यज्ञ भगवान को भी धरती पर आने के लिए विवश करता है।

गुरुदेव ने किया सभी मिशन साधकों से नियमित हवन करने का आह्वान…

Shri Ganesh Laxmi Mahayagya | Sudhanshu Ji Maharaj
आनन्दधाम में चल रहे चार दिवसीय श्री गणेश लक्ष्मी महायज्ञ के दूसरे दिन सदगुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज ने १०८ कुण्डीय यज्ञशाला में यज्ञ-साधकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यज्ञ परम पिता परमात्मा को भी पृथ्वी पर आने के लिए विवश कर देता है। इसीलिए उन्हें यज्ञ भगवान कहा गया है।

पूज्या गुरुमाँ और ध्यानगुरु अर्चिका दीदी एवं सैकड़ों यज्ञ-जिज्ञासुओं व साधकों की उपस्थिति में गुरु महाराज ने कहा कि हमारी पूजा पद्धतियों में अग्नि पूजन सबसे प्राचीन विधा है। ऊपर उठती दीपशिखा से हमें ऊर्ध्वमुखी चिन्तन और कर्म करने की प्रेरणा मिलती है। यज्ञ हमें ऊँचा उठने और आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि निराशा से निकालकर आशा की ओर बढ़ाने तथा मनुष्य को नकारात्मकता से उबारकर सकारात्मकता से जोड़ने वाली विद्या का नाम यज्ञ है।

विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि यज्ञ से व्यक्ति और प्रकृति दोनों ही शक्तिशाली बनते हैं। शक्ति का दुरुपयोग करने पर व्यक्ति हानियाँ ही हानियाँ उठाता है। उन्होंने दिव्यांगों, वंचितों और निर्धनों की सहायता को सबसे बड़ा यज्ञ बताया। वह बोले- आचार्यों एवं विद्वान व सेवाभावी ब्राह्मणों को दान देना भी एक तरह का यज्ञ ही है।

श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा जो हिंसा-रहित कर्म हैं वे यज्ञ की श्रेणी में आते हैं। कहा कि यज्ञ व्यक्ति को संतुलित और स्थिर बनाता है। यज्ञ से पाप-ताप मिटते हैं। राजधर्म की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि कम से कम लोगों को नुक़सान और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की रक्षा राजधर्म की नीतियों में बड़ा स्थान रखती है। आतंकी घटनाओं तथा असामाजिक तत्वों से जूझते हुए सेना और पुलिस की विवशतापूर्ण कार्यवाहियों का मर्म समझाते हुए उन्होंने कुछेक अवसरों पर सख़्त कार्यवाहियों को आवश्यक बताया।

विश्व जागृति मिशन के महामन्त्री श्री देवराज कटारिया ने बताया कि महायज्ञ १३ अक्टूबर तक चलेगा। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन वरदान सिद्धि साधना भी साधकों को सिखलाई जा रही है।

Leave a Reply