आत्मचिंतन के सूत्र
• हर दिन को धन्यवाद् करते हुए शुरू करो.
• संत पुरुषों के दर्शन से आपका भाग्य संवरता है
• अपने जीवन में अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए, जप तप सत्कर्म यज्ञ याग सत्संग वंदन – इन्हें जारी रखना चाहिए!
• कथा करो तो दूसरों के ऐब की नहीं लेकिन हरी की! हरी कथा तो दूर करती है दुखों को, पापों को!
• सत्कर्म करते रहोगे तो परिस्थिति कैसी भी हो, परमात्मा का रक्षा कवच जरूर तुम्हारे साथ रहेगा! इस लिए सत्कर्म करने से कभी पीछे नहीं हटना!
• निष्काम भक्ति करो! भगवान् से माँगना भी हो तो भगवान् से भगवान् को ही मांगो!
• भगवान् की भक्ति कुछ मांगने के लिए नहीं, धन्यवाद करने के लिए करो!
• उसको हम क्या दिया दिखाएंगे जिसको देखकर सूरज और चाँद भी चमकते हैं!
• परमात्मा के दर पर प्रेम लेकर जाओ, प्रसन्नता से धन्यवाद् कीजिये !
• जब कभी दर्द की स्थिति हो तो आप अपने भगवान् से कहें की फूल तो नहीं हैं लेकिन यह आंसूं के फूल हैं जो चढ़ाने आया हूँ.!
• अपने दिल की किताब को अपने भगवान् के सामने ही खोलना क्योंकि दुनिया तो आपका मज़ाक उड़ाने के लिए हर पल तईयार रहती है!
• श्रद्धा और भक्ति से की हुई प्रार्थना जरूर स्वीकार होती है लेकिन हर दिन मंगते बनकर भगवान् के सामने नहीं जाना!
• सच्चे दिल से भावपूर्ण प्रार्थना करनेवाले बनो! परमात्मा तक आपकी भाव तरंगें पहुँचती हैं और वह निश्चित ही सुनता है!
• हमें सबको खुद में स्थित होना चाहिए, अपने वास्तविक रूप में आना चाहिए! प्रसन्नता ही आपका वास्तविक रूप है!
• जब आपकी जिह्वा पर नाम बस जाये और सेवा करने में रूचि जाग जाये तो समझ लेना गुरुकृपा आपके ऊपर आ गयी है!
• जब घर में बरकत पड़ने लग जाये तो समझ लेना गुरु का आशीर्वाद आपके ऊपर बन रहा है !
Jai shree Sadguru dev
Shukriya Guruwar aapka barambar shukriya