कालांतर में हमारे धार्मिक ग्रंथों में फेर बदल किया गया व धार्मिक स्थलों में तोड़-फोड़ कर हमारी आस्था को चोट पहुंचाई गई। धर्म का शुद्ध स्वरूप जन-जन तक पहुंचे। धर्म शास्त्रें में भ्रमित करने वाली बातों से लोग भ्रमित न हों, हमें अपने पूर्वज देवस्वरूप ऋषिमुनि और ऋषि संस्कृति पर गर्व हो, इस बात को लेकर पूज्य महाराजश्री ने धर्म शास्त्रें की शुद्धिकरण के लिए बीड़ा उठाया है। इसके तहत आने वाले समय में धर्म शास्त्र शुद्धिकरण अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की जा रही है, जिसमें भारत के अग्रगण्य विद्वानों के साथ उपदेशक महाविद्यालय में प्रशिक्षण प्राप्त उपदेशकों द्वारा धर्मशास्त्रें की मिलावट को दूर कर विशुद्ध शास्त्र रचना करवाने का प्रण लिया गया है।
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गीता भगवान श्री कृष्ण के श्रीमुख से निःसृत अमृत है, जो जीवन जीने की कला सिखाती है। गीता का हर एक अध्याय दिव्य ज्ञान से परिपूरित है। पूज्य महाराजश्री संकल्प है कि जन-जन गीता के अमृत का पान करें, इसके लिए हमें गीता ग्रंथ को घर-घर पहुंचाना है।
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धर्म के स्वरूप को सही तरीके से लोग समझें और धर्म की राह पर चले, इसके लिए मिशन द्वारा धर्माचार्यों को प्रशिक्षण दिया जाता है और ये धर्माचार्य धर्म और कर्मकाण्ड के विशुद्ध स्वरूप को देश से लेकर विदेश तक प्रचारित कर रहे हैं। भविष्य में देश के कोने-कोने में उपदेशक महाविद्यालयों की स्थापना कर वैश्विक स्तर पर ज्यादा से ज्यादा लोगों में धर्म जागृति का मिशन ने बीड़ा उठाया है।
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