पुरुषोत्तम मास में पूजा, यज्ञ, दानपुण्य का अनन्त फल |

पुरुषोत्तम मास में पूजा, यज्ञ, दानपुण्य का अनन्त फल

पुरुषोत्तम मास में पूजा, यज्ञ, दानपुण्य का अनन्त फल

धर्मशास्त्रें के अनुसार मलमास में सूर्य संक्रांति न पड़ने और इस मास न कोई विशिष्ट नाम और स्वामी होने से यह अधिकमास देव, पितर पूजा, मंगल कृत्यों के लिए अनुपयोगी कहा जाने लगा तब मलमास दुखित होकर श्री विष्णु लोक बैकुंठधाम में गया। वहां मणि जड़ित सिंहासन पर विराजमान श्री विष्णु जी को दण्डवत प्रणाम कर अपना दुःख निवेदित करने लगा।
मलमास को दुखित देखकर भगवान करुणानिधान द्रवित हो गए। भगवान ने कहा मेरे इस लोक में तो काई दुखित नहीं है, परंतु तुम परेशान क्यों हो? मलमास ने कहा प्रभो! न तो मेरा कोई नाम है, न कोई मेरा स्वामी, न कोई आश्रय, निराश्रय हूं मैं, अनाथ हूं मैं। इसलिए भगवन सब मेरा तिरस्कार करते हैं।
ऐसा सुनकर दीनबन्धु कृपानिधान श्री विष्णु भगवान बोलेµवत्सागच्छमया सार्धंगोलोकं योगि दुर्लभम्। यत्रस्ते भगवान् कृष्णः पुरुषोत्तम ईश्वरः।। मलमास तुम मेरे साथ गोलोक धाम चलो वहां भगवान श्री कृष्ण रहते हैं। उस दिव्य लोक में बुढ़ापा, मृत्यु, शोक, भय, रोग, महामारी किंचित किसी को भी नहीं है।
भगवान श्री विष्णु ने मलमास को गोलोक धाम में ले जाकर प्रभु श्रीकृष्ण के चरणों में नतमस्तक कराया। भगवान श्रीकृष्ण बोले हे श्री विष्णु जी! आप इसे साथ लेकर आए हैं, अब मैं इसे अपने समान करता हूंµअहमेते यथा लोके प्रथितः पुरुषोत्तमः। तथायमपि लोकेषु प्रथितः पुरुषोत्तमः।। अर्थात् जितने गुण मुझमें हैं, जिनसे मैं विश्व में पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध हूं। उसी प्रकार मलमास भी पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध होगा। मैं स्वयं इस मास का स्वामी हो गया हूं। इस मास में किए जाने वाले व्रत, उपवास, पूजा, यज्ञ, दानपुण्य सभी पुण्य कर्म इसमें अनन्त फल देने वाले होंगे।
विश्व जागृति मिशन द्वारा आनन्दधाम आश्रम, नई दिल्ली में पुरुषोत्तम मास में आयोजित पूजा, यज्ञ, जप, भागवत कथा, आरती में ऑनलाइन यजमान बनकर आप पुरुषोत्तम मास का अनन्त पुण्य फल प्राप्त करें। साथ ही जैसे निराश्रय अनाथ मलमास को अपनाकर भगवान श्रीकृष्ण ने उसे सर्वश्रेष्ठ बना दिया। वैसे ही मिशन द्वारा संचालित देवदूत बालकल्याण योजना में दान-सहयोग कर गरीब, अनाथ बच्चों की शिक्षा-दीक्षा, पालन-पोषण में सहभागी बनें। भगवान पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण आपकी हर शुभ मनोकामना पूरी करेंगे।

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