करनाल के पावनधाम आश्रम में विराट भक्ति सत्संग महोत्सव शुरू

हरियाणा, पंजाब, उ.प्र. व उत्तराखण्ड राज्यों के ज्ञान जिज्ञासु कर रहे शिरकत

हृदय और मस्तिष्क का सम्यक् सदुपयोग करने वाले व्यक्ति होते हैं सफल

आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने राष्ट्र भक्ति से जन-जन को सराबोर करने पर दिया ज़ोर

विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों के साथ मन्त्री व विधायक ने मिशन प्रमुख का किया अभिनन्दन

“जपे जा तू वन्दे सुबह और शाम, जय राम जय राम जय जय राम”

Virat Bhakti Satsang Karnal-15-Mar-19करनाल, 15 मार्च। हरियाणा के प्रमुख नगर करनाल स्थित पावनधाम आश्रम के विशाल प्रांगण में विश्व जागृति मिशन के तत्वावधान में आज अपराह्नकाल तीन दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का समारोहपूर्वक शुभारम्भ हुआ। हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों से भारी संख्या में आए ज्ञान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए मिशन प्रमुख ने जीवनयापन के साथ अपने-आपको जीवनदाता से जोड़े रखने तथा राष्ट्रभक्ति को सर्वोपरि स्थान देने का आह्वान किया। इसके पूर्व हरियाणा सरकार के क़ाबीना मन्त्री श्री कर्णदेव काम्बोज, नीलोखेड़ी विधायक श्री भगवान दास कबीरपंथी सहित कई गण्यमान व्यक्तियों ने श्री सुधांशु जी महाराज का स्वागत किया।

इस अवसर पर बोलते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि हृदय और मस्तिष्क का सम्यक् सदुपयोग करने वाले व्यक्ति सदैव सफल होते हैं। आज ज़रूरत है कि ज्ञान को भक्ति दी जाय और भक्ति को ज्ञान का संबल दिया जाय। ये दोनों ही एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। उन्होंने श्रद्धा और विश्वास के साथ बुद्धिमत्ता को भी आवश्यक बताया। बुद्धि और दिल, धर्म और विज्ञान इनका संयुग्म व्यक्ति और समाज को पूर्ण बना देता है। देश में हरीतिमा संवर्धन के लिए बड़े पैमाने पर कार्य करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में मात्र १३ प्रतिशत क्षेत्र में वन हैं, जब कि किसी स्वस्थ राष्ट्र में वनीय अंचलों का प्रतिशत ३० से ज़्यादा होना चाहिए।

नाम जप, दैनिक हवन, स्वाध्याय की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने जीवनयापन के सहज क्रम के साथ जीवनदाता अर्थात् परमपिता परमेश्वर से ख़ुद को जोड़े रहने को कहा। इसके लिए उन्होंने हर आती-जाती साँस के साथ प्रभु स्मरण करने की विविध-विधि प्रेरणायें उपस्थित जनसमुदाय को दीं। श्रद्धेय महाराजश्री ने देशभक्ति को ईशभक्ति के समतुल्य बताया और हिंदुस्तान के अन्तिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र द्वारा रंगून की विदेशी धरती पर भारी प्रताड़नाओं के बीच एक सवाल के जवाब में अंग्रेज़ अधिकारी से कही गयी बात याद दिलायी। अपदस्थ भारतीय शासक बादशाह शाह ज़फ़र ने कहा था मैं तुम्हारी प्रताड़ना के दर्द को चुपचाप पीकर अपनी उस भूल का प्रायश्चित कर रहा हूँ कि मैंने समय रहते दुश्मन को अपनी ज़मीन पर कठोर दण्ड क्यों नहीं दिया और मारकर अपने मुल्क से क्यों नहीं खदेड़ा। मिशन प्रमुख ने पड़ोसी देश की आतंकी गतिविधियों को लगातार सहने की भारतीय नीति को अनुचित बताया और कहा कि २६/११ की मुम्बई की बड़ी घटना पर तब की भारत सरकार द्वारा १००० पृष्ठ के प्रमाण भेजने की तरह पुलवामा घटना पर वैसा करने की बजाय १००० किलो का बम भेजने का असर न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर पड़ा है। उन्होंने राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि मानकर उसे अपनाने पर ज़ोर दिया।

नयी दिल्ली से आए विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र के मंचीय समन्वयन व संचालन में चले कार्यक्रम में करनाल मण्डल के प्रमुख श्री राजेन्द्र भारती ने बताया कि सत्संग समारोह रविवार की सायंकाल तक चलेगा। उसी दिन मध्याह्नकाल सामूहिक मन्त्रदीक्षा का कार्यक्रम सम्पन्न होगा, जिसके लिए पंजीयन प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी है।

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