आयुर्वेद रूपी अमृत को जानने-समझने की जरूरत
नई पीढ़ी ले संकल्प-कभी पीछे मुड़कर मत देखना
प्रयाग कुम्भ में सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने कहा
बिठूर गुरुकुल के ऋषिकुमारों ने दिखाए अद्भुत करतब
जस्टिस शम्भु नाथ श्रीवास्तव सहित कई गण्यमान व्यक्ति रहे मौजूद
कुम्भनगरी प्रयागराज, 08 फरवरी। विश्व जागृति मिशन के सेक्टर-6 स्थित कुम्भ शिविर में सम्पन्न दिव्य सत्संग महोत्सव में आज बड़ी संख्या में देश-विदेश के धर्मप्रेमियों ने भागीदारी की। इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एवं छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकायुक्त जस्टिस शम्भु नाथ श्रीवास्तव, उच्च न्यायालय के सीनियर एडवोकेट श्री अरुण कुमार गुप्ता एवं सर्वोच्च न्यायालय (नई दिल्ली) के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री सत्य प्रकाश पाण्डेय सहित अनेक गण्यमान व्यक्ति मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज से भेंट करने पहुँचे और उन्होंने भी सत्संग समारोह में भागीदारी की।
धरती पर आयुर्वेद रूपी अमृत लेकर आये महान ऋषि धन्वंतरि की चर्चा करते हुए विश्व जागृति मिशन के प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने आयुर्वेद के ज्ञान-विज्ञान की विस्तार से चर्चा की और बताया कि महर्षि धन्वंतरि ने मनुष्य मात्र को सुस्वास्थ्य देने के लिए मसालों के माध्यम से आयुर्वेद को हर घर तक और प्रत्येक रसोई तक पहुंचा दिया था, जिसका प्रतिनिधित्व माताएँ, बहिनें, दादियां और नानियाँ आज भी करती हैं। दादी माँ के नुस्खे आज भी भारत के हर गली मोहल्ले में विख्यात हैं।
श्री सुधांशु जी महाराज ने धन्वंतरि संहिता से प्रकाश लेकर आयुर्वेद से दूर हो गए हमारे देश को पुनः अपने मूल स्वास्थ्य-विज्ञान की ओर लौटने का आह्वान किया। उन्होंने अमृत कुम्भ और आयुर्वेद रूपी अमृत के बीच का अन्तर समझाते हुए धन्वंतरि के बाद ऋषि सुश्रुत और ऋषि चरक से दुनिया को मिलीं देनों पर प्रकाश डाला। कहा कि समुद्र मन्थन के अमृत का लाभ लेने के लिए न केवल कुम्भनगरी प्रयागराज आये नर-नारी अपने ऋषियों द्वारा दिए गए आयुर्वेद-अमृत का महत्व समझकर अपनी जड़ों की ओर लौटें, वरन हमारी सरकारें तथा अर्थ जगत एवं मनीषा जगत के सक्षम व्यक्ति इस ओर समुचित ध्यान दें।
श्री सुधांशु जी महाराज ने कर्म को पूजा बताते हुए मानव काया के मेरुदंड (रीढ़) को मंदराचल पर्वत की संज्ञा दी और कुम्भ का अमृत पाने के लिए आत्म साधना के जरिये अपनी कुण्डलिनी जागृत करने का प्रयास करने को कहा। श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि जिस तरह नदी टेढ़ी होती है लेकिन प्रवाहित हो रहा जल टेढ़ा नहीं होता, उसी तरह दुनिया टेढ़ी हो सकती है, परन्तु मालिक (ईश्वर) सदैव सीधा होता है। सन्तश्री ने लोगों से कहा कि आप सीधे बनें, टेढ़े नहीं।
श्रद्धेय महाराजश्री ने विश्व जागृति मिशन के कुंभ शिविर में सहयोगी बने सभी कार्यकर्ताओं तथा देश-विदेश से पधारे श्रद्धालुओं के उज्ज्वल भविष्य के लिये शुभकामनाएं कहीं। विदाई के पूर्व श्री मनोज शास्त्री, दिवाकर यादव, दीपाँकर यादव, अजय श्रीवास्तव, एसपी मिश्र, पवन अरोड़ा, रामासरे यादव, सुनील चावला, पीएन मेहरोत्रा, विजय गुप्ता, रतन प्रकाश, समरजीत यादव, आचार्य राकेश द्विवेदी, डॉ. सप्तर्षि मिश्र, आचार्य महेश शर्मा, आचार्य रजनीश भट्ट, आचार्य रामकुमार पाठक, आचार्य कुलदीप पाण्डेय आदि ने श्री सुधांशु जी महाराज का नागरिक अभिनन्दन किया।
इस मौके पर नई दिल्ली से आये दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर एवं राष्ट्रीय कवि श्री सारस्वत मोहन मनीषी के कविता पाठ एवं महर्षि वेदव्यास अंतरराष्ट्रीय गुरुकुल विद्यापीठ सिद्धिधाम आश्रम, बिठूर, कानपुर के ऋषिकुमारों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रमों ने उपस्थित जनमानस को भीतर तक रोमांचित किया। अनिकेत, नितिन एवं प्रांशु के दीपक आसन को देखकर वहाँ मौजूद हर स्त्री-पुरुष ने दाँतों तले अंगुली दबा लीं।