नियमों, सिद्धांतों एवं अनुशासनों का पालन ही है सच्चा धर्म व अध्यात्म

नियमों, सिद्धांतों एवं अनुशासनों का पालन ही है सच्चा धर्म व अध्यात्म

शिव महिमा गायन से गूँजा इन्द्रपुरी का पावन श्रीराम उद्यान

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के पूर्वाह्नकालीन सत्र में छायीं भक्ति की विविध धाराएँ

 The holy Shri Ram garden of Indrapuri echoed by singing Shiva's glory.अमरावती, 08 फरवरी (प्रातः)। विश्व जागृति मिशन के अमरावती मण्डल द्वारा यहाँ दशहरा मैदान में बीती छः फरवरी से चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के तीसरे दिवस के पूर्वाह्नकालीन सत्र में भक्ति की त्रिविध धाराएँ प्रवाहित हुईं। सुरम्य संगीतमय वातावरण में मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने अपने उदबोधन में भक्ति-यज्ञ, कर्म-यज्ञ एवं ज्ञान-यज्ञ का सम्मिलित ज्ञान-प्रसार प्रसारित करके उपस्थित जनमानस को भावविभोर किया।

इस अवसर पर विश्व जागृति मिशन प्रमुख श्रद्धेय श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि नियमों, सिद्धांतों एवं अनुशासनों का पालन करना ही वास्तव में सच्चा धर्म है, वास्तविक अध्यात्म है। जो इस राह पर चलते हैं वे वास्तव में अध्यात्मवादी हैं। सृष्टि नियन्ता परमेश्वर को परिपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि ईश्वर की हर रचना अक्षुणण है, उसके किसी सिद्धान्त और नियम में बदलाव नहीं आया करते। इसके उलट मनुष्य की प्रत्येक रचना में हर बार बदलाव आया करता है। इसलिए मानव को अपूर्ण कहा गया तथा परमात्मा को ‘पूर्ण’ की संज्ञा दी गई। श्री सुधांशु जी महाराज ने सत्संग व कथा का महत्व समझाया और कहा कि कथा मानव की व्यथा को हरने का एक सशक्त माध्यम है।

श्री सुधांशु जी महाराज ने मानव काया में व्याप्त ‘आत्मा’ का ज्ञान-विज्ञान समझाया और कहा कि आत्मा सूक्ष्म है। परमात्मा का स्वरूप उससे भी अधिक सूक्ष्म है, महासूक्ष्म है। आत्मा का परम विराट स्वरूप परमात्मा है, वह उसी परमेश्वर का ही अंग है। परमात्मा आत्मा के भीतर तो विराजमान हैं, वह आत्मा के चारों ओर-सभी ओर विद्यमान है। उन्होंने परमेश्वर की सृष्टि से हर पल सीखने और खुद में सुधार लाने की प्रेरणाएँ सभी को दीं।

विश्व जागृति मिशन मुख्यालय नई दिल्ली स्थित आनन्दधाम से आए धर्मादा सेवा अधिकारी श्री गिरीश चन्द्र जोशी ने बताया कि धर्मादा सेवा में- स्वास्थ्य सेवा, वृद्धाश्रम एवं वानप्रस्थ सेवा, प्राकृतिक आपदा सेवा, गौपालन एवं संवर्धन सेवा, योग-साधना, गौसेवा, मन्दिर निर्माण सेवा, गुरुकुल सेवा, देवदुत (अनाथ) सेवा इत्यादि शामिल हैं। उन्होंने सभी लोगों को आह्वान किया कि इस सेवा से जुड़ें।

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