आनन्द, सत्य, प्रेम और शान्ति बाहर नहीं अन्दर से मिलते हैं

“आनन्द न बीते हुए कल में है, न आने वाले कल में है, आनन्द उस पल में है जो आप जी रहे हैं”

”आनन्द खोजने से नहीं मिलता, सच्चिदानंद में खो जाने से मिलता है”

दिल्ली के सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में हुई विशेष आध्यात्मिक सभा

आनन्द की खोज विषय पर हुई विचार गोष्ठी

वरिष्ठ लोकसेवी राकेश आहूजा व प्रेमनाथ बत्रा का हुआ सम्मान

दक्षिणी दिल्ली, 20 अप्रैल। देश की राजधानी दिल्ली के सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में आज शाम नई दिल्ली व एनसीआर के विभिन्न अंचलों से आनन्द-खोजी स्त्री पुरूष, युवक युवतियाँ एवं नई पीढ़ी के सदस्य बड़ी संख्या में जुटे। विश्व जागृति मिशन के दक्षिणी दिल्ली मण्डल के तत्वावधान में आयोजित इस संगोष्ठी में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि आनन्द न तो बीते हुए कल में है और न आने वाले कल में है, आनन्द तो उस पल में है जो आप जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि आनन्द खोजने से नहीं मिलता, वह सच्चिदानंद यानी परम पिता परमात्मा में खो जाने से मिलता है। उन्होंने भूतकाल का रोना छोड़ने तथा भविष्य की कल्पनाओं में खोने की आदत का परित्याग करके ‘वर्तमान’ को ताकतवर बनाने का आहवान देशवासियों से किया। कहा कि वर्तमान ही जीवित पल है। दुनिया के सभी लोग दुखों से मुक्ति और सुखों की प्राप्ति चाहते हैं। आनन्द की प्राप्ति के लिए बेचैन हर व्यक्ति उस आनन्द को खोजने के लिए विविध प्रयत्न करता है। उन्होंने कहा कि हर चीज अपनी परिधि में घूमती हुई अपने केन्द्र की ओर बढ़ती है। जिस तरह गंगा सहित हर नदी महासागर में मिलकर पूर्णता प्राप्त करती है, उसी तरह मनुष्य अपने केन्द्र परमात्मा तक पहुँचकर ही आनन्द की पूर्णता प्राप्त कर पाता है।

मिशन प्रमुख ने कहा कि जीवन की यात्रा की सम्पूर्णता ‘पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात पूर्ण मुद्चयते’ में ही है। उन्होंने कहा कि परब्रह्म परमेश्वर ही आनन्द है और आनन्द ही परब्रह्म है। अतः जीवन का आनन्द प्राप्त करने के लिए प्रभु तक पहुंचने की यात्रा करनी ही पड़ती है। कहा कि वस्तुतः आनन्द प्राप्ति ही मानव जीवन का लक्ष्य है।

इस अवसर पर डॉ. अर्चिका दीदी ने कहा कि जो व्यक्ति अपने भीतर ज्ञान को, प्रेम को, सत्य को, शान्ति को, आनन्द को खोजता है वह ही आनन्द पाता है। इन चीजों की खोज बाहर करने वालों को निराश ही होना पड़ता है। आनन्द, सत्य, प्रेम, शान्ति इत्यादि वस्तुतः आन्तरिक क्षेत्र की चीजें हैं। बाहर ये चीजें नहीं मिलतीं, बाहर तो टेंशन मिला करती है। आज दुर्भाग्य है कि हिमालय जैसा महाटेंशन लेकर व्यक्ति जीवन जी रहा है। इस दुर्भाग्य से लड़ने के लिए ईश्वरनिष्ठ होकर अन्तर्यात्रा के पथ को अपनाना जरूरी होता है। आनन्द प्राप्ति का यही एकमात्र पथ है। उन्होंने बाहर से भीतर की यात्रा का मार्ग पकड़ने का सुझाव सभी को दिया।

इस अवसर पर विश्व जागृति मिशन के वरिष्ठ अधिकारी श्री राकेश आहूजा एवं दक्षिणी दिल्ली मण्डल के संरक्षक श्री प्रेमनाथ बत्रा का सम्मान किया गया।

इसके पूर्व फरीदाबाद से आई अंजू मुंजयाल की अगुवाई में युवा गायकों के संगीत दल ने कई भजन प्रस्तुत किये। विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र के मुख्य मंचीय समन्वयन में सम्पन्न इस विशेष संगोष्ठी में मिशन के महामन्त्री श्री देवराज कटारिया सहित समिति के वरिष्ठ पदाधिकारी तथा एनसीआर के विभिन्न मण्डलों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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