प्राण सधें तो सब सधे
नियमित प्राणायाम सुस्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी
आनन्दधाम, नई दिल्ली। प्राण का हमारे जीवन में सर्वाधिक महत्व है। प्राणों को साध लिया जाए तो सब कुछ सध जाता है। ऋषियों ने प्राणों की साधना के लिए ‘प्राणायाम’ का शोध किया था। प्राणायाम का नियमित अभ्यास हमारे प्राणों को मजबूत बनाता है। जो जितना प्राणवान है वह उतना ही जीवन्त है।
यह बात आज यहाँ विश्व जागृति मिशन मुख्यालय आनन्दधाम के साधना मण्डप में ध्यानगुरु
डॉ. अर्चिका दीदी ने कही। उन्होंने कहा कि प्राणहीन व्यक्तियों को जीवित व्यक्ति कहना मुश्किल होता है। प्राणहीन व्यक्ति जीवन में कोई खास उपलब्धि प्राप्त नहीं कर पाते, प्राणवान व्यक्ति साधारण स्थितियों में भी बड़ी उपलब्धि प्राप्त करने में सफल होते हैं।
उन्होंने प्राणयाम की सरल एवं प्रभावी विधियों का अभ्यास सभी साधकों से कराया। कपालभाति, अनुलोम विलोम प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, भ्रातसिका प्राणायाम, उज्जायी प्राणायाम, सूर्यवेधन, प्राणायाम, शीतली शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास कराया। योग-प्राणायाम की इन क्रियाओं में उन्होंने स्वांस-प्रश्वांस को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उल्लेखनीय है कि आनन्दधाम में इन दिनों तीन दिवसीय गुरु मन्त्र सिद्धि साधना का क्रम चल रहा है, जिसका आज अन्तिम दिन है।
विश्व जागृति मिशन की उपाध्यक्ष डॉ.अर्चिका दीदी ने तीनों दिवस ध्यान सत्र सम्पन्न कराये। ध्यान साधकों ने बताया कि उन्होंने यहाँ आकर जहाँ आत्म कल्याण के अनेक मन्त्र सीखे हैं, वहीं स्वस्थवृत्त की कई विधियों का प्रशिक्षण भी लिया है, जिससे हम काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं।