आषाढ़ अमावस्या पर करें देव- पितर पूजन | युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र
आषाढ़ अमावस्या पर करें देव- पितर पूजन
5 जुलाई, 2024 शुक्रवार को आषाढ़ की अमावस्या है। ऋषियों-मनीषियों के देश भारतवर्ष में प्रत्येक वर्ष, महीना, पक्ष एवं दिन का अपना बहुत ही विशेष महत्व होता है।
प्रकृति के परिर्वतन का इन सब पर अपना प्रभाव देखने को मिलता है। जिसका अनुभव प्रकृतिप्रेमी ऋषियों ने बहुत ही गहराई के साथ शरीर, मन, आत्मा पर होने वाले असर को अपनी अन्तस्तल की दिव्यता से समझा है। उनके अनुसार कई बार मनुष्य के जीवन में अचानक अनचाहे दृश्य उपस्थित होते हैं जिनके कारण मन के कमजोर होने से कुछ ऐसी क्रियाएं हो जाती हैं जिन्हें कोई समझ नहीं पाता है किन्तु उनके परिणाम बहुत ही कष्टदायी होते हैं। किसी भी क्षण हमारा कुछ भी अनिष्ट न हो इसलिये मन को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बनाए रखने हेतु पवित्र नदियों में स्नान, तीर्थों की यात्रा, दान, सेवा-सहायता, यज्ञ, भजन, तप, साधु-सन्तों का संग, गुरु की शरण, धार्मिक ग्रन्थों का स्वाध्याय, माता-पिता का सम्मान, गरीबों पर दया एवं देव – पितरों का पूजन जैसे बहुत से साधन निर्देशित किए गए हैं। ज्योतिष के अनुसार पितृदोष, विषदोष, मंगली दोष, सन्तान हीनता, वैधव्य, दारिद्र्य, धूर्त, पति-पत्नी कलह आदि भयंकर दोषों का कारण व्यक्ति के अपने अमर्यादित कर्म ही होते हैं, जिनसे मुक्ति प्राप्त करने के लिये धर्म का आचरण ही औषधि का कार्य करता है। धर्म का अनसरण करने से पिछले दुष्कर्मों का प्रायश्चित होकर मन में पवित्रता का संचार होता है।
दिनांक 5 जुलाई, 2024 शुक्रवार को अमावस्या पर स्नान – दान, पूजा-पाठ, यज्ञ-अनुष्ठान से देव-पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए विशेष पुण्य फलदायी है। परमपूज्य सद्गुरुदेव की कृपा से आप सभी की धार्मिक निष्ठा की पूर्ति में समर्पित ” युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र” द्वारा आषाढ़ अमावस्या पर किए जाने वाले मन्त्रानुष्ठानों का लाभ प्राप्त करके ऋण-रोग से मुक्ति पायें।
मन्त्र, पाठ एवं अनुष्ठान विवरण
युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र