गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर आनन्दधाम में गुरु पूर्णिमा पर्व धूमधाम से मना

सन्तुलन में ही है सच्चा जीवन सुख
ईश्वर प्राप्ति के लिए स्वयं को मिटाना होता है
श्री सुधांशु जी महाराज ने किया अन्नपूर्णा योजना का किया उद्घाटन
सद्गुरु संजीवनी एवं गीता ज्ञान पुस्तकों का हुआ विमोचन
भजन गायकों के भजनों ने अद्भुत छटा बिखेरी
आनन्दधाम में गुरु पूर्णिमा पर्व धूमधाम से मना

Guru-Purnima Anand Dham-Ashram Delhi-16-July-2019 | Sudhanshu Ji Maharajआनन्दधाम नयी दिल्ली, 16 जुलाई। विश्व जागृति मिशन मुख्यालय में गुरु पूर्णिमा महापर्व धूमधाम से मनाया गया। गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर देश-विदेश से हजारों की संख्या में आये गुरु भक्तों ने गुरु दर्शन और गुरु प्रणाम किया। कई घण्टों तक लगी लम्बी लाईनों के बीच शिष्यों ने अपने मार्गदर्शक को प्रणाम किया और अपनी गुरु दक्षिणा समर्पित की।

विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक श्रद्धेय आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने अपने गुरु पूर्णिमा उद्बोधन में ‘सुख’ की व्याख्या करते हुए कहा कि सन्तुलन में ही सच्चा सुख है। शरीर एवं मन की अनुकूलता को सुख मानने की प्रवृत्ति को आत्मघाती बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सुख तलाशने का अभ्यास करना होगा। उन्होंने ‘जिन्दगी’ का महत्व समझाया और कहा कि जिन्दा होने का अर्थ है कि हम आत्म निर्भर हों। परवशता को उन्होंने मृत्यु की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि कमल हमेशा कीचड़ में जन्म लेते हैं, विभूतिवान आत्माएँ विपरीत परिस्थितियों में रह रहे स्त्री-पुरुषों के रक्त से ही जन्म लेती हैं।

श्री सुधांशु जी महाराज ने सेवा-भाव, समाज हितैषी, देश भक्त, संस्कृतनिष्ठ व्यक्तियों को ईश्वर का विशेष भेजा व्यक्ति बताया। कहा कि ऐसे व्यक्ति सक्षम गुरु के सम्पर्क में यूँ ही नहीं आ जाते हैं, वास्तव में वह पिछले जन्मों के उनके अपने साथी-सहचर होते हैं। उन्होंने आत्म निर्माण से राष्ट्र निर्माण के अनेक सूत्र दिए।

विश्व जागृति मिशन की उपाध्यक्ष एवं ध्यानगुरु डाॅ. अर्चिका दीदी ने इस अवसर पर कहा कि मन के भीतर के तूफानों को शान्त करने का नाम ही ‘योग’ है। आत्म-उद्वार के लिए आगे बढ़ने वाला ही सच्चा शिष्य होता है। उन्होंने कहा कि समर्पित शिष्य-साधक भीतरी परिवर्तन के लिए अपने आपको तैयार करता है। जब शिष्य तैयार होता है, तब गुरु शक्ति प्रकट होती है। ईश्वर प्राप्ति के लिए सुख को मिटाना पहली शर्त है। डाॅ. अर्चिका दीदी ने कहा कि ईश्वरीय अवतारी शक्ति का प्रादुरभाव करुणा के बीच से होता है। उन्होंने गुरुसत्ता को धरती पर अदृश्य ईश्वरीय सत्ता का स्थूल प्रतिनिधि बताया। उन्होंने ध्वनि ऊर्जा पर भी चर्चा की और भारतीय एवं विदेशी शोधों का प्रमाण देकर इस अद्भुत ऊर्जा का विवेचन किया तथा इसका लाभ उठाने के लिए जरूरी प्रशिक्षण प्राप्त करने की अपील की। उन्होंने ऋषियों द्वारा दिये गये ज्ञान-विज्ञान से प्रयासपूर्वक जुड़ने का आह्वान सभी से किया।

इस मौके पर डाॅ. नरेन्द्र मदान तथा आचार्य शिवाकान्त द्विवेदी द्वारा लिखित पुस्तक ‘सद्गुरु संजीवनी’ तथा श्री हरीश भटनागर एवं श्री आर.एन. रावल द्वारा लिखित पुस्तक ‘गीता ज्ञान गंगा’ का विमोचन श्री सुधांशु महाराज ने किया। उन्होंने गुरुपूर्णिमा के पावन दिवस पर अन्नपूर्णा योजना का श्रीगणेश भी किया।

 

इसके पूर्व प्रख्यात भजन गायकों निधि, सृष्टि भण्डारी एवं रामप्रिया के भजनों ने अद्भुत छटा बिखेरी। महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ के ऋषिकुमारों ने संगीत शिक्षक श्री राजेन्द्र वर्मा के मार्गदर्शन में भजन प्रस्तुत किये। विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र एवं आचार्य अनिल झा के मंचीय समन्वयन में चले गुरु पूर्णिमा समारोह में भारत के विभिन्न प्रान्तों से आये शिष्यों-साधकों के अलावा अमेरिका, दुबई, सिंगापुर, हांगकांग इत्यादि देशों से आये साधकों ने भाग लिया। कार्यक्रम का समापन दिव्य आरती के साथ हुआ।

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