योग विज्ञान भारतीय मनीषियों द्वारा मानव कल्याण हेतु दिया गया विशेष उपहार
भारतीय योग विद्या विश्व स्तर पर रोजगार का साधन बनी
नियम व अनुशासन का पालन ही है वास्तविक योग
आनन्दधाम में विश्व जागृति मिशन प्रमुख श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा
आनन्दधाम, नयी दिल्ली। चतुर्थ अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस आज आनन्दधाम में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। प्रातःकालीन कक्षा में जहाँ सैकड़ों बालक-बालिकाओं, युवक-युवतियों ने योगाभ्यास किया, वहीं पूर्वाह्नकालीन सत्र में मिशन प्रमुख आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने योग जिज्ञासुओं का प्रभावी मार्गदर्शन किया। यज्ञशाला में स्वस्थ भारत व विश्व की कामना के साथ विशेष यज्ञाहुतियाँ भी दी गयीं। मिशन मुख्यालय आनन्दधाम के सभागार से रसोई तक सभी जगह योग का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा था।
आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने योग साधकों एवं ऋषिकुमारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जीवन में नियमों एवं अनुशासनों का पालन करने का नाम ही योग है। यह नियम व अनुशासन निजी स्वास्थ्य एवं पारिवारिक स्वास्थ्य के साथ-साथ समाज व राष्ट्र की सेहत बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है। भारतभूमि को योग भूमि की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि यहाँ का हर व्यक्ति पतन्जलि के ‘अथयोगानुशासनम’ सूत्र पर सदा से विश्वास व अमल करता रहा है। हाल के कुछ दशकों में इधर इसमें भारी कमी आयी है। उन्होंने पशु-पक्षियों द्वारा छोटे-बड़े प्रत्येक विश्राम के बाद कोई न कोई आसन करने की तरफ संकेत करते हुए कहा कि इसीलिए अधिकांश योगासनों के नाम पशु-पक्षियों के नाम पर ही रखे गये हैं।
श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि योग केवल शरीर का ही व्यायाम नहीं है, बल्कि यह मानसिक व आत्मिक स्वास्थ्य प्रदान करने की भी अमूल्य विद्या है। इक्कीसवीं सदी में आयुष की प्रगतिशील विधाओं के बढ़ते प्रभाव का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि योग के क्षेत्र में मिली सफलताओं को देखते हुए एलोपैथी चिकित्सा के साथ-साथ योग एवं आयुर्वेद को अनिवार्य रूप से जोड़ा गया है, जिसके उत्साहजनक परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने योगासनों के साथ सात प्रकार के प्राणायामों को अपनाने तथा सभी रंगों की सब्जियों, दालों एवं फलों का उपयोग करने का सुझाव उपस्थित जनसमुदाय को दिया।
सभा मंच का समन्वयन व संचालन विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया। उन्होंने बताया कि ध्यान-योगगुरु डॉ. अर्चिका दीदी द्वारा आज आदियोगी भगवान सदाशिव के धाम कैलास मानसरोवर पर योग साधकों को योगासन सिखाये गये। वह इन दिनों 80 यात्रियों के साथ कैलास यात्रा पर हैं। बताया कि आगामी सितम्बर माह में यात्रियों का एक दल पुनः कैलास मानसरोवर जाएगा। उल्लेखनीय है कि भारत के ऋषियों द्वारा दिया गया योग विज्ञान समाज को जोड़ने के साथ-साथ दुनिया भर को आपस में जोड़ने का सशक्त माध्यम बन रहा है। वक्ताओं ने राष्ट्रनिर्माण के लिए सभी को स्वस्थ रहने की बड़ी जरूरत बतायी और कहा कि योग के माध्यम से सदैव स्वस्थ रहा जा सकता है।
इस मौके पर महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ के महामन्त्री डॉ. नरेन्द्र मदान, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी एवं महाप्रबन्धक श्री एम.एल. तिवारी, युगऋषि आयुर्वेद के सी.ए.ओ. श्री के.के. जैन सहित मिशन के कई अधिकारी भी मौजूद रहे।