अनचाहा को मनचाहा बना लेने वाले बनते हैं जीवन में सुखी

श्रीमदभगवदगीता पुष्प चढ़ाने व माथे से लगाने का नहीं वरन मष्तिष्क में बिठाने का ग्रन्थ है’

‘’महात्मा और माता में अणुमात्र भी अन्तर नहीं’’

”इन्द्रनगरी के दशहरा मैदान में गूँजा गायत्री महामन्त्र”

अमरावती में विराट भक्ति सत्संग महोत्सव शुरू

इन्द्रपुरी के पावन नाम से विख्यात है अमरावती

Virat Bhakti Satsang Amravati-06-02-20 | Sudhanshu Ji Maharajअमरावती, 06 फरवरी। महाराष्ट्र के अमरावती जनपद मुख्यालय के दशहरा मैदान प्रांगण में आज सन्ध्याकाल चार दिनी विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का श्रीगणेश हुआ। विश्व जागृति मिशन के अमरावती मण्डल के तत्वावधान में आयोजित सत्संग समारोह के सात सत्रों को सम्बोधित करने के लिए मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज आज मध्याह्नकाल यहाँ पहुँचे। इन्द्र देवता की नगरी के रूप में विख्यात अमरावती के इस ज्ञानयज्ञ में भाग लेने महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों के मिशन साधक एवं ज्ञान-जिज्ञासु भारी संख्या में यहाँ पहुँच रहे हैं।

नई दिल्ली स्थित आनन्दधाम से आये संगीत दल के सदस्यों द्वारा प्रस्तुत दिव्य ईश-भजनों से आरम्भ हुए सत्संग महोत्सव का दीप प्रज्ज्वलन कर उदघाटन करने के बाद श्रद्धेय श्रीसुधांशुजी महाराज ने कहा कि ईश्वरीय सत्ता के जो गुण होते हैं उन गुणों को जीवन में आत्मसात करने वाले मनुष्यों पर ईश कृपा अवश्य बरसती है। ईश्वर उन गुणों के कारण अपनी सृष्टि का मंगल कराने के लिए उस व्यक्ति को चुनते हैं और अपने अनुदान-लाभ प्रदान करते हैं। एक उदाहरण के माध्यम से उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति ईश्वर के गुण ‘उदारता’ को जीवन में उतारता है, वह सड़क पर घायल पड़े अनजान व्यक्ति को अस्पताल ले जाने का पुरुषार्थ करके ईश्वर-अंश उस पीड़ित व्यक्ति का जीवन बचा लेता है। वास्तव में उस ईश्वरीय कार्य के लिए प्रभु अपने उस खास को विशेष रूप से चुनते हैं।उन्होंने कहा कि इसलिए मन्त्र उच्चारण हो या भजन या प्रार्थना-सन्ध्या, सबमें अपने ईष्ट के गुणों का ध्यान करना चाहिए तथा उन गुणों को अपने जीवन में उतारने का अभ्यास करना चाहिए।

श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि ज़िन्दगी में अनचाहा को मनचाहा बना लेने वाले लोग जीवन में सुखी बनते हैं। उन्होंने सुखी जीवन के अनेक सूत्र कई हजार की संख्या में मौजूद ज्ञान-जिज्ञासुओं को दिए। उन्होंने श्रीमद्भगवदगीता पर प्रवचन करते हुए कहा कि गीता मरणधर्मा मानव को परम-जीवन प्रदान करती है। गीता मृत्यु के समीप पहुँच रहे व्यक्ति के लिए नहीं वरन गरम खून वाले युवाओं के लिए है। गीता से प्रकाश लेकर इस देश की कारागारों में निरुद्ध (कैद) महान स्वाधीनता संग्राम सेनानियों ने राष्ट्र की आजादी का प्रकाश पाया था। चाहे वह बाल गंगाधर तिलक हो या महामना पं.मदन मोहन मालवीय अथवा महात्मा गांधी, सबने गीता से रोशनी ग्रहण कर ऐसे-ऐसे काम किये, जिनके कारण उनकी कीर्ति सदा-सदा के लिए अमर हो गई। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी विदेशी राष्ट्राध्यक्षों एवं शासनाध्यक्षों को ‘गीता’ भेंट करके भारत का, महाभारत का गौरव बढ़ाते हैं। उन्होंने गीता को केवल पुष्प चढ़ाने और माथे से लगाकर प्रणाम करने का ग्रन्थ नहीं बल्कि गीता-सन्देशों को माथे (मष्तिष्क) में बिठाने की प्रेरणा सबको दी।

इसके पूर्व अमरावती के जिला मजिस्ट्रेट श्री शैलेश नवाल की धर्मपत्नी श्रीमती ऋतिका नवाल सहित अनेक गण्यमान्य व्यक्तियों ने आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज का अभिनंदन सत्संग मंच पर पहुंचकर किया। श्रद्धेय महाराजश्री का स्वागत करने महाराष्ट्र स्थित विभिन्न मण्डलों के वरिष्ठ प्रतिनिधिगण भी पहुँचे, जिसमें नागपुर, पुणे, अकोला, खामगांव, औरंगाबाद, नासिक, मुम्बई, ठाणे, उल्हासनगर आदि मण्डल सम्मिलित थे।

सत्संग महोत्सव का मंचीय समन्वयन व संचालन नई दिल्ली से अमरावती पहुँचे विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया। इस अवसर पर नागपुर के सुरावर्णी स्थित श्री दिव्य निर्मल धाम आश्रम के वरिष्ठ धर्माचार्य शिवदत्त मिश्र सहित कई विद्वान मौजूद रहे।

विश्व जागृति मिशन के अमरावती मण्डल के प्रधान श्री नन्दलाल खत्री ने बताया कि सत्संग समारोह रविवार 09 फरवरी की सायंकाल तक चलेगा। उसी दिवस दोपहर में बड़ी संख्या में स्त्री-पुरूष आचार्य श्रीसुधांशुजी महाराज से गुरु दीक्षा ग्रहण करेंगे।

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