श्रद्धावान को ही ज्ञान प्राप्त होता है
प्रेम की शक्ति असीम है
निज परिवार का दायरा बढ़ाएँ साधक
गहरे ध्यान में उतरे सैकड़ों साधक
साधकों को सूक्ष्म योगासन भी सिखाए गए
पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा भी रहे मौजूद
गुरु मन्त्र सिद्धि साधना का दूसरा दिन
आनन्दधाम नयी दिल्ली, 14 जुलाई। श्रद्धावान को ही असल ज्ञान प्राप्त होता है। श्रद्धा से सब कुछ पाया जा सकता है। लक्ष्य के प्रति श्रद्धा व्यक्ति को निश्चित रूप से उद्देश्य की प्राप्ति करा देती है। दृढ़ विश्वास और लक्ष्य के प्रति श्रद्धा दो ऐसे अस्त्र हैं जो व्यक्ति को आन्तरिक व ब्राह्म समृद्धि के शिखरों तक पहुँचा देते हैं।
यह बात आज पूर्वाह्नकाल आनन्दधाम के साधना सभागार में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कही। ‘‘श्रद्धावान लभते ज्ञानं’’ सूत्र की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि अनेक बार देखा गया है कि ज्ञान और बुद्धि में अग्रणी व्यक्तियों की अपेक्षा श्रद्धावान व्यक्ति अपनी श्रद्धा व भक्ति के बल पर ज्ञानी व बुद्धिमान व्यक्तियों से बहुत आगे निकल गए हैं और इतिहास ने उन्हें ही याद रखा। उन्होंने इसके कुछ प्रत्यक्ष उदाहरण भी सुनाए तथा श्रद्धावान बनने की प्रेरणा सभी को दी। उन्होंने प्रेम की शक्ति को असीम बताया। उन्होंने उपस्थित साधकों को गहरे ध्यान में उतारा तथा साधकों को सूक्ष्म योगासन भी कराए।
पूर्वाह्नकालीन सत्र में पश्चिमी दिल्ली के लोकसभा सदस्य श्री प्रवेश वर्मा ने भी भागीदारी की। उन्होंने विश्व जागृति मिशन की गतिविधियों को सराहा। पूर्व डिप्टी मेयर श्रीमती शशि प्रभा सोलंकी ने भी साधना सत्र में भाग लिया।
उन्होंने शुभ का संग्राहक बनने का आहवान सभी से किया और निज शरीर एवं परिवार से ऊपर उठकर समाज, राष्ट्र, धर्म एवं संस्कृति के लिए जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने आत्म समीक्षा के ढेरों सूत्र साधकों को दिए और कहा कि इनका अनुपालन जीवन में करने से आत्मोत्कर्ष के उच्च शिखरों पर पहुंचा जा सकता है।
मिशन प्रमुख ने कहा कि प्रकृति में सत् हैं। जीवन में सत् और चित् दोनों हैं लेकिन परमात्मा में सत् चित् और आनन्द तीनों हैं। मानव जीवन को आनन्दयुक्त बनाने के लिए परमात्मा से जुड़ना जरूरी होता है। जीवन में आनन्द ईश सत्ता से जुड़ने पर ही प्राप्त होता है। उन्होंने मिश्री की तरह बनने की अपील की और कहा कि आप ऐसे बनें कि मिश्री की तरह किसी भी तरफ से चखने पर मीठापन ही मिले। हमारे हर व्यवहार से मधुरता हर हॉल में प्रकट हो। उन्होंने ज्ञान और वैराग्य रूपी पंखों से भूलोक से ब्रह्मलोक की उड़ान भरने का आहवान निष्ठावान साधकों से किया।
विश्व जागृति मिशन की उपाध्यक्ष ध्यानगुरु डॉ.अर्चिका दीदी ने साधकों को ध्यान कराया। उन्होंने सभी को साधना की गहराई में उतारकर साधकों को भाव-विभोर कर दिया। उपस्थित साधकों ने सीखी ध्यान विद्या को दैनिक जीवन में अभ्यास में लाने का आश्वासन दिया।