सूरत के रामलीला मैदान में श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा
”गुरुब्रह्मा गुरुविष्णु: गुरुदेवो महेश्वर:”
विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का तीसरा दिन
सूरत, 12 जनवरी (सायं)। विश्व जागृति मिशन नई दिल्ली के सूरत मण्डल के तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव के तीसरे दिन की सन्ध्या गुरुसत्ता की महिमा के गायन, ऋषिसत्ता के सन्देशों के अवगाहन तथा अपने जीवन को श्रेष्ठता के मार्ग पर बढ़ाने के सामूहिक संकल्प को समर्पित रही। सत्र का शुभारंभ ‘गुरुब्रह्मा गुरु विष्णु गुरुदेवो महेश्वर:’ के समूह-गायन से हुआ। देश के प्रमुख आध्यात्मिक परिवार विश्व जागृति मिशन के संस्थापक-संरक्षक सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने गुरु और शिष्य के सम्बन्धों पर बड़ी गहराई से प्रकाश डाला।
गुजरात एवं पड़ोसी प्रान्तों के अनेक जनपदों से भक्ति सत्संग समारोह में रामलीला मैदान पहुँचे ज्ञान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि समर्थ गुरू रामदास के प्रति शिवाजी के श्रद्धा-समर्पण ने भारत में एक नया इतिहास रच दिया था। आचार्य चाणक्य द्वारा कठिन परिश्रम से गढ़े गए युवक चन्द्रगुप्त मौर्य ने खण्डित भारत को अखण्ड बनाकर 24 वर्षों तक दुनिया के बड़े भूभाग पर सफलतापूर्वक राज किया था। भगवद्स्वरूप गुरु श्रीकृष्ण के उपदेशों पर अमल करने के कारण अनुपम धनुर्धारी अर्जुन सहित पाण्डवों ने भारत को महाभारत बनाया था। आज जिनका जन्मदिन है उन चिरयुवा स्वामी विवेकानन्द को ठाकुर रामकृष्ण ने ऐसा रचा था कि वे भारतीय संस्कृति का परचम भारत भूमि से लेकर पाश्चात्य देशों तक फहरा सके थे।
सन्त श्री सुधांशु जी महाराज ने माँ को पहले और पिता को दूसरे गुरु की संज्ञा दी और कहा कि माँ बच्चे को शब्द ज्ञान देती है और परिवार से उसका परिचय कराती है। नवागन्तुक शिशु को साहस, शक्ति, संतुलन एवं शौर्य के गुण पिता द्वारा सिखाये जाते हैं। दुनिया के विषयों का ज्ञान देने वाले शिक्षक गुरु की तीसरी श्रेणी में आते हैं। श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में ‘आध्यात्मिक गुरु’ को सर्वोच्च स्थान दिया गया है, जो मनुष्य को लोक व परलोक का ज्ञान कराते हैं और मानव जीवन को सार्थक बनाते हैं। उन्होंने गुरु को अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ाने वाला ज्ञानी महापुरुष कहा और अनेक इतिहास पुरुषों की सफलता का श्रेय उनके सदगुरु के मार्गदर्शन को दिया। उन्होंने मानव को सृष्टि का अदभुत राजकुमार बताया और मनुष्य मात्र से अपेक्षा की कि वे पशु-पक्षियों के स्तर से ऊपर उठकर अपने एवं अपने परिवार के साथ अन्यों के कल्याण के निमित्त कार्य करें।
नई दिल्ली से आये धर्मादा सेवा अधिकारी श्री गिरीश चन्द्र जोशी ने नौ तरह की धर्मादा सेवाओं की जानकारी दी और बताया कि अनाथाश्रम सेवा, गुरुकुल सेवा, वृद्धाश्रम सेवा, करुणा सिन्धु अस्पताल सेवा, गौशाला सेवा, भंडारा सेवा, देव मन्दिर सेवा, अन्नक्षेत्र सेवा, यज्ञ-सत्संग सेवा एवं दैवीय आपदा सेवा के तहत मिशन परिवार द्वारा समाज की सेवा विविध विधि की जा रही है।
सूरत सत्संग महोत्सव के मुख्य संयोजक धर्माचार्य पं.राम कुमार पाठक ने बताया कि कल रविवार को मध्यान्हकाल सामूहिक मन्त्रदीक्षा का कार्यक्रम सम्पन्न होगा, जिसमें सैकड़ों स्त्री-पुरुष गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज से गुरुदीक्षा ग्रहण करेंगे। कल ही सायंकाल सत्संग समारोह का समापन होगा।