जो शक्ति भक्त को संकटों के गहरे भंवर से उबारकर आन्तरिक व बाह्य क्षेत्रों में अनन्त प्रगति यात्रा पर आगे बढ़ा दे उसका नाम शिव है
पटियाला समेत पंजाब के विभिन्न अंचलों से ज्ञान सुधा पाने भारी संख्या में आये नर-नारी
”दलबल के साथ माया घेरे जो आके मुझको, हे नाथ आगे आकर मुझको तो बचा लेना”
पटियाला, 29 नवम्बर (प्रातः)। विश्व जागृति मिशन के स्थानीय मण्डल के तत्वावधान में यहाँ वीर हकीकत रॉय ग्राऊंड में गुरुवार की सन्ध्याकाल से चल रहे चार दिनी विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के दूसरे दिवस के भोर की शुरुआत गायत्री महामंत्र सहित विविध पावन वेद-मन्त्रों से हुई। इसके साथ ही प्रेरणादायी भजनों का समूह गायन भी हुआ। पटियाला समेत पंजाब के विभिन्न अंचलों से भारी संख्या में ज्ञान सुधा पाने यहाँ पहुँचे नर नारियों ने मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज का प्रेरणादायी उदबोधन सुना। मंचीय समन्वयन कर रहे मिशन निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने सभी ज्ञान-जिज्ञासुओं से गुरुसत्ता को सम्मान देने के साथ-साथ उनके विचारों को सर्वाधिक सम्मान देने एवं उन्हें जीवन में आचरित करने का आहवान किया।
प्रख्यात चिन्तक, विचारक, अध्यात्मवेत्ता एवं विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने उपस्थित सुधी श्रोताओं से कहा कि जो शक्ति संकटों के गुह्यतर भंवरजाल में फंसे साधक-भक्त को उबारकर भीतरी एवं बाहरी क्षेत्र में अनन्त प्रगति यात्रा पर आगे बढ़ा दे, उसका नाम ‘शिव’ है। कहा कि शिव कृपा और ईश्वरीय संरक्षण के लिए व्यक्ति को ‘बीज’ से सीखना चाहिए। घरों में जो चावल के टोकरे दिखलाई पड़ते हैं उनके पीछे धान के सख्त कवर में बन्द ‘चावल’ की संकल्प-शक्ति का कमाल होता है। वह चावल पहले ‘धान’ के कवर को तोड़ता है और फिर कठोर धरती के सीने को चीरकर बाहर निकलता है। वह अपने आसपास की घास-फूस से, कीट-पतंगों से, सख्त कंकरीट से लड़ता है, अपने आपको पशुओं एवं पक्षियों की बुरी नजर से बचाता है तथा खुद को भयंकर गरमी व हवाओं-तूफानों के थपेड़ों से बचाता है।
श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि इतने संघर्षों के बाद वह बीज एक से अनेक बन जाता है
और धरतीवासियों की क्षुधा को, भूख को शान्त करता है। उन्होंने बीज से सीखकर खुद को बीज की जगह रखकर अनेक विपरीतताओं से लड़कर सफल बनने के आध्यात्मिक सूत्र जनमानस को दिए। उन्होंने कहा कि हीरा पत्थर में स्वाभाविक रूप से मौजूद होता है लेकिन वह घिसने पर ही प्रकाश में आता है तथा क़ीमती बनता है। श्रद्धेय आचार्यश्री ने सभी से कहा कि वे बच्चों से सदैव खुश रहने एवं हंसते व खिलखिलाते रहने का गुण सीखें। उन्होंने कहा कि प्रकृति कभी कोई कर्जा अपने पास नहीं रखती, उसके साथ थोड़ा सा भी करने पर वह अनेक गुना वापस कर देती है।
नई दिल्ली से पटियाला पहुँची श्रीमती शशि खन्ना ने बताया कि विश्व जागृति मिशन मुख्यालय आनन्दधाम में वर्ष 1999 से संचालित महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ में संस्कृत शिक्षा के साथ-साथ वेदों का सांगोपांग अध्ययन तो कराया ही जाता है, उनके लिए कम्प्यूटर शिक्षा, संगीत शिक्षा तथा अंग्रेजी भाषा का समुचित ज्ञान दिलाने की सम्यक व्यवस्था की गई है।उन्होंने कहा कि यहाँ बड़े विद्यार्थियों को ‘ऋषिकुमार’ तथा छोटे छात्रों को ‘मुनिकुमार’ कहा जाता है। ये विद्यार्थी अनिवार्य रूप से ब्राह्ममुहूर्त वेला में नित्य प्रातःकाल 04 बजे जागते हैं और वे यज्ञ, ध्यान एवं आत्म-जागरण की विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी करते हैं। श्रीमती खन्ना के अनुसार गुरुकुल के छात्रों ने योग विज्ञान में राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार अर्थात गोल्ड-मेडल पाए हैं। दिल्ली सरकार की शैक्षणिक संस्थाओं में इस गुरुकुल ने महत्वपूर्ण स्थान बनाया है और सरकार उन्हें हर बड़े कार्यक्रम का हिस्सा बनाती है। बताया कि देश के विभिन्न अंचलों से इन ऋषिकुमारों की मांग भागवत कथा तथा संगीत आयोजनों के आयोजनों के लिए बढ़ रही है। कहा कि हमारा समाज प्रति छात्र रु. 6,000 प्रतिमाह की सहायता से इन्हें गोद लेता है और उन्हें शिक्षित बनाने में सहयोगी बनता है।
विश्व जागृति मिशन पटियाला मण्डल के उप-प्रधान श्री प्रदीप गर्ग ने बताया कि विराट भक्ति सत्संग समारोह में पंजाब के अलावा चण्डीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश सहित विभिन्न पड़ोसी प्रान्तों के ज्ञान-जिज्ञासु ज्ञान गंगा में स्नान का लाभ लेने आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि रविवार-एक दिसंबर को मध्याहनकाल सामूहिक मन्त्र दीक्षा सम्पन्न होगी।
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