गलतियाँ मानने और इन्हें छोड़ने से मनुष्य बनता है महान | आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज

Virat-Bhakti-Satsang-Moradabad-15-11-2019 | Sudhanshu Ji Maharajगाजियाबाद, 15 नवम्बर। विश्व जागृति मिशन के प्रणेता आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज आज कुछ देर के लिए गाजियाबाद पहुँचे। विशाल रामलीला मैदान की अशोक वाटिका में उन्होंने उत्तर प्रदेश की इस पश्चिमी उद्योग नगरी से देशवासियों को आध्यात्मिक सन्देश दिया।

वहाँ भारी संख्या में मौजूद ज्ञान जिज्ञासुओं से उन्होंने कहा कि गलती करना मनुष्य का एक सहज स्वभाव होता है, जो लोग गलतियों से सीखते हैं और उनकी पुनरावृत्ति नहीं करते, वे महान बनते हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति तभी होती है जब भक्त उसमें खो जाता है। सद्गुरु से मिलन को जीवन की बड़ी उपलब्धि बताते हुए उन्होंने कहा कि गुरु वचनों में विश्वास तथा उन्हें जीवन में आचरित करने पर गुरु सान्निध्य का पूरा लाभ शीघ्र मिलता है। श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि कुछ ऐसे विरले लोग भी होते हैं जो अपने गुरुदेव से दूर रहकर भी उनके अत्यधिक सन्निकट होते हैं।

श्री सुधांशु जी महाराज ने अपने मार्गदर्शक सद्गुरु के शिक्षाओं का संग्रह करने वालों को समाज व देश की अमूल्य निधि बताया। उन्होंने इस संदर्भ में मीराबाई की निकटवर्ती ललिता तथा भगवान बुद्ध के शिष्य आनन्द का विशेष जिक्र किया। कहा कि अपनी गुरुसत्ता की शिक्षाओं को उन्होंने बड़ी लगन व परिश्रम से संजोया, जिसका लाभ भविष्य की अनेक पीढ़ियाँ उठा सकीं।

बाएँ हाथ में पुरुषार्थ और दाएँ हाथ में कर्म को धारण करने वाले व्यक्ति हैं सराहना के योग्य-सुधांशु जी महाराज

बाएँ हाथ में पुरुषार्थ और दाएँ हाथ में कर्म को धारण करने वाले व्यक्ति हैं सराहना के योग्य  सफ़लता उनके बाएँ हाथ का खेल होती है -सुधांशु जी महाराज

राष्ट्र को वीररस से सराबोर कर देने और भारत को महाभारत बनाने का यही है उपयुक्त समय -जनरल जीडी बक्शी

सर्वसाधारण के लिए उपयोगी हैं विश्व जागृति मिशन की गतिविधियाँ -डॉ.अशोक बाजपेयी, सांसद व सचेतक, राज्यसभा

भारतीय थल सेना के बहादुर पूर्व सैन्य अफ़सर जनरल डॉ.जी.डी.बक्शी ने किया राष्ट्र को वीररस से सराबोर करने का आह्वान। कहा- अब वीरभाव की साधना का आ गया है समय। वह आनन्दधाम में चल रहे १०८ कुण्डीय श्री गणेश लक्ष्मी महायज्ञ में भाग लेने आए थे। वैश्विक स्थितियों समेत भारत एवं उसके पड़ोसी देश पर समीक्षात्मक टिप्पणी करते हुए वह बोले- कदाचित् परमात्मा ‘एक और महाभारत’ कराना चाहता है। उन्होंने कहा कि शान्ति के लिए कभी-कभी युद्ध भी आवश्यक होते हैं।आज वरिष्ठ सांसद एवं राज्यसभा के सचेतक डॉक्टर अशोक बाजपेयी ने भी महायज्ञ में भागीदारी की। उनका स्वागत करना हमारे लिए सुखद था। उत्तर प्रदेश सरकार में अनेक बार क़ाबीना मन्त्री रहे डॉक्टर बाजपेयी ने विश्व जागृति मिशन की गतिविधियों के बारे में विस्तार से जाना। संवैधानिक मामलों के श्रेष्ठ जानकार तथा प्रख्यात राजनैतिक वक़्ता डॉक्टर अशोक बाजपेयी ने विशेष रूप से अनाथ बच्चों को शिक्षित एवं स्वावलंबी बनाने के कार्यक्रम को सराहा। उन्होंने इन बच्चों को ‘देवदूत’ नाम देने के लिए श्री सुधांशु जी महाराज की प्रशंसा की।

इस अवसर पर मिशन प्रमुख श्रद्धेय आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा पर किया गया यज्ञ बड़ा ही फलदायी होता है। यज्ञ को कर्मों में श्रेष्ठतम कर्म बताते हुए उन्होंने इसे पापनाशक, दुःखनाशक, सुखदायक एवं समृद्धिदायक कार्य की संज्ञा दी। प्राचीन काल में एक महायज्ञ में गंगा, यमुना व सरस्वती नदियों द्वारा की गयी भागीदारी के ऐतिहासिक आख्यान का ज़िक्र करते हुए उन्होंने यज्ञ को सभी प्रकार के विकारों को दूर करने वाला बताया।

मिशन प्रमुख ने वेद ऋचा ‘देहि मे ददामि ते’ की व्याख्या करते हुए कहा कि मनुष्य को कुछ देना पड़ता है तभी उसे कुछ मिलता है। वेद-ऋचाएँ विद्यार्थी से ‘सुख’ का दान माँगती हैं, जो विद्यार्थी यह दान देता है वही सुयोग्य बनकर बदले में जीवन भर के सुख और उपलब्धियाँ पाता है। जो छात्र-छात्राएँ विद्यार्थी जीवन में सुख का दान देने से कतराते हैं वे आगे चलकर उन अपने ही सफल सहपाठियों से याचना और मिन्नतें करते देखे जाते हैं। यही बात स्वास्थ्य के मामले में लागू होती है, खान-पान, रहन-सहन और योग-व्यायाम के नियमों का पालन करने वाले लोगों को सुस्वास्थ्य यानी उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है। हमारा किसान भी ‘त्वदीयं वस्तु गोविंदम तुभ्यमेव समर्पये’ के भाव से भूमि में जब विश्वासपूर्वक एक बीज डालता है तब धरती माँ उसके बदले १०० दाने वापस करती है। उन्होंने इन उदाहरणों से सीख लेकर पहले देने और फिर पाने की बात को अंगीकार करने की अपील सभी से की।

वृन्दावन से २१ आचार्यों के साथ आए महायज्ञ के परमाचार्य पण्डित विष्णु कांत शास्त्री और अनेक आचार्यों की उपस्थिति में संस्था प्रमुख ने यज्ञ जिज्ञासुओं से कहा कि जिसकी जितनी बड़ी तृष्णा होती है वह उतना ही बड़ा दरिद्र होता है। उदार और दाताभाव वाले लोग दुनिया के सबसे बड़े अमीर व्यक्ति होते हैं। उन्होंने धर्मादा के नौ कार्यों तथा उसमें सहयोग के परिणामों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि पहले आय का दशांश यानी १०वाँ भाग समाज के खेत में बोने का अनिवार्य नियम था। अब सीएसआर में उसकी मात्रा २ प्रतिशत अनिवार्य रूप से तय की गयी है। भारत में दो से ढाई प्रतिशत सिक्खों द्वारा गुरुद्वारों के ज़रिए चलाए जा रहे सेवाकार्यों को उन्होंने धर्मादा क्षेत्र का एक बड़ा उदाहरण कहा। उन्होंने कहा कि धर्मादा सेवाएँ हमें ‘देना’ सिखाती हैं और ‘पाने’ का अद्भुत मन्त्र देती हैं।

श्री सुधांशु जी महाराज ने बाएँ हाथ में पुरुषार्थ और दाएँ हाथ में कर्म को थाम लेने वाले व्यक्तियों की सराहना की और कहा कि ‘सफलता’ ऐसे लोगों के बाएँ हाथ का खेल होता है। उन्होंने यज्ञ से होने वाले लाभों की विस्तार से चर्चा की और कहा कि यज्ञ मानव जीवन ही नहीं, सम्पूर्ण प्रकृति का एक अविभाज्य अंग है। उन्होंने अथर्ववेद १२/२१३७ पर दी गयी ऋचा ‘अयज्ञियो ह्वरचा भवति’ की व्याख्या की और कहा कि “यज्ञ न करने वाले का तेज़ नष्ट हो जाता है।”

१० अक्टूबर को आरम्भ हुए श्री गणेश लक्ष्मी महायज्ञ के दौरान प्रतिदिन अपराह्नकाल बौद्धिक सत्र चला, जिसमें आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज और डॉक्टर अर्चिका दीदी ने साधकों का सशक्त मार्गदर्शन किया। विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने मंचीय समन्वयन व संचालन किया। महायज्ञ में देश के अनेक प्रांतों तथा हाँगकाँग, चीन, ब्रिटेन आदि देशों से आए परिजनों ने भागीदारी की।

आज अपराह्नकाल में श्री गणेश लक्ष्मी महायज्ञ का विधिवत समापन हो गया है।

यज्ञ भगवान को भी धरती पर आने के लिए विवश करता है।

गुरुदेव ने किया सभी मिशन साधकों से नियमित हवन करने का आह्वान…

Shri Ganesh Laxmi Mahayagya | Sudhanshu Ji Maharaj
आनन्दधाम में चल रहे चार दिवसीय श्री गणेश लक्ष्मी महायज्ञ के दूसरे दिन सदगुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज ने १०८ कुण्डीय यज्ञशाला में यज्ञ-साधकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यज्ञ परम पिता परमात्मा को भी पृथ्वी पर आने के लिए विवश कर देता है। इसीलिए उन्हें यज्ञ भगवान कहा गया है।

पूज्या गुरुमाँ और ध्यानगुरु अर्चिका दीदी एवं सैकड़ों यज्ञ-जिज्ञासुओं व साधकों की उपस्थिति में गुरु महाराज ने कहा कि हमारी पूजा पद्धतियों में अग्नि पूजन सबसे प्राचीन विधा है। ऊपर उठती दीपशिखा से हमें ऊर्ध्वमुखी चिन्तन और कर्म करने की प्रेरणा मिलती है। यज्ञ हमें ऊँचा उठने और आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि निराशा से निकालकर आशा की ओर बढ़ाने तथा मनुष्य को नकारात्मकता से उबारकर सकारात्मकता से जोड़ने वाली विद्या का नाम यज्ञ है।

विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि यज्ञ से व्यक्ति और प्रकृति दोनों ही शक्तिशाली बनते हैं। शक्ति का दुरुपयोग करने पर व्यक्ति हानियाँ ही हानियाँ उठाता है। उन्होंने दिव्यांगों, वंचितों और निर्धनों की सहायता को सबसे बड़ा यज्ञ बताया। वह बोले- आचार्यों एवं विद्वान व सेवाभावी ब्राह्मणों को दान देना भी एक तरह का यज्ञ ही है।

श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा जो हिंसा-रहित कर्म हैं वे यज्ञ की श्रेणी में आते हैं। कहा कि यज्ञ व्यक्ति को संतुलित और स्थिर बनाता है। यज्ञ से पाप-ताप मिटते हैं। राजधर्म की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि कम से कम लोगों को नुक़सान और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की रक्षा राजधर्म की नीतियों में बड़ा स्थान रखती है। आतंकी घटनाओं तथा असामाजिक तत्वों से जूझते हुए सेना और पुलिस की विवशतापूर्ण कार्यवाहियों का मर्म समझाते हुए उन्होंने कुछेक अवसरों पर सख़्त कार्यवाहियों को आवश्यक बताया।

विश्व जागृति मिशन के महामन्त्री श्री देवराज कटारिया ने बताया कि महायज्ञ १३ अक्टूबर तक चलेगा। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन वरदान सिद्धि साधना भी साधकों को सिखलाई जा रही है।

आनन्दधाम आश्रम में लक्ष्मी-गणेश यज्ञ

आनन्दधाम आश्रम में लक्ष्मी-गणेश यज्ञ | Sudhanshu Ji Maharajवेदों में यज्ञ को विश्व ब्रह्माण्ड की नाभि कहा गया है। यह सम्पूर्ण संसार यज्ञ से ही संचालित है। यज्ञ के माध्यम से अग्नि में आहुतियां डालकर जहां हम देवताओं को भोजन कराने का सुयश प्राप्त करते हैं। वहीं यज्ञ धूम्र से वायुमंडल के हानिकारक कीटाणुओं के नष्ट होने से पर्यावरण की शुद्धि होती है। यज्ञ भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। किसी भी कार्य का शुभारम्भ यज्ञीय भावना और यज्ञ से ही होता है। धर्मशास्त्रें का संदेश है कि देवपूजन, यज्ञ-अनुष्ठान से दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है और यदि साधक शिष्य गुरु के सान्निध्य में साधना, पूजा, जप-तप, यज्ञ-अनुष्ठान करे तो वह बड़भागी होता है।

वैसे तो धार्मिक अनुष्ठानों के लिये तीर्थस्थल पुण्यप्रद हैं, पर शिष्य के लिए सभी तीर्थों से पावन तीर्थ गुरुतीर्थ होता है, जिस स्थान पर सद्गुरु के चरण पड़ते हों, उनका निवास हो, जहां उनकी रात-दिन रहमत बरसती हो, वहां यदि यज्ञ-अनुष्ठान, पूजन-अर्चन का सुअवसर मिलता है तो वह अनंत गुणा फलदायी होता है।
इसी प्रकार यज्ञ कार्य वातावरण को शुद्ध करने विशेष सहायक होता है। बताया गया कि-

इद्र हविर्यातुधानान् नदीयेनमिवावहत्।
य इदं स्त्री पुमानकः इह स स्तुवतां जनः।
यत्रैषामग्ने जनिमानि वेत्थ गुहा सततमान्त्रिणां जातवेदः।।

अर्थात् ‘अग्नि में डाली हुई हवि रोग-कृमियों को उसी प्रकार दूर बहा ले जाती है, जिस प्रकार नदी पानी के झागों को। जो इस यज्ञ में हवि डालने के साथ मन्त्रेच्चारण द्वारा अग्नि का स्तवन करता है। कि प्रकाश अग्ने गुप्त स्थानों में छिपे बैठे हुए भक्षक रोग-कृमियों के जन्मों को तू जानता है। उन रोग कृमियों को नष्ट कर।’ वहां का वातावरण पूर्णतः शुद्ध, पवित्र एवं दिव्य बन जाता है। देवता सुख, शांति, समृद्धि की वर्षा करते हैं। अतः हम सब दीपावली काल में पर्व को उत्सव के रूप में मनायें ही, साथ इन मुहूर्तियों में गुरु संकल्पित यज्ञों में भागीदार बन जीवन को धन्य बनायें। सुख, समृद्धि, शांति का वरदान पायें। वैसे भी पुरातन परम्परा में प्रतिष्ठित समाज में सौहार्द, परिवार की सुख, शांति और समृद्धि, राष्ट्र की यश-कीर्ति की बढ़ोत्तरी के लिए इस यज्ञ को आवश्यक है कि बढ़ावा दिया जाये।

भक्तों का सौभाग्य है कि विश्व जागृति मिशन से जुड़े लाखों भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु, उनके स्वस्थ जीवन और घर में सुख-समृद्धि एवं विश्व शांति के लिए परमपूज्य सद्गुरुदेव श्रीसुधांशुजी महाराज समय-समय पर पूजा-पाठ, यज्ञ-अनुष्ठान इत्यादि का आयोजन करवाते रहते हैं। इस कड़ी में आनंदधाम आश्रम, नई दिल्ली में प्रति वर्ष श्रीगणेश-लक्ष्मी महायज्ञ का आयोजन किया जाता है। इस महायज्ञ में सिद्धि प्रदाता भगवान गणपति और सर्वसुखदात्री मां लक्ष्मी का पूजन-अर्चन एवं यज्ञ किया जाता है।
इस वर्ष महाराजश्री के पावन सािÂध्य में 108 कुण्डीय श्रीगणेश-लक्ष्मी महायज्ञ का आयोजन 10 से 13 अक्तूबर 2019 तक आनंदधाम आश्रम, नई दिल्ली में किया जा रहा है। जिसमें देश-विदेश से हजारों यजमान महायज्ञ में सम्मिलित होने के लिये पहुंच रहे हैं। इस महायज्ञ में इस वर्ष महाराजश्री के मार्गदर्शन में विद्वान आचार्यों द्वारा विशेष रूप से पूजन-अर्चन कर सिद्ध किये हुये स्वर्ण पॉलिश युक्त रजत श्री यंत्र एवं ‘स्फटिक श्रीयंत्र’ यजमान भक्तों को प्रदान किये जायेंगे।

भाग लेना के लिया संपर्क करे – +91 9312284390

चार दिनी विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का हुआ समापन

समाज-राष्ट्र सेवा कार्यों में तेज़ी लाएँ – सुधांशु जी महाराज

“भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना, अब तक तो निभाया है आगे भी निभा देना”

Virat Bhakti Satsang Faridabad-29-09-19 | Sudhanshu Ji Maharajफ़रीदाबाद, 29 सितम्बर। यहाँ हुडा ग्राउंड में 26 सितम्बर से चल रहा विश्व जागृति मिशन के चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव आज सायंकाल सम्पन्न हो गया। मिशन के फ़रीदाबाद मण्डल द्वारा आयोजित सत्संग समारोह के समापन सत्र में उदबोधन करते हुए संस्था प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने मण्डल के कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे मिशन के सेवा कार्यों को द्रुत गति दें और आध्यात्मिक नवजागरण के क्रियाकलापों तथा सेवा अभियान में तेज़ी लाएँ।

Virat Bhakti Satsang Faridabad-29-09-19 | Sudhanshu Ji Maharajआश्विन नवरात्रि पर्व के प्रथम दिवस की सन्ध्या में कई हज़ार स्त्री-पुरुषों की मौजूदगी में सत्संग कार्यक्रम को पूर्णाहुति की ओर बढ़ाते हुए प्रख्यात अध्यात्मवेत्ता श्री सुधांशु जी महाराज ने माँ दुर्गा से प्रार्थना की कि यह राष्ट्र सशक्त और समृद्ध बने और हमारा भारत देश विश्व में अग्रगण्य बने। उन्होंने सभी ज्ञान जिज्ञासुओं से कहा कि वे प्रस्तुत नवरात्रि महापर्व के दिनों में ख़ुद के साथ-साथ सभी के सुख, शान्ति, सन्तोष और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। उन्होंने सभी के लिए शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि माँ भगवती आप सबकी रुचि सेवा में बढ़ाएँ, आपकी सामर्थ्य बढ़े, आप कर्मयोगी बनकर निरोग जीवन जिएँ। आपके जीवन में उमंग व तरंग की लहरें उठें। आपको अपने मस्तक पर संतुष्टि और हृदय में प्रेम की सदैव अनुभूति हो। उन्होंने फ़रीदाबाद के दिव्य व्यासपीठ से समस्त देशवासियों के उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामना की।

उन्होंने माँ दुर्गा के एक सिर और आठ भुजाओं की व्याख्या करते हुए कहा कि जिस घर व परिवार में एक सिर यानी एक व्यक्ति का नेतृत्व होता है और काम करने वाले हाथ अनेक होते हैं, वह परिवार और समाज निरन्तर उन्नति की ओर बढ़ता चला जाता है। उन्होंने नवरात्रि पर्व से विविध प्रेरणाएँ लेने को कहा।

सत्संग समारोह का समापन श्रद्धेय आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज के नागरिक अभिनंदन एवं आरती के साथ हुआ। मिशन कार्यकर्ताओं ने देवदूत (अनाथ) बच्चों की शिक्षा सहित विभिन्न सेवा कार्यों को और गति देने का संकल्प लिया।

मिशन के फ़रीदाबाद मण्डल के प्रधान श्री राज कुमार अरोड़ा ने सदगुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज सहित सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का समस्त मंचीय समन्वयन एवं संचालन विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

पंच तत्वों का समन्वयन और सुनियोजन करने पर ही मिलता है सम्पूर्ण स्वास्थ्य

यह ब्रह्माण्ड आपको प्यार करता है, इसको अनुभव कीजिए

स्वस्थ वृत्त के विशेष सत्र में डॉ. अर्चिका दीदी ने कहा

ज्ञानी वह है जो जीवन के हर कर्म को आनन्दमयी खेल बना लेता है -आचार्य सुधांशु जी महाराज

पता नहीं मैं कहां जा रहा हूं, तू ले जा रहा है वहां जा रहा हूं

Virat Bhakti Satsang Faridabad-28-09-2019 | Sudhanshu Ji Maharajफरीदाबाद, 28 सितम्बर (पूर्वाह्नकाल)। बेचैनी और शिकायत से भरे व्यक्तियों को जीवन में सफलता नहीं मिला करती। सफल वे व्यक्ति होते हैं जो शिकायती नहीं बल्कि धन्यवादी बनते हैं। धन्यवादी स्वभाव एक ऐसी महान आदत है जो व्यक्ति को बहुत बड़ी ऊंचाइयों पर पहुंचा देती है। ऐसे लोगों को समाज के व्यक्तियों से तो सकारात्मक सहयोग एवं सहायताएं तो मिलती ही है, ईश्वरीय सत्ता भी उन्हें सतत् संरक्षण प्रदान करती है।

यह बात आज सुबह फरीदाबाद के सेक्टर-१२ स्थित हुडा सत्संग ग्राउंड पर तीन दिनों से चल रहे विश्व जागृति मिशन के विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के आज के प्रातःकालीन सत्र में प्रख्यात ध्यान-योगगुरु डॉक्टर अर्चिका दीदी ने कही। वह स्वास्थ्य कक्षा में दूर-दूर से आए श्रृद्धासिक्त ध्यान जिज्ञासुओं को सम्बोधित कर रही थीं। विश्व जागृति मिशन की उपाध्यक्ष डॉक्टर अर्चिका दीदी ने कहा कि यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड सभी अपनों से प्यार करता है, इसके लिए हमें उसका अपना बनना पड़ता है। परम पिता परमेश्वर का यह अपना बनना केवल और केवल भक्तियुक्त ध्यान से संभव होता है। उन्होंने २४ घण्टे में कुछ समय खुद के लिए निकालकर ध्यानस्थ होने और उस प्रेमभरी ब्रह्मांडीय ऊर्जा की अनुभूति करने की प्रेरणा दी और उसकी यौगिक एवं आध्यात्मिक विधि सभी को सिखाई। उन्होंने ध्यान के कुछ प्रयोग भी सैकड़ों की संख्या में सभागार में मौजूद स्त्री-पुरुषों को सिखाए।

प्रख्यात चिन्तक, विचारक एवं अध्यात्मवेत्ता तथा विश्व जागृति मिशन के कल्पनापुरुष आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने स्वस्थ वृत्त की इस कक्षा में जिज्ञासु जनसमुदाय को शरीर, मन और आत्मा को सुस्वास्थ्य प्रदान करने के अनेक सूत्र दिए। उन्होंने ज्ञानी बनने के तरीके सभी को समझाते हुए कहा कि “ज्ञानी वह है जो सारे कर्मों को आनन्दमयी खेल के साथ करता है”। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश नामक पंचमहाभूतों का मर्म उन्होंने उपस्थित जनमानस को बताया और कहा कि पंचतत्वों का समन्वयन और सुनियोजन करने पर ही सम्पूर्ण स्वास्थ्य की प्राप्ति साधक को होती है।

सत्संग स्थल पर लगे दर्जन भर स्टालों की जानकारी देते हुए स्टाल प्रभारी श्री प्रयाग शास्त्री ने बताया कि यहां ज्ञान दीप विद्यालय, साहित्य, युगऋषि आयुर्वेद, शिक्षा, स्वास्थ्य, अन्नपूर्णा योजना, वृद्धजन सेवा, गौसेवा, यज्ञ-अध्यात्म, धरमादा सेवा आदि की जानकारी देते स्टाल लगाए गए हैं, जिन पर भारी संख्या में व्यक्ति आकर आवश्यक जानकारियां प्राप्त कर रहे हैं।

विश्व जागृति मिशन के फरीदाबाद मण्डल प्रधान श्री राज कुमार अरोरा ने बताया कि सत्संग समारोह का समापन कल रविवार की शाम ७.०० बजे होगा। कल प्रातः आठ बजे से आरंभ होने वाला सत्र भी स्वस्थवृत्त कक्षा को ही समर्पित होगा। संध्याकाल के सत्र के पहले दोपहर में सामूहिक मंत्र दीक्षा चयनित व्यक्तियों को दी जाएगी।

जीवन संघर्षों से जूझने वाले व्यक्ति हर परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं

ज्ञान दीप विद्यालय के छात्र – छात्राओं के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की परमाचार्य श्री सुधांशु जी महाराज सहित सभी ने की भूरि-भूरि सराहना

” नहीं मैं अकेला मेरे साथ तू है “

दिव्य भजनों से सजी संध्या, ज्ञान साधक हुए अभिभूत

फरीदाबाद सत्संग महोत्सव का दूसरा दिवस

Virat Bhakti Satsang-Faridabad-27-9-19 | Sudhanshu Ji Maharajफरीदाबाद, 27 सितम्बर। विश्व जागृति मिशन के फरीदाबाद मण्डल द्वारा यहां हुडा ग्राउंड में आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग समारोह के दूसरे दिन भारी संख्या में मौजूद ज्ञान जिज्ञासुओं को संबोधित करते हुए संस्था प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि जीवन सदैव गतिमान है। जीवन परीक्षा का नाम है, संघर्षों का नाम है। मनुष्य के जीवन में अनेक बार उसकी हिम्मत, धैर्य, भावना, विवेक और समझदारी की परीक्षा होती है। जीवन के इन संघर्षों से जूझकर इनसे पार पाने वाले पुरुषार्थी व्यक्ति जीवन की प्रत्येक परीक्षा में सफल होते हैं।

श्रद्धेय महाराजश्री ने कहा कि परीक्षाएं ऐसे मानवों को निरंतर निखारती है जो भाग्य का रोना नहीं रोते और पुरुषार्थ के लिए सदैव उद्यत होते हैं। उन्होंने कहा कि जीवनी शक्ति उन्हीं की पूरी तरह काम आती है जो अपने आपको भीतर से जोड़े रहते हैं। कहा कि वर्षा के दिनों में तो सभी नदियां बाढ़ लाती देखी जाती हैं, लेकिन गर्मी के मौसम में वही नदियां जलयुक्त रहती हैं जो हिमालय से जुड़ी होती हैं। उन्होंने सभी से हिमालय अर्थात् परमेश्वर से खुद को जोड़े रहने को कहा। मिशन प्रमुख ने अश्वमेध यज्ञ और बाजपेय यज्ञ सहित विभिन्न यज्ञों का माहात्म्य भी उपस्थित जनसमुदाय को समझाया।

आज की संध्या दिव्य भजनों से सजी थी। लोकगायक सर्वश्री कश्मीरी लाल चुग, सुरेन्द्र सिंह, राम बिहारी, महेश सैनी द्वारा प्रस्तुत भाव गीतों से वहां उपस्थित भक्त समुदाय भाव विभोर हो उठा। इसके पूर्व फरीदाबाद स्थित ज्ञान दीप विद्यालय के छात्र – छात्राओं द्वारा बड़े ही प्रेरक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, जिन्हें देखकर सभागार में हुई करतल ध्वनि से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। बच्चों ने मैया यशोदा तेरा कन्हैया और शिक्षा का पहला कदम जैसे विविध कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।

विश्व जागृति मिशन मुख्यालय आनन्दधाम से आए मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र के मंचीय समन्वयन एवं संचालन में संपन्न हुए आज के सत्र में मौजूद विजामि के मंडल महामंत्री श्री पी.डी.आहूजा ने बताया कि सत्संग समारोह में औद्योगिक नगरी फरीदाबाद के अलावा राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली सहित एनसीआर के विभिन्न अंचलों के ज्ञान जिज्ञासु पधार रहे हैं।

फरीदाबाद में चार दिवसीय सत्संग महोत्सव का हुआ श्रीगणेश

काल प्रवाह से प्रभावित नहीं होती है श्रीमद्भगवद्गीता

गीता हर भाषा में दुनिया भर में पहुंच चुकी है, श्री सुधांशु जी महाराज बोले

Virat Bhakti Satsang Faridabad 26-9-19 | Sudhanshu Ji Maharajफरीदाबाद, 26 सितम्बर। हरियाणा प्रांत के मुख्य औद्योगिक नगर फरीदाबाद के सेक्टर – १२ स्थित विशाल सत्संग पार्क में विश्व जागृति मिशन के चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आगाज आज अपराह्नकाल हो गया। रविवार २९ सितम्बर की संध्याकाल तक चलने वाले सत्संग समारोह का उद्घाटन करने के उपरान्त मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने श्रीमद्भगवद्गीता का प्यारा सा सन्देश हजारों की संख्या में वहां मौजूद ज्ञान जिज्ञासुओं को दिया। सत्संग समारोह के उद्घाटन सत्र में हरियाणा के उद्योग मंत्री श्री विपुल गोयल सहित कई गण्यमान व्यक्ति उपस्थित रहे।

पवित्र व्यासपीठ से प्रवचन करते हुए श्रद्धेय श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि काल प्रवाह के साथ अन्य अनेक चीजें प्रभावित हुई हैं, लेकिन श्रीमद्भगवद्गीता उससे प्रभावित नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि गीता आज दुनिया के लगभग सभी देशों में वहां की भाषा में पहुंची है। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के अमृत कलश का नाम गीता है। आज आवश्यकता है कि श्रीमद्भगवद्गीता पूजनीय ग्रंथ से आगे बढ़कर हम सबके जीवन में आए। उन्होंने कहा कि गीता केवल अर्जुन की नहीं सुनाई गई बल्कि प्रभु श्रीकृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से जीवन का अद्भुत सन्देश मानव मात्र को दिया है। गीता अपने अवतरण से लेकर आज तक है और आगे भी रहेंगी।

मिशन प्रमुख ने श्रीमद्भगवद्गीता का सम्मान करने वाले इतिहास पुरुषों में दारा शिकोह का नाम बड़े आदर के साथ लिया और बताया कि भगवान के ईश्वरीय सन्देश का व्यापक पैमाने पर प्रसार करने के कारण उस विद्वान महापुरुष का बड़ी निर्ममता के साथ वध कर दिया गया था। उन्होंने दुनिया भर में फैले आतंक की कड़े शब्दों में निंदा की और कहा कि इस विश्वव्यापी आतंक का समापन गीता के सिद्धांतों का अनुकरण करके ही किया जा सकेगा।

इसके पूर्व आचार्य श्री सुधांशु की महाराज एवं उद्योग मंत्री श्री विपुल गोयल सहित प्रमुख व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्वलित करके विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का उद्घाटन किया गया। मिशन के मंडल प्रधान श्री राज कुमार अरोरा एवं श्री बी. के. सिंह द्वारा व्यास पूजन के बाद उपस्थित जन समुदाय की ओर से कुछ प्रतिनिधियों ने श्रद्धेय महाराजश्री का फरीदाबाद आगमन पर भव्य अभिनन्दन किया।

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का सभा समन्वयन एवं संचालन विश्व जागृति मिशन, आनन्द धाम, नई दिल्ली के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया। स्थानीय प्रतिनिधि डॉ.आर.बी.बारी ने बताया कि सत्संग समारोह २९ सितम्बर की सायंकाल तक चलेगा। उन्होंने बताया कि रविवार को पूर्वाह्नकाल के सत्र के बाद दोपहर में सामूहिक मंत्रदीक्षा संपन्न होगी।

An Apostle of Peace, Love and Compassion | Part-7 | Sudhanshu Ji Maharaj

An Apostle of Peace and compassion Part 7 | Sudhanshu Ji Maharaj

An Apostle of Peace and compassion Part 7

Life devoted to human development:

His beliefs touch the entire course of human life. Serene thoughts give relaxation and peace to the brain. And peaceful mind generates power. It helps to increase the concentration, retention power, confidence, willpower and many more traits that help to move ahead in life. He believes that thoughts shape the entire personality of an individual. They enable us to carry on our endeavors in the right path. He also emphasizes on drifting away from both being coward and weakness as they are sins. The brave people carry moral values and hence are fearless.

As mentioned earlier he had established Vishwa Jagriti Mission, an organization to give a meaningful touch to his dream. He foresees his dream to become a reality, His dream being; the enlightenment across the Globe (vishwa mei jagriti). This awareness is in the form of looking into the inner self and getting immersed in the treasure of knowledge.

Maharaji’s philosophy circumvents every minute aspect of human life. His sermons move in the direction of integrating masses with the Supreme virtues of love, sympathy, compassion, cooperation, coordination, serenity and divinity. He gives super most importance to the feeling of love and help for the poor that originates as a fountain from the seat of his heart.