किसी भी देश की प्रगति के लिए देश में अमन एवं शान्ति का होना अति आवश्यक है। देश के लोगों में आपसी प्रेम, सौहार्द एवं परोपकार की भावना का उदय होगा तभी शान्ति कायम की जा सकती है। दुनियाँ में बहुत से महापुरुष हुए हैं जिन्होंने अपने-अपने देश में शान्ति का पाठ पढ़ाया है और उन्हें शान्ति पुरूस्कार से नवाजा गया है। सम्पूर्ण विश्व में शान्ति कायम करना आज का मुख्य लक्ष्य है।
आज विश्व में चारों ओर आतंकवाद और युद्ध जैसा माहौल बनता जा रहा है.
इस संघर्ष, आतंक एवं अशान्ति के दौर में अमन की अहमियत का प्रचार-प्रसार करना बेहद जरूरी है।
दुनियाँ में शान्ति बनाए रखने के लिए अहिंसा का सहारा लेना अनिवार्य है। अहिंसा से ही दुनिया में अमन एवं शान्ति कायम होगी। दुनियाँ के सभी गणराज्यों और नर-नारी के बीच स्वतंत्रता, अमन और शान्ति से रहने का संदेश देता है। घर या बाहर सभी व्यक्तियों को शान्ति बहुत ही प्रिय होती है। आज के आधुनिक युग में व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षा को दिन प्रतिदिन बढ़ाता जा रहा है और घर-परिवार, समाज एवं राष्ट्र के विकास हेतु उसके पास समय ही नहीं बचता जिसके कारण वह शान्ति से दिन-प्रतिदिन इससे दूर होता जा रहा है। आज हम जिधर भी नजर घुमाते हैं, उसके चारो तरफ आतंकवाद, हिंसा, युद्ध, आपदा से घोर अशान्ति दिखाई देती है। आज पर्यावरण प्रदूषण के कारण पृथ्वी, आकाश एवं सागर सभी अशांत है। परस्पर स्वार्थ और घृणा ने मानव समाज को विखंडित कर दिया है। प्राचीनकाल से ही विश्व शान्ति का सन्देश दिया जाता रहा है। आधुनिक युग में इसको अमल में लाने वालो की संख्या दिन प्रतिदिन घटती जा रही है। विश्व के कोने-कोने में शान्ति का सन्देश फैले।
मानवता की सच्ची सेवा ही राष्ट्र धर्म है :
प्राचीन काल से देश-विदेश में अनेकों धर्म-गुरुओं ने शान्ति का सन्देश देकर यह बताने का प्रयास किया है कि मानवता की सच्ची सेवा ही सच्चा धर्म है। यदि व्यक्ति मानवता की सेवा में पूर्णतः तल्लीन हो जायेगा तो दुनियाँ में गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, अहंकार, घृणा, दुष्टता एवं धन एकत्र करने की प्रवृति स्वतः ही समाप्त हो जायेंगी। इससे एक उन्नत विश्व की स्थापना होगी तथा सभी एक-दूसरे की मदद के लिए तैयार रहेंगे। विश्व में प्रत्येक देश की भाषा, संस्कृति, पहनावे भिन्न-भिन्न हो सकते हैं लेकिन सभी के कल्याण का मार्ग सिर्फ और सिर्फ मानवता की सेवा है। हमें नफरत को छोड़कर प्रेम के मार्ग पर चलना चाहिये तथा अमन- शान्ति के साथ समय व्यतीत करना चाहिए। हम इसके लक्ष्यों को तभी हासिल कर सकते हैं जब अपने जीवन में इसका पालन करें, इसकी शुरूआत हमें अपने परिवार, समाज एवं अपने छात्र जीवन से ही करनी होगी। हमें यह संकल्प लेना होगा कि किसी के साथ हिंसा नहीं करनी चाहिए और न हिंसा करने वाले किसी मित्र का साथ देना चाहिए। हमें अपने दोस्तों को शान्ति कायम रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। आजकल विश्व में धर्म के नाम पर लोगों को बाँटने की प्रवृति बढ़ती जा रही है, इसलिए हमें किसी को भी जाति, धर्म के प्रति मन में भेदभाव या कटुता नहीं रखनी चाहिए तभी हम बड़े होकर देश एवं विदेश के अच्छे नागरिक बन सकते हैं।
आज के आधुनिक युग में चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल विकसित हो रहा है, विश्व में लड़ाई, आतंकवाद और एक दूसरे के धर्म को नीचा दिखाने की प्रवृति षड़यन्त्र के रूप में फैलाई जा रही है। अतः हमें इन सब कुचक्रों से अपने आपको बचाते हुए अपने चारों तरफ मानवता एवं शान्ति की बात फैलानी होगी।