सत्संग से आस्था और श्रद्धा में दृढ़ता आती है
‘गुरु गोविन्द गायो नहीं जन्म अकारथ कीन्ह”
विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का दूसरा दिवस
पुणे, 21 फरवरी (सायं)। विश्व जागृति मिशन के पुणे मण्डल द्वारा आयोजित विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के दूसरे दिवस के सायंकालीन आध्यात्मिक सन्देश का शुभारंभ शिव वन्दना से हुआ। ॐ नमः शिवाय के सामूहिक संकीर्तन से आरम्भ हुए सत्र में मिशन के संस्थापक-संरक्षक श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि व्यक्ति को सत्य की ओर जो उन्मुख कर दे उसी का नाम सत्संग है। जहाँ से शुद्ध, निर्मल और पवित्र हवा प्रवाहित होने लगे, उसे सत्संग कहा जाना चाहिए। सत्संग भ्रमों से, भटकाओं से मुक्ति दिलाने में समर्थ होता है। उन्होंने कहा कि जहाँ से भ्रमों का उच्छेदन हो जाये, निराशा हटने लगे, विवेकशीलता बढ़ने लगे, स्नेह व प्यार की गंगा प्रवाहित होने लगे, वही सत्संग है। सत्संग न केवल व्यक्ति को बल्कि उसकी पीढ़ियों के जीवन पथ को प्रकाशित कर देता है। उन्होंने कहा कि सत्संग से आस्था और श्रद्धा में दृढ़ता बढ़ जाती है।
आज की संध्या दिव्य भजनों को समर्पित रही। आनन्दधाम नई दिल्ली से आए आचार्य अनिल झा, कश्मीरी लाल चुग एवं राम बिहारी ने प्रेरक भजन प्रस्तुत किये। वाद्ययंत्रों पर उनका सहयोग श्री चुन्नी लाल तंवर, श्री राहुल आनन्द एवं रवि शंकर ने दिया।
विश्व जागृति मिशन के पुणे मण्डल के वरिष्ठ संगठन सचिव श्री रवीन्द्र नाथ द्विवेदी ने बताया कि सत्संग स्थल पर श्री प्रयाग शास्त्री की अगुवाई में एक दर्जन स्टॉल लगाए गए हैं, जिनके माध्यम से प्रेरक साहित्य, अनाथ (देवदूत) बच्चों की शिक्षा, युगऋषि आयुर्वेद, वृद्धजन सेवा, गौ सेवा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा सेवा आदि क्रियाकलापों की जानकारी आगंतुक स्त्री-पुरुषों को दी जा रही है। उन्होंने मिशन के पुणे मण्डल द्वारा स्थानीय स्तर पर चलाई जा रही साप्ताहिक गतिविधियों की जानकारी भी दी।