अपने प्रति कठोरता और दूसरों के प्रति उदारता सबसे बड़ा यज्ञ

“रहते नहीं हमेशा दिन एक से किसी के”

विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का हुआ समापन

Virat Bhakti Satsang Gurugram-07-Apr-2019 | Sudhanshu Ji Maharajगुरुग्राम, 07 अप्रैल (सायं)। यहाँ विगत 04 अप्रैल से चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आज सायंकाल विधिवत समापन हो गया। विदाई सत्र में विश्व जागृति मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने श्रीमद्भवदगीता के विभिन्न प्रसंगों को उधृत करते हुए दैनन्दिन जीवन के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण सूत्र सत्संग में आये ज्ञान जिज्ञासुओं को दिए और कहा कि आप जोड़ने वाले बनें, तोड़ने वाले नहीं।

उन्होंने हितकारी सत्य बोलने का पक्षधर बनने की सलाह दी। कहा कि सत्यनिष्ठ व्यक्ति ही जीवन में अन्तत: सफल होते हैं। रामायण के प्रमुख पात्र हनुमान की चर्चा करते हुए उन्होंने लोकसेवी कार्यकर्ताओं को श्रीहनुमान के जीवन से शिक्षा लेने को कहा। बताया कि भक्तराज हनुमान ने प्रभु श्रीराम द्वारा दिये गए कार्य को सम्पन्न करते हुए सीता माँ का पता तो लगाया ही था, अपने विवेक का उच्चस्तरीय परिचय देकर लंकापति और उनकी सेना की शक्ति का भी पता कर लिया, लंका की सेना को श्रीराम की सेना की एवं उनके सैनिकों की ताकत का परिचय दिया। पूरी शक्ति का प्रदर्शन करने के बाद वापस आकर बड़ी विनम्रता के साथ अपनी सफलता का श्रेय अपनी टीम के सभी सदस्यों को दिया।

श्री सुधांशु जी महाराज ने मुदिता, उपेक्षा, करुणा एवं सेवा के मानवीय गुणों की व्याख्या की और इन्हें जीवन में उतारने की प्रेरणा दी। उन्होंने जीवन में संतुलन को उच्च स्तर के ‘योग’ की संज्ञा दी और कहा कि अनुकूल व विपरीत परिस्थितियों में सम बने रहने का अभ्यास डालें। जीवन के हर कर्म को यज्ञमय बनाने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने किसी से मिले प्रेम एवं उपकार को कई गुना बढ़ाकर वापस करने को सबसे बड़ा यज्ञ बताया। कहा कि अपने लिए कठोरता और दूसरों के प्रति उदारता ही वास्तविक यज्ञ है।

गुरुग्राम से विदाई के पूर्व विश्व जागृति मिशन के गुरुग्राम मण्डल के पदाधिकारियों ने अपने सदगुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज का भव्य नागरिक अभिनन्दन किया। कार्यक्रम का समापन आरती के साथ हुआ।

समस्त कार्यक्रमों का मंचीय समन्वयन व संचालन विश्व जागृति मिशन नई दिल्ली के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया। आज की सन्ध्या ईश-वन्दना एवं राष्ट्र-वन्दना के गीतों व भजनों से सजी थी। आचार्य अनिल झा, कश्मीरी लाल चुग, राम बिहारी एवं महेश सैनी के भजनों ने जनमानस को भीतर तक झंकृत किया। श्री चुन्नी लाल तंवर, श्री राहुल आनन्द एवं श्री प्रमोद राय ने वाद्य यंत्रों पर उनका सहयोग किया।

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