पितृपक्ष (श्राद्ध) पितरों को तर्पण एवं पिण्ड दान करने का अवसर
पितृपक्ष (श्राद्ध) (17 सितम्बर से 2 अक्टूबर, 2024) आनन्दधाम आश्रम दिल्ली में पितरों को तर्पण एवं पिण्ड दान करने का अवसर
भारत वर्ष की ऋषि मनीषा ने माता-पिता आचार्य एवं अतिथि को देवता का मान सम्मान अपने ग्रन्थों में दिया है। माता-पिता-गुरु एवं अतिथि को जिस घर में मान प्राप्त होता है वह घर एक मंदिर तो क्या साक्षात् स्वर्ग के समान माना जाता है। ऐसे घरों के सदस्य देव शक्तियों से सम्पन्न माने हैं। उस घर के लोगों का परस्पर प्रेम मान-सम्मान देवताओं एवं पितरों की शक्तियों को आकर्षित करता है जिन घरों में संतानें, माता-पिता- गुरु एवं अतिथि को नम्रता पूर्वक प्रणाम करके आशीर्वाद लेते हैं उन्हें प्रकृति द्वारा आयु-विद्या-यश और सकारात्मक व रचनात्मक शक्तियों की प्राप्ति होती है।
भारतीय हिन्दी महीनों में आश्विन माह का पूरा कृष्ण पक्ष पितृ पक्ष कहलाता है। इस समय में पितृलोक के पितर अपने-अपने गोत्रीय पुत्र-पौत्रों के घरों के आस-पास वायु मण्डल में विचरने लगते हैं। वे अपने पुत्र और परिवार के अन्य लोगों के द्वारा किए जाने वाले तर्पण को देखकर प्रसन्न होते हैं एवं अपने देह त्याग की तिथि पर कराए जाने वाले श्राद्ध भोज की प्रतीक्षा करते हैं। यदि श्राद्ध भोज में ब्राह्मण को निमंत्रित करके सुरुचि पूर्ण भोजन जिसमें खीर, आवश्यक रूप में दी जाती है उस भोजन को ब्राह्मण के माध्यम से पाकर तृप्ति का आनन्द लेकर ब्राह्मण को सम्मान पूर्वक श्राद्ध कर्ता द्वारा वस्त्रों सहित दी गई दक्षिणा से प्रसन्न होकर धन-धान्य, आरोग्यता, आयुष्य, पुत्र एवं पौत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देकर पितृलोक को विदा हो जाते हैं।
ब्रह्मपुराण में भगवान व्यास ने लिखा है कि जो पुत्र अपने माता-पिता, दादा-दादी का जीते जी मान-सम्मान नहीं करते और उनके शरीर छूटने पर विधि से अन्त्येष्टि विधान व और्ध्वदेहिक संस्कार नहीं करते हैं वे पुत्र धर्म से भ्रष्ट हो जाते हैं। ऐसे भ्रष्ट पुत्र अपने माता-पिता के श्राद्ध कर्म में श्रद्धाहीन होने से पितरों के श्राप से निर्धन, दुर्बुद्धि, अशिक्षित, संस्कारहीन, रोगी, कर्महीन, निःसंतान या सदाचारहीन पुत्रों के पिता बनकर आजीवन कष्ट भोगते हैं। इसीलिए शास्त्रों का आदेश है कि “देवपितृकार्याभ्याम् न प्रमदितव्यम्” अर्थात् कभी भी देव तथा पितरों की पूजा में चूकना नहीं चाहिए।
इस वर्ष 17 सितम्बर, 2024 मंगलवार से श्राद्ध आरम्भ होकर 2 अक्टूबर, 2024 बुधवार आमवस्या (16 दिन ) तक रहेंगे। ध्यान रखें इस वर्ष पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितम्बर, 2024 मंगलवार को होगा
पितृपक्ष में पितरों की प्रसन्नता, परिवार में खुशी, धन-धान्य, आयुष्य, संतान सुख, आरोग्यता, आपसी प्रेम, उन्नति प्राप्ति हेतु अनेक प्रकार से पितृपूजन करने का विधान प्राप्त होता है जिसमें पितृ तर्पण, ब्राह्मण भोजन, निर्धन गरीबों को भोजन, पितृगायत्री जप, पितृसूक्त पाठ, विष्णु सहस्रनाम पाठ, गीता पाठ, गौग्रास, गोदान, कुत्ता, कौआ, चीटी तथा देव बलिदान, अन्नदान, वृक्षारोपण आदि किए जाते हैं।
भक्तों की सुविधा के लिए परमपूज्य सद्गुरु श्रीसुधांशुजी महाराज की परम कृपा से आनंद धाम आश्रम दिल्ली में “युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र” द्वारा पितृपक्ष के शुभ अवसर पर 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर, 2024 तक पितरों के निमित्त शास्त्रीय विधि से पूजा अर्चना संपन्न कराई जाएगी। श्रद्धालु भक्त ऑनलाइन एवं ऑफलाइन यजमान बनकर उपरोक्त पूजाओं द्वारा अपने पितरों की प्रसन्नता तथा आशीर्वाद प्राप्त करें।
पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पूरे वर्ष भर पितृ सन्तुष्ट होकर आयु, यश, कीर्ति, पुत्र तथा धन की रक्षा करते हैं।
:: दान एवं अनुष्ठान ::
- अन्नदान
- गौदान / गौग्रास
- पितृ सूक्त
- पितृ गायत्री
- वृक्षारोपण (पीपल, वट, आम, विल्व, शमी, अशोक, तुलसी)
नोट:
1- कृपया पितरों का नाम, गोत्र एवं स्थान अवश्य बतायें।
2- ऊपर लिखे हुए मंत्रें की अधिक संख्या हेतु युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र से सम्पर्क करें।