अनुशासन का दूसरा नाम है योग
स्वस्थ जीवन मनुष्य को परमात्मा का सर्वोत्तम उपहार
रायपुर के ब्रह्मलोक में बन रहा है श्री कैलाश मानसरोवर
अध्यात्म कठिन नहीं बेहद सरल, वह बोलने का नहीं बल्कि जीने का विषय
रायपुर, 10 मार्च (प्रातः)। स्वस्थ एवं निरोग जीवन परम पिता परमात्मा से मनुष्य को मिला सर्वोत्तम उपहार है। स्वस्थ शरीर और स्वच्छ मन के निर्माण को सबसे बड़ी प्राथमिकता बना लेने वाले व्यक्ति न केवल खुद का हित करने में सफल होते हैं वरन एक स्वस्थ एवं विकसित समाज के निर्माण में सहयोगी बनते हैं। अन्तत: एक विकसित व समृद्ध राष्ट्र के निर्माण में ऐसे लोगों की महत् भूमिका बन जाती है। किसी भी देश के नागरिक का यह योगदान व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र तथा अन्तत: विश्व के लिए एक बहुत बड़ा योगदान बन जाता है। अतएव इस ओर प्रत्येक जागरूक देशवासी को ध्यान देना ही चाहिए।
यह बात आज छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम प्रांगण में पिछले तीन दिनों से चल रहे विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के तीसरे दिन के पूर्वाहनकालीन सत्र में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कही। आठ मार्च को दिल्ली से रायपुर पहुँचे विश्व जागृति मिशन प्रमुख आज प्रातःकाल स्वास्थ्य-जिज्ञासुओं की विशाल सभा को सम्बोधित कर रहे थे।
श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि परमेश्वर ने मानव मात्र को ढेरों शक्तियों से नवाजा है। उन शक्तियों का बिखरा रहना ही समस्त असफलताओं का मुख्य कारण है। इसलिए शक्तियों को क्षरण से बचाने के लिए लक्ष्य पर फोकस किया जाए। एकाग्रता के साथ ऐसा प्रयास करने वाले व्यक्ति अनेक विपरीतताओं के बीच तथा ढेरों असफलताओं के बीच भी सफलता के द्वार खोल लेते हैं। उन्होंने योग को अनुशासन का दूसरा नाम बताया और कहा कि आपको सफल बनाने के लिए कोई दूसरा व्यक्ति सहयोगी नहीं बनता, एक मूर्तिकार की तरह छेनी-हथौड़ी लेकर अपनी कमजोरियों पर उसी तरह चोट मारनी पड़ती है, जिस तरह वह मूर्तिकार पत्थर में छिपी मनमोहक एवं सुन्दर मूर्ति के आसपास के फालतू पत्थर को काट-छाँटकर एक ऐसी चीज समाज को दे देता है, जो सदा-सदा के लिए सबकी पूज्य बन जाती है। उन्होंने ध्यान-योग के इस अन्तिम सत्र में जनमानस को उत्तम स्वास्थ्य के अनेकानेक सूत्र देते हुए उन्हें क्रियात्मक प्रशिक्षण दिया।