मां सरस्वती की प्रसन्नता के लिये विशेष है वसंत पंचमी महापर्व
मां सरस्वती की प्रसन्नता के लिये विशेष है वसंत पंचमी महापर्व
परम पवित्र माघ शुक्ल पंचमी तिथि को वसंत पंचमी मनायी जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जब ब्रह्माजी ने संसार की रचना की तो उन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए, लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में ज्ञान की कमी रह गई है। इसलिये ब्रह्माजी ने अपने कमण्डल से जल छिड़का जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर देवी प्रकट हुई। देवी के एक हाथ में वीणा, दूसरे हाथ में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्माजी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा – जैसे ही वीणा बजी उनकी सरस ध्वनि सुनते ही ज्ञान के आनन्द में विभोर ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी ‘सरस्वती’ नाम दिया। सरस्वती देवी का प्राकट्य माघ शुक्ल पंचमी में होने से इस तिथि को सरस्वती जयंती तथा बागीश्वरी जयंती कहा गया।
विद्या को प्राप्त करने में लगे विद्यार्थियों के लिए यह पर्व सरस्वती की आराधना के लिए बहुत ही श्रेष्ठ माना गया है। इसी से वसन्त ऋतु का आरम्भ होता है। प्रकृति में पीले पुष्प छाये होते हैं। इसलिए भगवती सरस्वती के पूजन में पीले पुष्प, गुलाल हल्दी का विशेष प्रयोग भी होता है। कहते हैं कि ब्रह्मा जी ने विश्व के सभी जीवों में ज्ञान की स्थापना के लिए भगवती सरस्वती की स्तुति “ श्री सिद्ध सरस्वती स्तोत्र” की रचना की। यह स्तोत्र बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों ने भी अपनाया। इसी कारण हर वर्ष वसंत पंचमी के दिन सरस्वती जी का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी। इस वर्ष यह वसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी, 2024 बुधवार को है।
वसंत पंचमी के पुण्य पर्व पर आनंदधाम आश्रम दिल्ली में पूज्य सद्गुरु श्रीसुधांशुजी महाराज के आशीर्वाद से “युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र” द्वारा विशेष पूजा-पाठ, यज्ञ-जप, अनुष्ठान आयोजित किए जा रहे हैं। आप ऑनलाइन यजमान बनकर वसंत पंचमी पर्व का पुण्य लाभ प्राप्त करें।
मन्त्र, पाठ एवं अनुष्ठान विवरण