गणेश कला क्रीड़ा रंगमंच सभागार में विराट भक्ति सत्संग महोत्सव शुरू

ॐकार का जप-उच्चारण साधक की चेतना को ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ता है

विश्व जागृति मिशन के क्रियाकलाप लोक कल्याणकारी हैं

”जीवन की घड़ियाँ बिरथा न खो ॐ जपो हरि ॐ जपो”

प्रमुख अध्यात्मवेत्ता आचार्य श्री सुधांशु जी पुणे पहुँचे

Virat Bhakti Satsang Pune 15-01-2020 | Sudhanshu Ji Maharajपुणे, 15 जनवरी। महाराष्ट्र की विख्यात प्राचीन नगरी पुणे के गणेश कला क्रीड़ा रंगमंच सभागार में पंचदिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव आज अपराह्नकाल विधिवत शुरू हो गया। विश्व जागृति मिशन के पुणे मण्डल के तत्वावधान में आयोजित सत्संग समारोह को सम्बोधित करने संस्था प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज आज दोपहर पुणे पहुँचे। उन्होंने दीप प्रज्जवलित करके पाँच दिनी सत्संग समारोह का श्रीगणेश किया। कार्यक्रम में पुणे सहित महाराष्ट्र के विभिन्न अंचलों से हजारों की संख्या में आए ज्ञान-जिज्ञासु उपस्थित थे। मिशन के पुणे मण्डल के प्रधान श्री घनश्याम झंवर ने महाराजश्री का अभिनंदन किया।

‘ॐ नमः शिवाय’ के सामूहिक संकीर्तन से आरम्भ हुए सत्संग समारोह में आचार्यवर श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि ॐ नाम का संकीर्तन मनुष्य को चिन्ताओं, डरों एवं कषाय-कल्मषों से मुक्त करता है। व्यक्ति अन्दर से बलिष्ठ बनता है और उसमें औदार्य यानी उदारता जैसे ढेरों सद्गुण विकसित होते हैं। उन्होंने खुद के लिए प्रतिदिन थोड़ा समय निकालने की प्रेरणा सबको दी और आन्तरिक क्षेत्र के विकास पर विशेष ध्यान देने को कहा।

श्री सुधांशु जी महाराज ने ॐकार की अपरिमित शक्ति की चर्चा करते हुए कहा कि ॐकार का उच्चारण साधक की आत्म चेतना को परम पिता परमात्मा की ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ देता है। यह साधक को एकाकीपन से हटाकर विराट से जोड़ता है, उसके बासीपन को खत्म करके उसे ताजगी से भर देता है। हजारों की संख्या में मौजूद ज्ञान-जिज्ञासुओं को उन्होंने ॐकार का अभ्यास भी कराया।

मिशन प्रमुख ने उत्तरायण पर्व और मकर संक्रांति की बधाई देते हुए सभी सुधीजनों से कहा कि गीता में कुछ श्लोक ऐसे हैं जिनमें भगवान श्रीकृष्ण ने इस लोक को कुछ आदेश दिये हैं और कहा है कि मानव को यदि सुखी रहना है तो यह करना ही है। साधना का मार्ग अपनाना उन आदेशों में एक महत्वपूर्ण आदेश है। उन्होंने कहा कि साधना जीवात्मा की यात्रा का एक महत्वपूर्ण भाग है। श्रद्धेय महाराजश्री ने कहा कि इस जीवन में की गई साधना अगले जन्मों तक को प्रभावित करती है। साधना व्यक्ति के चैतन्य को जागृत करके उसे परम पद से जोड़ती है।

इसके पूर्व विश्व जागृति मिशन मुख्यालय आनन्दधाम नई दिल्ली से पुणे पधारे संस्था के निदेशक श्री राम महेश मिश्र के मंचीय समन्वयन व संचालन में सम्पन्न उदघाटन सत्र में पुणे मण्डल के संगठन मन्त्री श्री रवीन्द्र नाथ द्विवेदी ने संगठन की ओर से उपस्थित जनसमुदाय का अभिनन्दन किया। उन्होंने स्थानीय मण्डल की आध्यात्मिक व प्रचारात्मक गतिविधियों तथा रचनात्मक क्रियाकलापों की जानकारी सभी को दी।

विजामि परिवार पुणे मण्डल के महासचिव श्री विष्णु भगवान अग्रवाल ने बताया कि मन्त्र दीक्षा कार्यक्रम रविवार 19 जनवरी को दोपहर १२.३० बजे सम्पन्न होगा।

बालाश्रम के बाल-योगियों की योग प्रस्तुतियों को देखकर श्रोता हुए अभिभूत

दुनिया के पीछे भागने से दुनिया आपसे दूर भागती है और ईश्वर से जुड़ जाने पर वही दुनिया आपके पीछे दौड़ती है

”प्रभु मेरे जीवन को कुन्दन बना दो, कोई खोट इसमें रहने न पाए”

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का प्रथम दिवस

विश्व जागृति मिशन के सूरत मण्डल

सूरत, 09 जनवरी (सायं)। विश्व जागृति मिशन के सूरत मण्डल द्वारा यहाँ रामलीला मैदान में आयोजित चार दिनी विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के प्रथम दिवस की सन्ध्या दिव्य भजनों तथा योगासनों की प्रस्तुतियों से सजी थी। नयी दिल्ली स्थित मिशन मुख्यालय आनन्दधाम से आए संगीत दल द्वारा प्रस्तुत भजनों तथा देव संस्कृति विश्वविद्यालय शान्तिकुंज हरिद्वार से उच्च शिक्षा प्राप्त योगाचार्य अतुल कुमार से प्रशिक्षण पाए बालाश्रम के बाल-योगियों की योग प्रस्तुतियों को देखकर समस्त जनमानस भावविभोर हो उठा। इस मौके पर हरिद्वार विश्वविद्यालय के अन्य योगगुरु आचार्य पंकज महाराज भी उपस्थित रहे।

बाल-योगियों एवं उनके योग शिक्षक की सराहना करते हुए मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि योग विज्ञान इन दिनों पूरे विश्व में अपने पैर पसार रहा है। योग विज्ञान ने युवाओं के लिए रोजगार के अनेक अवसर प्रदान किये हैं। उन्होंने बालाश्रम की सक्रिय गतिविधियों के लिए स्थानीय विजामि मण्डल प्रधान श्री गोविन्द डांगरा सहित यहाँ के समस्त कार्यकर्ताओं, विशेष रूप से धर्माचार्य आचार्य श्री राम कुमार पाठक के प्रयासों की सराहना की।

श्रीमदभगवदगीता विषय पर आध्यात्मिक सन्देश देते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि सत्संग, प्रार्थना, भजन, नाम-स्मरण आदि मानव की आत्मा को विशुद्ध बनाते हैं। उन्होंने सत्संग को शान्ति प्रदाता बताया और कहा कि आत्मोद्धार के लिए सत्संग और स्वाध्याय से नियमित रूप से अपने-आपको जोड़े रखना चाहिए। उन्होंने शास्त्र-सम्मत ज्ञान का सम्मान करने का आहवान सभी से किया। आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने गीता सन्देशों को आत्मसात करने की अपील की और कई उद्धरण देते हुए विशेष गीतोपदेश दिया।

मिशन प्रमुख ने कहा कि यह दुनिया बड़ी अजीब है। जब आप इसके पीछे भागते हैं तब यह आपसे दूर चलती जाती है और जब आप दुनिया से भागते हैं तथा ईश्वर से पीछे दौड़ते हैं तब वही दुनिया आपके पीछे दौड़ती है। कहा कि इसलिए समझदार व्यक्ति दुनिया से नहीं बल्कि परम पिता परमात्मा से स्वयं को जुड़ते हैं। जुड़ती दुनिया भी है लेकिन भगवान का प्रिय बनने पर ही वह मनुष्य का यह सम्मान करती है। उन्होंने संघर्षों से नहीं भागने की प्रेरणा उपस्थित जनसमुदाय को दी और कहा कि यह जीवन ही एक संग्राम है, इससे लड़े बिना अर्थात संघर्षों का सामना किये बिना आप सफल नहीं हो सकते। कहा कि आंधियों तथा सर्दी, गर्मी एवं बरसात को झेलने वाले पेड़ ही मज़बूत बनते हैं और सभी के काम आते हैं। श्रद्धेय महाराजश्री ने अनासक्त योग पर भी ज्ञान जिज्ञासुओं का मार्गदर्शन किया। उन्होंने ज़िम्मेदारीपूर्वक कर्तव्य निर्वहन करते हुए उनमें लिप्त नहीं होने के सूत्र सभी को सिखलाए।

गायत्री महामन्त्र के साथ सूर्यनगरी में चार दिनी विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का हुआ आग़ाज़

डर और दुःख के बीच होता है गहरा रिश्ता

अयोग्य व्यक्ति को चापलूसी करनी पड़ती है और योग्य व्यक्ति स्वाभिमानी होता है एवं उसकी हर जगह कद्र होती है

शोभा यात्रा ने मचाई सूरत में विचार क्रान्ति की अद्भुत धूम

Virat Bhakti Satsang Surat 09-1-20 | Sudhanshu Ji Maharajसूरत, 09 जनवरी (प्रातः)। गुजरात प्रान्त की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले सूरत महानगर में 04 दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आगाज आज पूर्वाहनकाल गायत्री महामन्त्र के सामूहिक उच्चारण के साथ हुआ। नगर के रामलीला प्रांगण में दिव्य भजनों से आरम्भ हुए सत्संग समारोह के पूर्व नगर में विशाल मंगल शोभा यात्रा निकाली गई। दीप प्रज्ज्वलन के साथ शुरू हुए सत्संग महोत्सव के मान्य अतिथियों द्वारा आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज का भव्य स्वागत किया गया। सूरत के वेसू स्थित बालाश्रम के विद्यार्थियों के दल ने स्वस्तिवाचन किया। इस मौके पर आचार्यों द्वारा किए गए शंख ध्वनि से पूरा सभागार व प्रांगण गुंजायमान हो उठा।

प्रवचन करते हुए प्रख्यात अध्यात्मवेत्ता आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि डर और दुःख के बीच का रिश्ता बड़ा गहरा होता है। जो डरता है वह दुःख अवश्य पाता है। डरे हुए व्यक्ति से कभी बड़े काम नहीं हुआ करते। बीमारी हो अथवा अन्य कठिनाईयां, उनसे नहीं डरने पर मनुष्य उन पर विजय अवश्य प्राप्त करता है। गीता के उपदेश का उद्धरण देते हुए उन्होंने धार्मिक मनोरंजन की वृत्ति त्यागकर सच्चा आध्यात्मिक व्यक्ति बनने की प्रेरणा सभी को दी। कहा कि चूहे का दिल रखकर शेर का भी शरीर धारण कर लेने से कभी कुछ नहीं मिलता। कहा कि सिंह बनने के लिए अंतरतम को मनोबली बनाना होगा। ऋषि उक्ति ‘वीर भोग्या वसुधंरा’ की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि यह दुनिया बहादुरों की ही कद्र सदा से करती रही है। उन्होंने कायरता को जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप बताया।

मिशन प्रमुख ने कहा कि श्रीमदभगवतगीता को जीवन में आचरित करने पर व्यक्ति न केवल सुयोग्य बनता है बल्कि वह स्वाभिमानी चरित्र का धनी बनता है। उन्होंने कहा कि अयोग्य लोगों को सक्षम व्यक्तियों की चापलूसी करनी पड़ती है लेकिन योग्य व्यक्ति भीतर से न केवल स्वाभिमानी होते हैं बल्कि उनकी हर जगह कद्र होती है। ऐसे व्यक्तियों को बड़े-बड़े मालिक भी अपने से दूर नहीं करना चाहते। उन्होंने योग्यता को एक ‘देवी सम्पदा’ की संज्ञा दी। आत्मा के स्वरूप को पहचानने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने बताया कि योग्य व्यक्ति सदैव विनम्र बनते हैं और सभी के प्रिय पात्र बन जाते हैं।

नई दिल्ली से सूरत पहुँचे विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने संस्था की गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया कि मिशन के सेवा कार्यक्रमों में अनाथ (देवदूत) बच्चों की शिक्षा एक प्रमुख कार्यक्रम है। उन्होंने बताया कि देवदूत बच्चों का एक स्कूल यहाँ भी कार्यरत है। बालाश्रम सूरत के वरिष्ठ धर्माचार्य आचार्य रामकुमार पाठक ने बताया कि चार दिनी यह सत्संग महोत्सव मुख्य रूप से बालाश्रम में शिक्षा प्राप्त कर रहे देवदूत बालकों की शिक्षा एवं उत्थान के लिए ही समर्पित है। विश्व जागृति मिशन के सूरत मण्डल के प्रधान श्री गोविन्द डांगरा ने बताया कि सत्संग के अन्तिम दिवस मध्यानकाल में सैकड़ों दीक्षार्थी गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज से मन्त्र दीक्षा ग्रहण करेंगे। इसकी पंजीयन प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी है।

आत्म साधना-जीवन साधना पर ध्यान देने वाले बनते हैं सर्वसमर्थ

”समर्थ गुरु के विराट स्वरूप को समझ पाना सहज सम्भव नहीं होता, उसके लिए विशेष प्रयत्न करने की होती है जरूरत”

”साहिब तुम मत भूलियो लाख लोग मिल जाहिं, हम से तुमरे बहुत हैं तुम सम दुसरो नाहिं”

Virat Bhakti Satsang-Nagpur-29-12-19 | Sudhanshu Ji Maharajनागपुर, 29 दिसम्बर (प्रातः)। आज के सत्संग सत्र में प्रख्यात चिन्तक, विचारक, अध्यात्मवेत्ता आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने आंतरिक गाम्भीर्य बढ़ाने के कई आध्यात्मिक फार्मूले उपस्थित जन-समुदाय को बताए और कहा कि आत्म-साधना अर्थात जीवन साधना पर ध्यान देने वाले व्यक्ति न केवल अपना बल्कि सभी का कल्याण करने में समर्थ होते हैं, सफल होते हैं। विश्व जागृति मिशन के नागपुर मण्डल द्वारा आहूत पंचदिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के पूर्वाहनकालीन सत्र में मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि मन का जीवन में बड़ा महत्व है। वह चाहे तो किसी को ऊँचा उठा दे और चाहे तो नीचे गिरा दे। इस मन पर नियंत्रण करने वाले व्यक्ति वास्तव में सौभाग्यशाली होते हैं। इस मन का इलाज गुरु किया करते हैं। उनके ज्ञान की सुगन्ध से लोगों का वैयक्तिक हित तो होता ही है, समूह-मन का भी बड़ा हित होता है। कहा कि गुरु को समझने के लिए भी बड़ी ईश कृपा की जरूरत पड़ती है। अधिकांश शिष्य गुरु के विराट स्वरूप को समझ नहीं पाते, जैसे अर्जुन ब्रह्मस्वरूप गुरु अर्थात श्रीकृष्ण को समझ नहीं पाया था। उसे समझाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण को विशेष ईश-संरक्षण अर्जुन को प्रदान करना पड़ा था।

आनन्दधाम नई दिल्ली से आये विश्व जागृति मिशन के धर्मादा अधिकारी श्री जीसी जोशी ने बताया कि संस्था द्वारा अनाथाश्रम सेवा, गुरुकुल सेवा, वृद्धाश्रम सेवा, करुणा सिन्धु धर्मार्थ अस्पताल सेवा, गौशाला सेवा, भंडारा सेवा, देव मन्दिर सेवा, यज्ञ सेवा एवं सत्संग आदि सेवायें राष्ट्रीय स्तर पर संचालित की जा रही है। उन्होंने बताया कि सत्संग स्थल पर इन धर्मादा सेवाओं से जुड़े स्टॉल लगाकर उनसे लोगों को जोड़ा जा रहा है। युगऋषि आयुर्वेद हेल्थकेयर फ़ाउण्डेशन नई दिल्ली के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री के.के.जैन ने रोज़गारोन्मुख इस योजना के बारे में जानकारी दी और बताया 150 से अधिक आयुर्वेदिक उत्पाद सिडकुल हरिद्वार में तैयार करवाकर देश भर में पहुँचाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये उत्पाद लोगों को विभिन्न बीमारियों से बचाने में भारी योगदान दे रहे हैं। युगऋषि आयुर्वेद की ई.सर्विस के प्रभारी श्री संकल्प सोलंकी ने अपने प्रभाग की बहुआयामी सेवाओं से सभी को अवगत कराया।

विश्व जागृति मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बाताया कि नागपुर सत्संग महोत्सव में मिशन मुख्यालय नई दिल्ली के अलावा देश के अन्य कई मण्डलों के अधिकारी भी यहाँ पहुँचे, जिनमें श्री मनोज शास्त्री, श्री रवीन्द्र गांधी, श्री ललित राय, श्री राजेन्द्र भारती एवं श्री यशपाल सचदेव शामिल हैं।

मानव जीवन में परीक्षा प्रकृति की एक अनिवार्य व्यवस्था है

नागपुर में श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा

सुबह शाम ईश्वर को थैंक्स कहना ही प्रार्थना है

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का तीसरा दिवस

Virat Bhakti Satsang-Nagpur-27-12-19 | Sudhanshu Ji Maharajनागपुर, 27 दिसम्बर (सायं)। महाराष्ट्र की उप राजधानी कहे जाने वाले नागपुर के रेशमबाग में आज सन्ध्याकाल प्रख्यात अध्यात्मवेत्ता आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि परीक्षा हर किसी को देनी पड़ती है, चाहे वह एक बच्चा हो या कोई बूढ़ा व्यक्ति। जो परीक्षा से घबराते हैं वे अपनी जिंदगी में पिछड़ जाते हैं। परीक्षा मानव जीवन की एक प्राकृतिक एवं अनिवार्य व्यवस्था है। उन्होंने सभी से जीवन की विविध परीक्षाओं के लिए धैर्यपूर्वक हमेशा तैयार रहने को कहा।

श्रीमद्भभगवदगीता की सन्देश श्रृंखला के क्रम में आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने गीता के 11वें अध्याय के 36वें श्लोक की चर्चा करते हुए उसमें अर्जुन और गीतानायक भगवान श्रीकृष्ण के बीच के संवाद की चर्चा की और कहा कि अर्जुन कहता है कि हे माधव! आपकी यशोगाथा न केवल यह धरती बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड एवं समस्त प्रकृति करती है। इतिहास के अनुपम गुरु-शिष्य अर्थात कृष्ण-अर्जुन के मध्य की चर्चाओं का विवेचन करते हुए उन्होंने ‘शिकायती नहीं धन्यवादी’ बनने का आह्वान सभी से किया। कहा कि सदैव शिकायत करते रहने वाले व्यक्ति जीवन में कभी सफल नहीं होते, सुखी नहीं रहते।

मनुष्य में व्याप्त ‘आत्म-तत्व’ की महत्ता पर चर्चा करते हुए आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने मानव को शक्ति और संभावनाओं का पुंज बताया। कहा कि उसे प्रयासपूर्वक पहचानना पड़ता है। इसके लिए उन्होंने विशेष मन्त्र-सूत्र समझाए और उनका विवेचन किया। उन्होंने आज मध्यानकाल में नागपुर के सूराबर्डी स्थित दिव्य निर्मल धाम आश्रम में कतिपय नए निर्माण कार्यों का भूमिपूजन किया। उल्लेखनीय है कि इस आश्रम में विशाल सत्संग भवन, विशाल सिद्ध शिखर, राम सेतु, द्वादश ज्योतिर्लिंग, गुफा मन्दिर, नव दुर्गा मन्दिर, वैष्णव माता मन्दिर स्थित है। इस केन्द्र के दर्शन करने हजारों व्यक्ति पहुँचते हैं। वृहद् विजामि परिवार के आचार्य शिवदत्त मिश्र के आध्यात्मिक नेतृत्व में यह आश्रम कुशलतापूर्वक सेवारत है।

रेशमबाग में आज की संध्या प्रेरणादायी भजनों से सजी हुई थी। श्री कश्मीरी लाल चुग, महेश सैनी, राम बिहारी एवं आचार्य अनिल झा द्वारा गाये गए गीतों से सभी ने प्रेरणा ली। संगीत दल में वादक के रूप में श्री राहुल आनन्द, रामनिधि, सौरभ एवं बापूराव सम्मिलित थे।

विश्व जागृति मिशन मुख्यालय आनन्दधाम नई दिल्ली से आये स्टॉल प्रभारी श्री प्रयाग शास्त्री ने बताया कि सत्संग सभा स्थल पर लगभग एक दर्जन स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें साहित्य, वृद्धजन सेवा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा सेवा, गौ सेवा, कैलाश यात्रा, अनाथ शिक्षा सेवा, धर्मादा सेवा, गुरुकुल आदि के स्टॉल शामिल हैं।

स्वांस-प्रश्वांस का सन्तुलन स्वस्थ जीवन का मूल मन्त्र

आप रथी औऱ शरीर रथ तथा इन्द्रियाँ घोड़ें, आप कुशल रथी बनिये और सही दिशा में बढ़ जाईये

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के प्रातःकालीन सत्र में ज्ञान-जिज्ञासुओं को ध्यान की गहराई में उतारा गया

Virat Bhakti Satsang-Nagpur-27-12-2019 | Sudhanshu Ji Maharajनागपुर, 27 दिसम्बर (प्रातः)। आप रथी हैं, यह शरीर रथ है, लगाम बुद्धि (मन) के हाथ में है और शरीर की इन्द्रियाँ घोड़ें हैं। ये इन्द्रियाँ अपने-अपने विषयों की ओर भागती हैं और रथ को तथा रथी को मानवीय जीवन के शाश्वत गंतव्य तक न पहुँचाकर इधर-उधर भटका देती है और रथी यानी आपको इस सुर-दुर्लभ काया में आने के उद्देश्य से दिग्भ्रमित कर देती हैं।

यह उदगार आज यहाँ रेशमबाग स्थित विशालकाय प्रांगण में 25 दिसम्बर से चल रहे विश्व जागृति मिशन के सत्संग समारोह में संस्था प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि ये इन्द्रियाँ मानव की बुद्धि पर नशा चढ़ा देती है। यह नशा अनेक स्रोतों से आता है, जिनमें जवानी, खानदान-कुल, रंग जवानी, रूप, धन, पद आदि का नशा शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये रथी सदा-सर्वदा सफल होते हैं जो अपने जीवन रथ का सारथी अर्जुन की भाँति परमेश्वर को बना लेते हैं। जिस रथ का सारथी परमात्मा है, वह रथ कभी भी दिशा नहीं भटक सकता। अतः रथ की लगाम परमात्मा का अंश ‘आत्मा’ के हाथ में पकड़ाएं, मन के हाथ में नहीं।

आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने आज के पूर्वाहनकालीन सत्र में सैकड़ों की संख्या में उपस्थित स्त्री-पुरुषों को जीवन की सफलता के लिए ध्यान को जरूरी बताया। उन्होंने ध्यान की सरल विधियाँ सभी को सिखलायीं। उन्होंने ध्यान एवं योगासन की क्रियाओं में स्वांस-प्रश्वांस को ज़रूरी बताया तथा देशवासियों का आह्वान किया कि वे प्रतिदिन अपने लिए कुछ समय अवश्य निकाला करें। आपके द्वारा ख़ुद की की गई यह सेवा वास्तव में देश की बड़ी सेवा होगी।

विश्व जागृति मिशन के नागपुर मण्डल के महामन्त्री श्री दिलीप मुरारका ने बताया कि कल रेशमबाग स्थित कविवर्य सुरेश भट्ट सभागृह में ‘गुरु मन्त्र सिद्धि साधना’ के विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। अतएव 28 दिसम्बर का पूर्वाहनकालीन सत्र सत्संग हॉल के स्थान पर सुरेश भट्ट आडिटोरियम में सम्पन्न होगा। मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि नागपुर सत्संग महोत्सव में महाराष्ट्र के अलावा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि प्रान्तों के ज्ञान-जिज्ञासु भाग ले रहे हैं।

महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में बह रही है अद्भुत ज्ञान गंगा

हरि ॐ नमो नारायणाय के समूह गायन से गूँजा रेशमबाग प्रांगण

Virat Bhakti Satsang-Nagpur-26-12-2019 | Sudhanshu Ji Maharajनागपुर, 26 दिसम्बर (सायं)। विश्व जागृति मिशन के स्थानीय मण्डल के द्वारा आयोजित पाँच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के दूसरे दिन की सांध्यकालीन वेला में मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज द्वारा गाए गीत ‘हरि ॐ नमो नारायणाय’ को जब कई हजार कण्ठों ने एक साथ गाया, तब आरएसएस के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय के समीप स्थित विशालकाय रेशमबाग परिसर में चहुँओर दिव्यता का अहसास सभी ज्ञान-सुधी-श्रोताओं को हुआ।

ज्ञातव्य हो कि राष्ट्र के जाने-माने चिन्तक, विचारक, आध्यात्मवेत्ता एवं विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज कल बुधवार को संतरानगरी नागपुर पहुँचे थे। यहाँ रेशमबाग ग्राउण्ड में चल रहे पाँच दिवसीय भक्ति सत्संग समारोह की दूसरी सन्ध्या में उन्होंने कहा कि जो चला जाता है वह लौटकर नहीं आता। इस सच्चाई को सदैव याद रखते हुए हमें सदा आत्म-अवलोकन करना चाहिए। कहा कि निज बचपन को याद करते हुए चिन्तन करें कि एक निष्कलुष व निष्कपट देवतुल्य बच्चे ने बड़ा होते-होते कब अपने भीतर झूठ, फरेब, ईर्ष्या, कुढ़न, जलन के बीज डाल लिए थे। कब वह ईश्वर की दी हुई सर्वश्रेष्ठ योनि मानव जीवन के महत्व को भूल बैठा था और ईश्वर की इस सुन्दर सी बगिया को सजाने-संवारने की बजाय इसे नुकसान पहुंचाने में लग गये थे। कब वह परोपकार करने की बजाय दुराचार और कदाचार करने लग गया था।

श्रद्धेय महाराजश्री ने उपस्थित जनमानस को ‘जब जागे तब सवेरा’ की उक्ति याद दिलाते हुए प्रेरणा दी कि चिन्तन की इसी गहराई में आप संकल्पित हों कि बीती सभी गल्तियों को विराम देकर उनमें सुधार करेंगे तथा काल अपना पाश आप पर फेंकें, उसके पहले अपने जीवन को मानवीय मर्यादाओं के अनुशासन में व्यवस्थित कर लें। उन्होंने इस हेतु अनेक उपाय सुझाए और ढेरों जीवन मन्त्र इन्हें दिए।

नई दिल्ली स्थित विश्व जागृति मिशन हेडक्वार्टर आनन्दधाम से आये निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने उपस्थित जनसमुदाय को देवदूत (अनाथ) बच्चों की शिक्षा, गुरुकुलों एवं उपदेशक महाविद्यालय के माध्यम से देश को श्रेष्ठ धर्मोपदेशक देने की योजना, आयुर्वेद के पुनर्जीवन हेतु युगऋषि आयुर्वेद का संचालन, देशी गोवंश का संरक्षण व संवर्धन, स्वास्थ्य सेवाओं का तीन अस्पतालों के जरिये संचालन, वृद्धजन सेवा इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी और देश की खेती, आयुर्वेद, शिक्षा, संस्कृति, नदियों आदि को बचाने के लिए काम करने का आहवान किया। सत्संग महोत्सव में आये ज्ञान-जिज्ञासुओं ने श्री सुधांशु जी महाराज द्वारा भाष्य किये हुए ग्रन्थ श्रीमद्भवदगीता सहित विभिन्न प्रेरक साहित्य, युगऋषि आयुर्वेद, गौसेवा उत्पाद आदि में खासी रुचि ली और वे गौसेवा, वृद्धजन सेवा, आयुर्वेद सेवा, शिक्षा, संस्कृति इत्यादि को बढ़ाने-चलाने में सहयोगी बनने के लिए संकल्पित हुए।

विश्व जागृति मिशन के नागपुर मण्डल के प्रधान श्री द्वारका प्रसाद काकानी एवं महामन्त्री श्री दिलीप मुरारका ने बताया कि सत्संग समारोह का समापन रविवार 29 दिसम्बर की सायंकाल होगा। उन्होंने बताया कि इस बीच 28 दिसम्बर को पूर्वाह्न 9 से 12 बजे तक रेशमबाग स्थित सुरेश भट्ट सभागृह में ‘गुरु मन्त्र सिद्धि साधना’ का कार्यक्रम सम्पन्न होगा।

भक्ति में प्रीत हो और मन में श्रद्धा व विश्वास हो तो मनुष्य चढ़ जाता है जीवन की अद्भुत ऊँचाइयाँ

भिलाई विराट भक्ति सत्संग महोत्सव में श्री सुधांशु जी महाराज ने दिए तीनों शरीरों को स्वस्थ रखने के मन्त्र

”कोई हंस-हंस के जीता है, कोई मरता है रो-रोकर”

If you have love in devotion and trust and faith in your mind, then a person rises to amazing heights of lifeभिलाई-दुर्ग, 15 दिसम्बर। भक्ति में प्रीत हो, मन में सच्ची श्रद्धा और विश्वास हो तो व्यक्ति की सफलता में कोई सन्देह नहीं रह जाता। ऐसा व्यक्ति जीवन में सफलता की अनुपम ऊँचाइयाँ चढ़ता चला जाता है। न केवल वह जिंदगी की लौकिक जगत की यानी भौतिक उपलब्धियाँ हस्तगत कर लेता है बल्कि अलौकिक क्षेत्र में, आत्मिक जगत में निरन्तर ऊँचा उठता चला जाता है। ऐसे व्यक्ति इस सृष्टि के नियन्ता के, परमपिता परमात्मा के अतिप्रिय होते हैं, उनके सन्निकट होते हैं।

यह बात आज यहाँ आनन्दधाम नयी दिल्ली से भिलाई आये राष्ट्र के जाने-माने मनीषी एवं विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कही। वह मिशन के भिलाई-दुर्ग मण्डल द्वारा आयोजित तीन दिनी विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के तीसरे दिन के पूर्वाह्नकालीन सत्र में उपस्थित जनसमुदाय को सम्बोधित कर रहे थे। इस्पातनगरी भिलाई के आईटीआई ग्राउण्ड में हजारों की संख्या में मौजूद स्वास्थ्य जिज्ञासुओं को उन्होंने स्वस्थ-वृत्त के भी अनेक फार्मूले दिए। उन्होंने उन्हें ध्यान की गहराइयों में उतारा तथा ध्यान के माध्यम से अपने भीतर प्रसुप्त पड़ी क्षमताओं को जागृत करने की विविध विधि प्रेरणाएँ दीं। इसके पूर्व आचार्य अनिल झा द्वारा सभी ध्यान साधकों को योगासनों की सूक्ष्म क्रियाएँ भी करायी गयीं। इस बीच औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के पावर ग्राउण्ड में अद्भुत प्राण ऊर्जा के प्रवाहमान होने की अनुभूति सभी स्त्री-पुरुषों को हो रही थी।

If you have love in devotion and trust and faith in your mind, then a person rises to amazing heights of lifeश्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि धरती का प्रत्येक व्यक्ति सुखी रहना चाहता है, उसका जीवन लक्ष्य होता है-आनन्द पाना, आनन्दित रहना। इस आनन्द की प्राप्ति के लिए वह हर उपाय करता है, हर उद्यम करता है। आनन्द किस चीज में है, यह तय करने के लिए एक समझ की आवश्यकता पड़ती है, विवेक की जरूरत होती है। यह विवेक, यह समझ देता है अध्यात्म। जब व्यक्ति आध्यात्मिक बनता है, तब वह अपने शरीर की स्वस्थता पर पूरा ध्यान देता है, अपने को खुश रखने के सही उपाय करता है, वह स्थूल, सूक्ष्म व कारण इन तीनों शरीरों को स्वस्थ रखने के हर सम्भव प्रयास करता है और उसके ये सभी प्रयत्न निश्चित ही सफल होते हैं।

श्रद्धेय महाराजश्री ने कहा कि यह सफलता तब मिलती है, जब व्यक्ति हर आदत को जीवन में पक्का करने के लिए न्यूनतम 21 दिन या अधिकतम 40 दिन का अभ्यास करता है। यह अभ्यास करने से वे आदतें सुदृढ़ आकार लेती जाती है। यही आदतें एक दिन ‘संस्कार’ बन जाती है। ये संस्कार व्यक्ति की पीढ़ी-दर-पीढ़ी में हस्तातंरित होते हैं। अतः हर किसी को इस ‘संस्कार-यात्रा-पथ’ पर अवश्य चलना चाहिए। ऐसा बन जाना ही वास्तव में आध्यात्मिक बन जाना है, अच्छा बन जाना है। उन्होंने सभी से अपने जीवन को श्रेष्ठ से श्रेष्ठतर बनाने का आह्वान किया।

आज मध्याहनकाल में सभा स्थल पर ‘दीक्षा संस्कार’ का आयोजन किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में स्त्री-पुरुषों ने गुरु-दीक्षा ग्रहण की। विश्व जागृति मिशन के भिलाई-दुर्ग मण्डल के प्रधान श्री चमन लाल बंसल ने बताया कि भिलाई ज्ञान यज्ञ महोत्सव आज सायंकाल छः बजे सम्पन्न हो जाएगा।

समय की कीमत समझने वाले होते हैं सफल, वे बनते हैं महान

भिलाई-छत्तीसगढ़ में आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा

ॐ नमः शिवाय के समूह गायन से गूँजी प्रभु श्रीराम की ननिहाल स्थली

सत्संग स्थल पर लगे एक दर्जन स्टॉल दे रहे हैं विजामि गतिविधियों की जानकारियाँ

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव में मची सार्थक प्रेरणाओं की धूम

”वो योग्यता दो सत्कर्म कर लूँ, हृदय में अपने सदभाव भर लूँ”

 Those who understand the value of time are successful, they become greatदुर्ग-भिलाई, छत्तीसगढ़ 14 दिसम्बर। विश्व जागृति मिशन के भिलाई-दुर्ग मण्डल द्वारा आयोजित तीन दिवसीय विराट भक्ति सत्संग की के आज के पूर्वाह्नकालीन सत्र में मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने सार्थक सफल एवं आनन्ददायी जीवन की दिशाधारा के अनेक महत्वपूर्ण सूत्र सत्संग सभागार में उपस्थित जनसमुदाय को दिए। भारी संख्या में मौजूद ज्ञान-जिज्ञासुओं से उन्होंने कहा कि जो लोग समय की कीमत समझ लेते हैं वे जीवन के हर क्षेत्र में सफल होते हैं और वे महानता के पथ पर निरन्तर बढ़ते चले जाते हैं। उन्होंने सभी से समय की कद्र करने को कहा और जिंदगी की विभिन्न गतिविधियों में समय का सही एवं समुचित ढंग से नियोजन करने के अनेक मंत्र दिए। कहा कि समय का संयम करने में सफल हो गए व्यक्तियों से इन्द्रियों का संयम सहज ही सध जाता है। उन्होंने वाणी के संयम के अलावा अर्थ (धन) के संयम की बातें भी सभी को बतायीं।

प्रखर अध्यात्मवेत्ता श्री सुधांशु जी महाराज ने जनमानस को कई जीवन सूत्र सिखलाए। कहा कि जीवन की व्यथाओं को दूर करने के लिए जीवन की व्यवस्थाओँ को ठीक करना पड़ता है। चिन्ताओं को दूर करने के लिए चिन्तन को ठीक करना पड़ता है। कहा कि चिन्ताएं खुद-ब-खुद आ जाती है लेकिन चिन्तन के लिए प्रयास करना होता है। चिन्ता की कोई दिशाधारा नहीं होती, चिन्तन में उसके बिन्दु सम्मिलित होते हैं। उन्होंने जीवन को सुव्यवस्थित बनाने के लिए गीता को आधार बनाकर ज्ञान-जिज्ञासुओं को अनेक जीवन मन्त्र दिए।

 Those who understand the value of time are successful, they become greatआचार्य श्री सुधांशु जी महाराज द्वारा गाये गए गीत ”हे नाथ अब तो ऐसी दया हो जीवन निरर्थक जाने न पाए” को जब सैकड़ों व्यक्तियों ने एक साथ गाया, तब सत्संग सभा स्थल का वातावरण बड़ा ही सुचितापूर्ण व सुरम्य बन उठा। उधर मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की ननिहाल स्थली ‘ॐ नमः शिवाय’ के अद्भुत समूह गायन से भी गूँजी। उपस्थित जनसमुदाय ने अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण की सभी बाधाओं के हट जाने पर प्रसन्नता जतायी और राजा रामचंद्र के जयकारे सोल्लास लगाए।

इसके पूर्व सर्वश्री हर्षवीर गुप्ता, केकेएन सिंह, महेन्द्र देवांगन तथा शेखर जोशी ने सपत्नीक सत्संग मंच पर जाकर व्यासपूजन का विशेष अनुष्ठान सम्पन्न किया। नई दिल्ली से भिलाई आये विश्व जागृति मिशन के अधिकारी श्री प्रयाग शास्त्री ने बताया कि सत्संग स्थल पर एक दर्जन से ज्यादा स्टॉल लगाए गए हैं, जिनके माध्यम से जनसेवा की अनेक गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया है। इन स्टॉलों में साहित्य, वृद्धजन सेवा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा सेवा, गौ सेवा, कैलाश यात्रा, अनाथ शिक्षा सेवा, धर्मादा सेवा, गुरुकुल आदि के स्टॉल शामिल हैं।

समय की कीमत समझने वाले होते हैं सफल, वे बनते हैं महानआनन्दधाम नई दिल्ली से भिलाई पहुँचे मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र के मुख्य मंचीय समन्वयन में चले सत्संग समारोह के मुख्य आयोजक एवं मिशन के भिलाई-दुर्ग मण्डल के प्रधान श्री चमन लाल बंसल ने बताया कि सत्संग महोत्सव में दूर-दूर से भारी संख्या में ज्ञान-पिपासु भिलाई आ रहे हैं।

वरिष्ठ समाजसेवी तथा विश्व जागृति मिशन रायपुर मण्डल के प्रधान श्री सुनील सचदेव ने बताया कि मार्च 2018 में लिए गए संकल्प के अनुसार यहाँ परसदा के समीप स्थित मिशन के ब्रह्मलोक आश्रम में कैलाश मानसरोवर की प्रतिकृति का निर्माण किया जा रहा है। इसका निर्माण जल्द से जल्द कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। कहा कि यह मन्दिर अपने आपमें विश्व का अनूठा मन्दिर होगा।

इस्पातनगरी भिलाई में विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का हुआ आगाज

जीवन का सर्वाधिक विश्वसनीय और सदा सर्वदा उपलब्ध साथी है परम पिता परमात्मा

गीता को जीने वाले मनुष्य परमेश्वर को सर्वाधिक प्रिय होते हैं

गंगा को शरीर समर्पित हो जाए और गीता को जीवन समर्पित हो जाए

Inauguration of Virat Bhakti Satsang Festival in Ispatnagar Bhilaiभिलाई-छत्तीसगढ़, 13 दिसम्बर। एकीकृत इस्पात संयंत्र के जरिये भारत की औद्योगिक क्रान्ति में चार चाँद लगाने वाले छत्तीसगढ़ के तीसरे सबसे बड़े शहर भिलाई में आज सन्ध्याकाल विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का श्रीगणेश हुआ। यहाँ के विशालकाय आईटीआई पावर हाउस ग्राउण्ड में दिव्य भजनों के बीच विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने भारी संख्या में उपस्थित जनसमुदाय का सशक्त वैचारिक मार्गदर्शन किया। सत्संग समारोह का आयोजन विश्व जागृति मिशन के भिलाई मण्डल द्वारा किया गया है।

Inauguration of Virat Bhakti Satsang Festival in Ispatnagar Bhilaiश्रद्धेय महाराजश्री ने कहा कि श्रीमद्भवदगीता इस कार्य में सबसे बड़ी सहायक है। छः – छः खण्डों के तीन भागों में विभक्त संस्कृति संजीवनी गीता भक्तियोग, ज्ञानयोग एवं कर्मयोग की वे शिक्षाएँ प्रदान करती हैं, जिनसे व्यक्ति का जीवन समग्रता से ओतप्रोत हो उठता है। श्रीमद्भगवदगीता वह गंगा है जो हमें तारने वाली है, हमारा उद्धार करने वाली है। उन्होंने कहा कि गीता को जीने वाले मनुष्य परमेश्वर को अत्यंत प्रिय होते हैं।

विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि विश्व जागृति मिशन द्वारा वर्ष 2018 को गीता वर्ष घोषित करते हुए पूरे वर्ष श्रीमद्भभगवदगीता पर विशेष सन्देश देश के विभिन्न अंचलों में पहुँचाया गया तथा घर-घर में गीता के विशेष भाष्य-ग्रन्थ की स्थापना की गई। उन्होंने बताया कि भिलाई सत्संग महोत्सव में मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज द्वारा गीता पर विशेष उदबोधन-सन्देश आगन्तुक जनसमुदाय को दिए जायेंगे। उन्होंने बताया कि यहाँ एक भव्य व दिव्य ज्ञान गंगा का प्रवाह होता दिखाई दे रहा है।

विश्व जागृति मिशन के भिलाई मण्डल के प्रधान श्री चमन लाल बंसल ने बताया कि सत्संग समारोह रविवार 15 दिसम्बर की सायंकाल तक चलेगा। उसी दिवस दोपहर में मन्त्र दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि विराट भक्ति सत्संग महोत्सव में भिलाई व दुर्ग सहित छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों तथा मध्य प्रदेश के विविध अंचलों से ज्ञान जिज्ञासु सत्संग स्थल पर पहुँच रहे हैं।