वस्तुओं से नहीं व्यक्तियों से प्यार करने की दी आचार्य सुधांशु जी महाराज ने प्रेरणा

चंचल और अस्थिर बुद्धि को छोड़कर स्थिर बुद्धि के स्वामी बनें : सुधांशु महाराज

”तुम मेरे जीवन के धन हो और प्राणधार हो”

पूना विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का दूसरा दिवस

Sudhanshu Ji Maharaj gave inspiration to love people, not objectsपुणे 16 जनवरी (सायं)। विश्व जागृति मिशन द्वारा यहाँ आयोजित पाँच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव की दूसरी सन्ध्या पर संस्था प्रमुख श्रद्धेय आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने प्रार्थना की शक्ति, उसकी महत्ता, उसके परिणाम आदि पर चर्चा की और कहा कि स्तुति में हम ईश्वर के गुणों का बखान करके उन गुणों को आत्मसात करने का अभ्यास करते हैं। ईश्वर की ढेरों कृपाओं के लिए धन्यवाद करते हैं। शिकायती बनना छोड़कर धन्यवादी बनने का अभ्यास व्यक्ति को सफ़लताओं के उच्च शिखर पर प्रतिष्ठित कर देता है।

यह उदगार आज सायंकाल पुणे महानगर स्थित गणेश कला क्रीडा रंगमंच सभागार में सत्संग सुनने के लिए हजारों की संख्या में आये ज्ञान-जिज्ञासुओं के बीच प्रवचन करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने श्रीमदभगवतगीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा 12वें अध्याय के 8वें श्लोक में दिए गए सन्देश की चर्चा करते हुए कहा कि अपनी बुद्धि को ईश्वर में समाहित करने वाले लोग बड़े सौभाग्यशाली होते हैं। उन्होंने उन सभी आकर्षणों से बचने को कहा जो हमें मोहित करते और बांधते हैं। चंचल यानी अस्थिर बुद्धि की हानियों पर उन्होंने प्रकाश डाला तथा स्थिर बुद्धि का स्वामी बनने की प्रेरणा सभी को दी। कहा कि स्थिर अर्थात एकाग्रता वाली बुद्धि वाले विद्यार्थी ही जीवन की ढेर सारी परीक्षाओं में सफल होते हैं। भटकाव एवं अटकाव के विषय पर श्रद्धेय महाराजश्री का उदबोधन बेहद प्रभावशाली था।

श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि जिस तरह प्रत्येक बीज में विकास की अनेक संभावनाएं होती हैं, उसी प्रकार हर मनुष्य में उच्च अवस्थाओं में प्रतिष्ठित होने की ढेरों संभावनायें विद्यमान हैं। जैसे बीज को वृक्ष बनने एवं फल-फूल तथा अनाज देने के लिए पहले भूमि में गलना पड़ता है, वैसे ही मानव भी बिना गले और बिना ढले कोई सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। उन्होंने गलाई और ढलाई को दैनिक अभ्यास में लाने को कहा। उन्होंने वस्तुओं से नहीं वरन व्यक्तियों से प्रेम करने को कहा।

विश्व जागृति मिशन के पुणे मण्डल के प्रधान श्री घनश्याम झंवर ने बताया कि सत्संग महोत्सव में पुणे सहित महाराष्ट्र के विभिन्न जनपदों के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि प्रान्तों से ज्ञान-जिज्ञासु पुणे आये हुए हैं। उन्होंने बताया कि सत्संग समारोह का समापन 19 जनवरी को अपराह्नकाल होगा।

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