सृष्टि में व्याप्त परमात्मा के अनहद नाद को सुनना सीखें
सूरत में सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने किया जनमानस का आहवान
सूरत, 13 जनवरी (प्रातः)। वेसू स्थित बालाश्रम अर्थात् विश्व जागृति मिशन के सूरत मण्डल के द्वारा रामलीला मैदान में आयोजित विराट् भक्ति सत्संग महोत्सव के आज के प्रातःकालीन सत्र में सूरतवासियों ने श्री सुधांशु जी महाराज से ध्यान-योग की महत्वपूर्ण क्रियाएँ सीखीं और आन्तरिक क्षेत्र की गहराई में उतरने की विधाओं का प्रशिक्षण प्राप्त किया। ध्यान-जिज्ञासुओं से खचाखच भरे विशाल सत्संग पण्डाल में आनन्दमय उल्लास चहुँओर बिखरा हुआ प्रतीत हो रहा था। बाद में मध्याहनकालीन सत्र में बड़ी संख्या में नर-नारियों ने सन्त श्री सुधांशु जी महाराज से मन्त्र दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा सत्र में पूर्व से दीक्षित अनेक साधकों ने भी शिरकत की।
इस अवसर पर आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि इस ब्रह्माण्ड में एक दिव्य ध्वनि सदैव विराजमान होती है, उसे अनहद स्वर कहा जाता है। अनहद यानी जिसकी कोई सीमा नहीं हो अर्थात असीम। इस सृष्टि में परमात्मा ही असीम है, इसलिए अनहद नाद परमेश्वर की ही दिव्य ध्वनि है। उन्होंने ध्यान की गहराइयों में जाकर इस अनहद नाद को सुनने का प्रयास करने को कहा। इस ध्यान को ‘आदि-ध्यान’ की संज्ञा देते हुए श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि ध्यान-योग साधक को प्रभु की इस अनहद ध्वनि के समीप ले जाने में सेतु का काम करता है। ॐकार का निरन्तर अभ्यास इस काम में सहयोग करता है। उन्होंने उपस्थितजनों को इसका व्यावहारिक अभ्यास कराया।
विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने बताया कि मिशन द्वारा करुणासिन्धु, युगऋषि आरोग्य धाम एवं द व्हाइट लोट्स अस्पतालों के जरिये भारी संख्या में वंचित वर्ग के स्वजनों को स्वास्थ्य लाभ दिया जा रहा है। वहीं वृद्धाश्रम एवं गौशालाओं के माध्यम से बुजुर्ग स्त्री-पुरुषों तथा भारतीय नस्ल की गौमाताओं की सेवा सराहनीय ढंग से की जा रही है। उन्होंने नई दिल्ली स्थित आनन्दधाम गुरुकुल तथा महर्षि वेद व्यास अंतरराष्ट्रीय उपदेशक महाविद्यालय की सेवाओं की भी जानकारी उपस्थितजनों को दी।