परमेश्वर से प्रीत सबसे ऊँची प्रीत, परमात्मा ही विश्वास करने योग्य

अपनी दिनचर्या में प्रार्थना के लिए समय अवश्य निकालें और उसका समय निश्चित हो

अपने असल स्वरूप से जुड़ने का सर्वाधिक प्रभावी माध्यम- ध्यान

Virat Bhakti Satsang Ludhiana-31-Mar-2019a | Sudhanshu Ji Maharaj‘गुरु मेरी पूजा गुरु गोविन्द, गुरु मेरा पारब्रह्म गुरु भगवन्त”

लुधियाना, 31 मार्च (प्रातः)। विगत चार दिनों से यहाँ चल रहे अमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव के आखिरी दिवस का पूर्वाहनकालीन सत्र भी कल की भाँति ध्यान-योग कक्षा को समर्पित रहा। कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय के विशाल परिसर में 28 मार्च से चल रहे विराट सत्संग समारोह की ध्यान कक्षा में देश के लब्ध-प्रतिष्ठित अध्यात्मवेत्ता श्री सुधांशु जी महाराज ने ध्यान-जिज्ञासुओं को लगातार दूसरे दिन ध्यान की गहराइयों में उतारा।

ध्यान को अपने असली स्वरूप से जुड़ने का सबसे प्रभावी माध्यम बताते हुए उन्होंने कहा कि परमेश्वर से प्रीत करना ही सबसे ऊँची प्रीत है। वह अक्षुण्ण है, वह सदा बनी रहने वाली है। परमेश्वर ही विश्वास करने योग्य है। उन पर भरोसा करने वाले व्यक्ति निर्भीक होते हैं और सदैव आनंदित रहते हैं। परम पिता परमात्मा पर विश्वास मनुष्य के भीतरी-पक्ष को सुदृढ़ बनाता है। उन्होंने ईश विश्वास और प्रभु के प्रति श्रद्धा को ऊँचा उठाने को कहा तथा सबसे अपील की कि आप प्रभु पर श्रद्धा एवं विश्वास दृढ़ रखते हुए अपने कर्म-पथ पर निष्ठापूर्वक आरूढ़ रहें, आपका जीवन नि:सन्देह सफलताओं से भरा-पूरा बनेगा।

मिशन प्रमुख ने सकारात्मक चिन्तन को मानव की सबसे बड़ी सम्पत्ति बताया और अनेक उद्धरण सुनाते हुए सकारात्मकता के लाभ गिनाए। उन्होंने बड़े ही रोचक व संगीतमय वातावरण में सकारात्मक सोच को उभारने के ध्यान सूत्र हजारों की संख्या में उपस्थित जनसमुदाय को सिखाये। उन्होंने ध्यान-योग के इन सूत्रों को दैनिक जीवन में अभ्यास व आचरण में लाने का आग्रह किया। उन्होंने तनाव से बचने के सूत्र सिखाए और एकाग्रता के ज़रिए जीवन की विभिन्न समस्याओं का निदान करने का तरीक़ा समझाया। कहा कि एकाग्रता को जीवन का अविभाज्य हिस्सा बनाने पर जीवन की क़ीमत बहुत अधिक बढ़ जाती है।

विश्व जागृति मिशन प्रमुख श्री महाराज जी ने ‘प्रार्थना की शक्ति’ की चर्चा करते हुए कहा कि विश्व के ७६० करोड़ लोगों में से हर व्यक्ति किसी न किसी तरह प्रार्थना करता है। उन्होंने अपनी दैनिक दिनचर्या में प्रार्थना के लिए अनिवार्य एवं अपरिहार्य रूप से स्थान निर्धारित करने का आह्वान किया। उन्होंने राष्ट्र भक्ति को जीवन में सर्वोच्च स्थान देने को कहा तथा “भारत देश है मेरा” शीर्षक वाले राष्ट्रीयता से ओतप्रोत राष्ट्र-गीत के साथ राष्ट्र-देवता का विलक्षण ध्यान कराया। श्रद्धेय महाराजश्री ने अपने सैनिकों को समाज व जीवन के हर क्षेत्र में सम्मान देने का आह्वान देशवासियों से किया। ‘अभिनंदन का अभिनंदन है’ गीत पर तो सत्संग सभागार में मौजूद सभी स्त्री-पुरुष थिरक उठे।

विश्व जागृति मिशन नई दिल्ली के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि मिशन मुख्यालय आनन्दधाम में आगामी मई माह से महर्षि वेदव्यास उपदेशक महाविद्यालय का शुभारंभ किया जा रहा है। इस कॉलेज की स्थापना का उद्देश्य देश को बड़ी संख्या में ‘श्रेष्ठ धर्मोपदेशक’ प्रदान करना है। आर्ष ग्रन्थों श्रीमद्भवदगीता, श्रीमदभागवत, श्रीरामचरितमानस, वेद विज्ञान आदि पर प्रभावी उदबोधन-प्रवचन करने वाले प्रखर उपदेशक तथा यज्ञ व संस्कार के विद्वान उपयोगी कर्मकाण्डी आचार्य तैयार करके उनके माध्यम से राष्ट्रीय चेतना को झकझोरने के प्रयत्न बड़े पैमाने पर किये जायेंगे।

विश्व जागृति मिशन लुधियाना मण्डल के प्रधान श्री राम चन्द्र गुप्ता ने बताया कि अमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव का समापन सत्र आज सायंकाल 04 से 06 बजे तक सम्पन्न होगा।

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