों पर चढ़ते चले जाते हैं।

डॉक्टर अर्चिका दीदी ने साधना के लाभ गिनाए और कहा कि उन्हें शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता है। उन्होंने सभी साधकों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

गुरु मन्त्र सिद्धि साधना, गुरुपूर्णिमा महापर्व,आनन्दधाम नयी दिल्ली, 13 जुलाई

आनन्दधाम में आए सैकड़ों साधक

आत्म-समीक्षा, आत्म-निरीक्षण व आत्म-सुधार पर दें सर्वाधिक ध्यान

सद्गुरु श्री सुधांशु जी महाराज ने किया आह्वान

15 जुलाई तक चलेगी यह विशिष्ट साधना

Guru-Purnima | Guru Mantra siddhi Sadhana - Anand Dham Ashramमंगलवार-16 जुलाई को मनेगा गुरुपूर्णिमा महापर्व

आनन्दधाम नयी दिल्ली, 13 जुलाई। यहाँ नांगलोई-नजफ़गढ़ के समीप अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद मार्ग पर स्थित विश्व जागृति मिशन के अन्तरराष्ट्रीय मुख्यालय आनन्दधाम में तीन दिवसीय गुरु मन्त्र सिद्धि साधना का आज प्रातःकाल विधिवत् श्रीगणेश हो गया। तीन दिनों तक चलने वाली इस विशिष्ट साधना में देश के विभिन्न प्रान्तों से आए सैकड़ों साधक हिस्सा ले रहे हैं। साधना समापन के उपरान्त मंगलवार 16 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का महापर्व धूमधाम से मनाया जायेगा।

गुरु मन्त्र सिद्धि साधना में आए शिष्य-साधकों का मार्गदर्शन करते हुए मिशन प्रमुख श्रद्धेय श्री सुधांशु जी महाराज ने उन्हें आत्म-समीक्षा, आत्म-अवलोकन, आत्म-निरीक्षण एवं आत्म-सुधार की चार सूत्रीय विधा समझायी और सभी का आह्वान किया कि श्रेष्ठ इन्सान बनने के लिए इन चार साधना-स्तम्भों पर अपने जीवन का सुन्दर भवन विकसित करें। उन्होंने इसके लिए एक सुविकसित प्रारूप भी साधकों को दिया तथा आत्म-परीक्षण करने की विधा समझाते हुए उसके सूत्र विस्तार से सिखलाए।

इस अवसर पर श्री सुधांशु जी महाराज ने सतयुग के स्वर्णिम इतिहास से लेकर त्रेता, द्वापर एवं कलियुग के आध्यात्मिक इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने महात्मा बुद्ध, कुमारिल भट्ट, मण्डन मिश्र एवं आद्य शंकराचार्य के वृत्तांत सुनाए और कहा कि गुरु का रिश्ता माता, पिता एवं सखा के ऊपर का माना गया है। अर्थात्, ये सभी रिश्ते जिस एक स्थान में समाविष्ट होते हैं, वह ‘गुरु’ कहलाता है। उन्होंने गुरु को धरती पर ईश्वरीय सत्ता की प्रतिनिधि सत्ता बताया। उन्होंने साधकों को गुरु मन्त्र सिद्धि साधना सिखलायी और गुरु मन्त्र की सफलता के लिए ज़रूरी सूत्र सभी को दिये।

इसके पूर्व विश्व जागृति मिशन की उपाध्यक्ष एवं ध्यानगुरु डॉक्टर अर्चिका दीदी ने मौजूद साधकों को गुरु मन्त्र की सिद्धि में ध्यान का महत्व समझाया और बताया कि गहरे ध्यान के माध्यम से अन्त:स्थल में छिपे मणि-माणिक्यों से सम्पर्क साधा जा सकता है। उन्होंने ध्यान को गम्भीर बनाने के तरीक़े सभी को बताए।

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आनन्दधाम आश्रम के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्री एम.एल.तिवारी ने बताया कि आज मध्यांहकाल नवग्रह वाटिका में सभी साधकों ने अपने-अपने ग्रह की अनुकूलता के लिए पूजन-अर्चन भी किया। नवग्रह पूजन का समस्त कर्मकाण्ड आनन्दधाम के वरिष्ठ आचार्य सतीश चन्द्र द्विवेदी ने कराया।उन्होंने बताया कि १५ जुलाई तक पूर्वाह्न ८ से ११ बजे तथा सायंकाल ५ से ७ बजे तक दो-दो सत्र चलेंगे। इनमें पंजीकृत सदस्य भाग ले सकेंगे। मुख्य कार्यक्रम १६ जुलाई को सम्पन्न होगा जिसमें देश-विदेश से आए हज़ारों गुरुभक्त भाग लेंगे।

समस्त कार्यक्रमों का मंचीय समन्वयन व संचालन विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र एवं धर्माचार्य अनिल झा ने किया। कार्यक्रम में मिशन के महामन्त्री श्री देवराज कटारिया सहित गुरु परिवार के अनेक वरिष्ठ सदस्य भी मौजूद रहे।