वेदों में यज्ञ को विश्व ब्रह्माण्ड की नाभि कहा गया है। यह सम्पूर्ण संसार यज्ञ से ही संचालित है। यज्ञ के माध्यम से अग्नि में आहुतियां डालकर जहां हम देवताओं को भोजन कराने का सुयश प्राप्त करते हैं। वहीं यज्ञ धूम्र से वायुमंडल के हानिकारक कीटाणुओं के नष्ट होने से पर्यावरण की शुद्धि होती है। यज्ञ भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। किसी भी कार्य का शुभारम्भ यज्ञीय भावना और यज्ञ से ही होता है। धर्मशास्त्रें का संदेश है कि देवपूजन, यज्ञ-अनुष्ठान से दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है और यदि साधक शिष्य गुरु के सान्निध्य में साधना, पूजा, जप-तप, यज्ञ-अनुष्ठान करे तो वह बड़भागी होता है।
वैसे तो धार्मिक अनुष्ठानों के लिये तीर्थस्थल पुण्यप्रद हैं, पर शिष्य के लिए सभी तीर्थों से पावन तीर्थ गुरुतीर्थ होता है, जिस स्थान पर सद्गुरु के चरण पड़ते हों, उनका निवास हो, जहां उनकी रात-दिन रहमत बरसती हो, वहां यदि यज्ञ-अनुष्ठान, पूजन-अर्चन का सुअवसर मिलता है तो वह अनंत गुणा फलदायी होता है।
इसी प्रकार यज्ञ कार्य वातावरण को शुद्ध करने विशेष सहायक होता है। बताया गया कि-
इद्र हविर्यातुधानान् नदीयेनमिवावहत्।
य इदं स्त्री पुमानकः इह स स्तुवतां जनः।
यत्रैषामग्ने जनिमानि वेत्थ गुहा सततमान्त्रिणां जातवेदः।।
अर्थात् ‘अग्नि में डाली हुई हवि रोग-कृमियों को उसी प्रकार दूर बहा ले जाती है, जिस प्रकार नदी पानी के झागों को। जो इस यज्ञ में हवि डालने के साथ मन्त्रेच्चारण द्वारा अग्नि का स्तवन करता है। कि प्रकाश अग्ने गुप्त स्थानों में छिपे बैठे हुए भक्षक रोग-कृमियों के जन्मों को तू जानता है। उन रोग कृमियों को नष्ट कर।’ वहां का वातावरण पूर्णतः शुद्ध, पवित्र एवं दिव्य बन जाता है। देवता सुख, शांति, समृद्धि की वर्षा करते हैं। अतः हम सब दीपावली काल में पर्व को उत्सव के रूप में मनायें ही, साथ इन मुहूर्तियों में गुरु संकल्पित यज्ञों में भागीदार बन जीवन को धन्य बनायें। सुख, समृद्धि, शांति का वरदान पायें। वैसे भी पुरातन परम्परा में प्रतिष्ठित समाज में सौहार्द, परिवार की सुख, शांति और समृद्धि, राष्ट्र की यश-कीर्ति की बढ़ोत्तरी के लिए इस यज्ञ को आवश्यक है कि बढ़ावा दिया जाये।
भक्तों का सौभाग्य है कि विश्व जागृति मिशन से जुड़े लाखों भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु, उनके स्वस्थ जीवन और घर में सुख-समृद्धि एवं विश्व शांति के लिए परमपूज्य सद्गुरुदेव श्रीसुधांशुजी महाराज समय-समय पर पूजा-पाठ, यज्ञ-अनुष्ठान इत्यादि का आयोजन करवाते रहते हैं। इस कड़ी में आनंदधाम आश्रम, नई दिल्ली में प्रति वर्ष श्रीगणेश-लक्ष्मी महायज्ञ का आयोजन किया जाता है। इस महायज्ञ में सिद्धि प्रदाता भगवान गणपति और सर्वसुखदात्री मां लक्ष्मी का पूजन-अर्चन एवं यज्ञ किया जाता है।
इस वर्ष महाराजश्री के पावन सािÂध्य में 108 कुण्डीय श्रीगणेश-लक्ष्मी महायज्ञ का आयोजन 10 से 13 अक्तूबर 2019 तक आनंदधाम आश्रम, नई दिल्ली में किया जा रहा है। जिसमें देश-विदेश से हजारों यजमान महायज्ञ में सम्मिलित होने के लिये पहुंच रहे हैं। इस महायज्ञ में इस वर्ष महाराजश्री के मार्गदर्शन में विद्वान आचार्यों द्वारा विशेष रूप से पूजन-अर्चन कर सिद्ध किये हुये स्वर्ण पॉलिश युक्त रजत श्री यंत्र एवं ‘स्फटिक श्रीयंत्र’ यजमान भक्तों को प्रदान किये जायेंगे।
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