वासंतिक नवरात्र (चैत्र) शक्ति आराधना ( धन-धान्य सुख समृद्धि )
वासंतिक नवरात्र (चैत्र) शक्ति आराधना ( धन-धान्य सुख समृद्धि )
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवसंवत्सर का प्रारम्भ होता है। इस वर्ष 9 अप्रैल, मंगलवार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नवरात्रों के पावन पर्व से नव संवत्सर का शुभारंभ हो रहा है।
नव संवत्सर से जहां हम सभी सनातन धर्मावलम्बियों का हिन्दू नववर्ष शुरु होता है वहीं नवसंवत्सर की शुरुआत के नौ दिन माँ आदिशक्ति नवदुर्गा की उपासना के साथ-साथ राम नवमी के पावन पर्व पर भगवान श्री राम का जन्मोत्सव जीवन में नव उमंग व नव उल्लास भर देता है। इसी दिन से वासन्तिक नवरात्रि का पर्व भी प्रारम्भ हो जाता है। वर्षभर में चार नवरात्र पत्र में वासन्तिक एवं शारदीय नवरात्र को अधिक मान्यता प्राप्त हैं। चैत्र मास की नवरात्रि पर्व को वासन्तिक नवरात्रि पर्व कहा जाता है। नए अन्न के आने से चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। 9 से 17 अप्रैल, 2024 तक चैत्र नवरात्र के शुभ दिन हैं।
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की रचना में परम पिता परमेश्वर की चितिशक्ति ( चेतना शक्ति) प्रेरित होकर आकार तय करती है। इसी चेतना शक्ति को तीन नामों से सम्बोधित किया गया है। 1. महाकाली, 2. महालक्ष्मी, 3. महासरस्वती ।
महाकाली वह चेतना शक्ति हैं जो अनुशासन क्षमता से परिपूर्ण होती है इसमें तमोगुण का प्रवाह होने से अतिक्रमण का संहार करना निहित होता है।
महालक्ष्मी स्वरूपा चेतना सत्व प्रधान होकर रचित की रक्षा और पालन-पोषण करती हुई स्वास्थ्य एवं धन-धान्य से परिपूर्ण करती है।
महासरस्वती स्वरूपा चेतना शक्ति रजोगुण प्रधान होकर जीव में चिंतन, ज्ञान, वाणी एवं कर्म का संचार करती है।
इस त्रिगुणात्मिका महाशक्ति के बिना परम पुरुष परमात्मा भी असमर्थ रहता है। हमारा भारत देश और भारत की ऋषि मनीषा व्यापक महाशक्ति को अपने आत्म तत्व में सन्निधि के अनुभव और उसके परम प्रभाव के आधार पर सकारात्मक सृजन हेतु निरंतर तपः शक्ति को जुटाने में लगी रही है। ईश्वरीय शक्ति का अर्जन करके भारत अनादिकाल से विश्वगुरु रहा है। यहां दैवीय शक्ति (देव गुण सम्पन्न ) एवं सम्पत्ति सर्वोपरि मानी जाती है। वसंत एवं शरद् ये दो ऋतुएं क्रमशः ग्रीष्म, वर्षा तथा हेमन्त शिशिर का नेतृत्व करती हैं। वासन्तिक शक्ति (नवरात्र) आराधना का सुप्रभाव ठीक छ: माह तक तथा शारदीय शक्ति (नवरात्र) आराधना का सुप्रभाव भी छः माह तक सकल ब्रह्माण्ड को ऊर्जा से पूर्ण रखता है।
शक्ति ही माँ बहन बेटी दादी नानी पत्नी भक्ति शक्ति विद्या मेधा श्रद्धा सेवा तथा सहयता का रूप है, जो सब जगह सभी समय में व्यापक है। वैसे तो सभी भारतीयों को नित्य शक्ति आराधना करके सकारात्मकता का संग्रह करना चाहिए। हम सबके परम पूज्य सद्गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज के दीक्षित प्रिय शिष्यों को वसंत नवरात्र एवं शरद् नवरात्र में सम्पूर्ण अथवा कम से कम एक पाठ प्रथम दिन तथा एक पाठ अंतिम नवरात्र को अवश्य कराना चाहिए, जिससे भगवती दुर्गा की कृपा एवं श्री सद्गुरुदेव जी का आशीर्वाद सदैव हम सभी पर बना रहे। यह बात मैं इसलिए भी आप सभी से कह रहा हूं कि परम पूज्य सद्गुरु देव जी ने आप सभी की आस्था की मुख्य कड़ी आनन्दधाम आश्रम की पवित्र भूमि को नवरात्र की नौवीं दुर्गा सिद्धिदात्री देवी के महापर्व एवं भगवान श्री राम के जन्मोत्सव राम नवमी के दिन ही पूरे विश्व को जागृत करने के पवित्र उद्देश्य से अपने प्रिय भक्तों के कल्याण हेतु अधिगृहीत किया था। यह आनन्दधाम आश्रम सिद्धिदात्री दुर्गा एवं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का मिलन है। यह मिलन प्रकृति और पुरुष की तरह ही मान्य है। हमारे पूज्य सद्गुरुदेव का प्रत्येक दीक्षित शिष्य सृजनात्मक शक्ति से सम्पन्न रहे। अतः नवरात्र की पूजा में विविध प्रकार के अनुष्ठानों में अपने को कम से कम एक दिन, दो दिन अथवा नौ दिनों तक के लिए भी यजमान बनाकर श्री दुर्गा भवानी की कृपा प्राप्त करें।
नवसंवत्सर के शुभ अवसर पर सम्पूर्ण नवरात्रि में माँ नवदुर्गा के पाठ, जप, यज्ञ, अनुष्ठान सभी भक्तों को स्वयं करना चाहिये और अपने गुरुधाम में सुयोग्य ब्राह्मणों से अवश्य करवाना चाहिये।
आप सभी श्रद्धालुजनों के लिए परमपूज्य सद्गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज के शुभ आशीर्वाद से आनन्दधाम आश्रम, नई दिल्ली में “युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र” द्वारा नवसंवत्सर के शुभ अवसर पर 9 से 17 अप्रैल, 2024 तक सम्पूर्ण नवरात्रों में माँ नवदुर्गा के नौ रूपों की शास्त्रीय विधि से पूजा-अर्चना सम्पन्न करायी जायेगी। इच्छुक भक्त ऑनलाइन / ऑफलाइन यजमान बनकर माँ दुर्गा की पूजा-आराधना से मनोकामना सिद्धि का वरदान प्राप्त करें।
इस परमपवित्र शक्ति साधना के अनुष्ठान एवं देवी पूजन का प्रातः 6:30 बजे से फेसबुक एवं यू-ट्यूब पर सीधा प्रसारण किया जायेगा।
नोट : सम्पूर्ण नवरात्रि पर्व अथवा एक दिन के विशिष्ट श्रद्धालु यजमान कृपया अपना फोटो अवश्य भेजें, जिसे भगवती दुर्गा के चरणों में विशेष कृपा हेतु उपस्थित कराया जा सके।
मन्त्र, पाठ एवं अनुष्ठान विवरण
युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र
दुर्गा अष्टमी एवं रामनवमी के पूजन से पायें धन-समृद्धि और सभी कार्यों में सिद्धि
16 अप्रैल को दुर्गाष्टमी एवं 17 अप्रैल 2024 को रामनवमी है। आदिशक्ति माँ नवदुर्गा की कृपा प्रसन्नता प्राप्त करने हेतु चैत्र नवरात्रि में दुर्गाष्टमी एवं रामनवमी के पूजन-पाठ, यज्ञ-अनुष्ठान और पूर्णाहुति का विशेष महत्व है। दुर्गाष्टमी व रामनवमी की कल्याणप्रद शुभ बेला श्रद्धालु भक्तजनों को मनोवांछित फल देती है। माँ नवदुर्गा की आराधना से व्यक्ति धन, ऐश्वर्य, पुत्र-पौत्र से युक्त होकर जीवन के परम लक्ष्य मोक्ष को भी सहज ही प्राप्त कर लेता है। ऐसी मान्यता है कि किसी कारणवश यदि व्यक्ति को सम्पूर्ण नवरात्रों के पूजा-पाठ करने या करवाने का अवसर नहीं मिल पाता तो श्रद्धापूर्वक अष्टमी या नवमी के पूजा पाठ से उसे नवरात्रि की पूजा-पाठ के पूर्ण फल की प्राप्ति हो जाती है। नवरात्रि के आठवें दिन की देवी माँ महागौरी हैं, अष्टमी पूजन से प्रसन्न होकर माँ दुर्गा अपने भक्तों के जीवन से नाना प्रकार की विष – व्याधियों का अन्त कर सुख-समृद्धि, आरोग्यता व मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। नवमें दिन की दुर्गा सिद्धिदात्री हैं। इसलिये इस तिथि का और भी अधिक महत्व बढ़ जाता है। नवमी की पावन तिथि पर भगवान राम और परम करुणामयी सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना से भक्तों के जीवन की विघ्न बाधायें दूर होकर सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं।
भक्तों की सुविधा के लिये परमपूज्य सद्गुरुदेव श्रीसुधांशु जी महाराज के कृपा-आशीर्वाद से आनन्दधाम आश्रम दिल्ली में “युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र “ द्वारा नवरात्रि के शुभ अवसर पर 16 अप्रैल को दुर्गाष्टमी के दिन महागौरी एवं 17 अप्रैल, 2024 को रामनवमी के पावन पर्व पर माता सिद्धिदात्री की शास्त्रीय विधि से पूजा-अर्चना सम्पन्न करायी जायेगी । इच्छुक भक्त ऑनलाइन यजमान बनकर अष्टमी एवं नवमी की पूजा-आराधना से मनोकामना सिद्धि का वरदान प्राप्त करें।
धन समृद्धि की प्राप्ति एवं सभी कार्यों की सिद्धि हेतु अष्टमी एवं नवमी को आयोजित इस अनुष्ठान एवं देवी पूजन का प्रातः 6:30 बजे से फेसबुक एवं यू-ट्यूब पर सीधा प्रसारण किया जायेगा।
नोट : अष्टमी एवं रामनवमी के विशिष्ट श्रद्धालु यजमान कृपया अपना फोटो अवश्य भेजें, जिसे भगवती दुर्गा के चरणों में विशेष कृपा हेतु उपस्थित कराया
मन्त्र, पाठ एवं अनुष्ठान विवरण
युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र