सफ़लतापूर्वक आयोजन होने पर दिल्ली, दक्षिणी मण्डल को परमपूज्य महाराजश्री का विशेष आशीर्वाद

सफ़लतापूर्वक आयोजन होने पर दिल्ली, दक्षिणी मण्डल को परमपूज्य महाराजश्री का विशेष आशीर्वाद

सफ़लतापूर्वक आयोजन होने पर दिल्ली, दक्षिणी मण्डल को परमपूज्य महाराजश्री का विशेष आशीर्वाद

20 अप्रैल 2019 सायं को विश्व जाग्रति मिशन दक्षिणी मण्डल के पुरूष एवं महिला कार्यकर्ताओं ने स्थानीय सिरी फोर्ट ओडिटोरियम में ‘आनन्द की खोज’ शीर्षक के अन्तर्गत परमपूज्य महाराजश्री एवं विश्व विख्यात योग-ध्यान गुरु डॉ. अर्चिका दीदी के पावन सानिध्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। सभी कार्यकर्ताओं ने पूर्ण मनोयोग से इस कार्यक्रम को अत्यंत सफल बनाया और विश्व जाग्रति मिशन के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा। दक्षिणी मण्डल के अधिकारीगणों के आग्रह पर महाराजश्री ने सेवादारों को आशीर्वाद देने के लिए महाराजश्री जी ने 15 जून 2019 का अवसर दे अनुग्रहित किया।

निश्चित दिन व समय पर मण्डल के सौ से अधिक कार्यकर्ताओं ने निर्धारित स्थान पर पहुंच कर गुरुप्रेम व शुकराने के मधुर भजनों से वातावरण को तरंगित कर दिया। महाराजश्री जी के पावन नाम के जयघोष से पूरे आश्रम परिसर में उत्साह व प्रेम की लहरें गुन्जायमान हो रही थी। कार्यकर्ताओं के मुखमण्डल तब प्रसन्नता से चमक उठे जब अचानक पूज्य महाराजश्री जी ने मिशन के अधिकारीगणों के साथ प्रवेश किया। महाराजश्री जी के व्यासपीठ पर आसीन होने के पश्चात् दक्षिणी मण्डल के प्रधान श्री बी.डी. वाधवा जी ने महाराजश्री जी का स्वागत करवाया। तत्पश्चात् महाराजश्री जी ने सभी को कार्यक्रम के अनुशासन व सुचारू रूप से की गई सेवा के लिए बधाई दी।

निराकार परम सत्ता के साकार स्वरूप सदगुरु के समक्ष बैठे शिष्यगण भी अपने बैठे शिष्यगण भी अपने आत्मिक रूप में आ जाते हैं। सद्गुरू व सद्शिष्य के मध्य का शाब्दिक अदान-प्रदान वास्तव में परमात्मा और जीवात्मा के बीच का निःशब्द संवाद ही होता है। ऐसे में गुरूसत्ता के पावन मुखारविंद से उद्धत शब्द शिष्यों को निश्चित दिशा प्रदान कर उनकी जीवन दशा को ऊंचाइयों की ओर ले जाते हैं। महाराजश्री का पवित्र निर्देश था कि आप सब शिष्य अपने जीवन को अर्थपूर्ण बनाओ। भगवान ने जब आपको सद्गुरू के साथ जोड़ा है तो इसका तात्पर्य है कि आप अपने सत्कर्मों के कारण पंक्ति में खड़े थे और अब अवसर आ चुका है। परिवार और जीविका उपार्जन के साथ-साथ अपनी आत्मा को ऊपर उठाओ। जागृत हुए हो तो अब अपनी जीवन यात्रा को निरन्तर आगे बढ़ाओ। यह परोपकार के कार्य ही ऐसे अवसर होते हैं। आप धर्म का प्रचार-प्रसार करते आत्मा के करीब होते चले जाते हैं।

अंत में शिष्यों की उत्कंठा व प्रधान जी के आग्रह को स्वीकार कर महाराजश्री जी ने शिष्यों के पास स्वयं चलकर उनके शीर्ष को स्पर्श कर अपनी ऊर्जा का संचार किया।

ततपश्चात बी.डी. वाधवा जी ने इस मण्डल के निरन्तर चलते कियाकलापों को महाराजश्री के समक्ष रखा।

उल्लेखनीय है कि गुरूदर्शन का यह दुर्लभ अवसर शिष्यों की आध्यात्मिक यात्रा को एक गहराई व सघनता का उपहार दे गया।

Leave a Reply